विवि में देशज भाषा और शोध कार्य बढ़ाने का निर्देश
बोकारो: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विवि में देशज (इंडीजिनस) अौर संकटासन्न (इंडाग्रेड) भाषा के संरक्षण अौर इसके विकास के लिए अध्ययन केंद्र खोलने का निर्देश दिया है. साथ ही इन भाषाअों पर शोध कार्य बढ़ाने की बात कही है. यूजीसी ने सभी विवि को पत्र भेज कर इसे गंभीरता से लेते हुए इस दिशा […]
बोकारो: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विवि में देशज (इंडीजिनस) अौर संकटासन्न (इंडाग्रेड) भाषा के संरक्षण अौर इसके विकास के लिए अध्ययन केंद्र खोलने का निर्देश दिया है. साथ ही इन भाषाअों पर शोध कार्य बढ़ाने की बात कही है. यूजीसी ने सभी विवि को पत्र भेज कर इसे गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में कार्रवाई आरंभ करने का निर्देश दिया है.
यूजीसी के मुताबिक देश में भाषायी विविधता गंभीर चुनौती का सामना कर रही है. विवि को समाप्ति के कगार वाली भाषाएं, गैर अनुसूचित भाषाअों, जनजातियों एवं घुमंतू समुदायों की भाषाअों तथा ऐसी भाषाएं जिनके प्रति सामाजिक सहानुभूति एवं एकेडमिक ध्यान किसी सीमा तक दिया जाना जरूरी है. यूजीसी ने ऐसी भाषाअों के संरक्षण अौर विकास के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. विवि में यदि देशज भाषाअों व संकटासन्न भाषाअों के लिए केंद्र की स्थापना की जा चुकी है, तो उस वर्तमान केंद्र के लिए भी यूजीसी वित्तीय सहायता देगा. इस केंद्र में वैसी भाषा को शामिल किया जायेगा, जो उस राज्य की भाषा विवि के निकटतम क्षेत्र में प्रयुक्त देशज भाषाएं हो, जहां वह विवि स्थित है तथा ऐसी भाषाएं जो नजदीकी पड़ोसी में बोली जाती है.
केंद्र के लिए मिलेगी वित्तीय सहायता
अध्ययन केंद्र के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पांच वर्ष के लिए वित्तीय सहायता देगा. यूजीसी ने विवि से शीघ्र ही इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगा है. यूजीसी केंद्र में उपकरण, सॉफ्टवेयर के लिए 90 हजार रुपये, कार्यशाला, संगोष्ठी, लेक्चर के लिए छह लाख रुपये, पुस्तकालय, पुस्तकें, पत्रिकाअों के लिए पांच लाख रुपये, यात्रा व क्षेत्रीय कार्य आदि के लिए साढ़े नौ लाख रुपये दिये जायेंगे. इस केंद्र में तीन रिसर्च एसोसिएट, एक भाषा पूरा लेखापाल या प्रलेखन अधिकारी, कार्टोग्राफर, स्टेनो, चतुर्थ श्रेणी स्टाफ आदि रखने की स्वीकृृति दी गयी है.