बोकारो बन रहा मनोरोगियों का शहर

बोकारो: बोकारो धीरे-धीरे मनोरोगियों का शहर बनता जा रहा है. यह जानकर हैरानी होगी कि बोकारो जेनरल अस्पताल में हर दिन 20 नये मनोरोगी पहुंच रहे हैं. हैरत की बात है कि पुराने व नये रोगी मिला कर ओपीडी में हर दिन लगभग 150 मरीज पहुंचे हैं. चिकित्सक पहले इन मरीजों की काउंसेलिंग करते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2014 9:50 AM

बोकारो: बोकारो धीरे-धीरे मनोरोगियों का शहर बनता जा रहा है. यह जानकर हैरानी होगी कि बोकारो जेनरल अस्पताल में हर दिन 20 नये मनोरोगी पहुंच रहे हैं. हैरत की बात है कि पुराने व नये रोगी मिला कर ओपीडी में हर दिन लगभग 150 मरीज पहुंचे हैं. चिकित्सक पहले इन मरीजों की काउंसेलिंग करते हैं. इसके बाद जरूरत के हिसाब से दवा की सलाह देते हैं. चिंता का विषय यह है कि मनोरोगियों की बढ़ती तादाद में युवाओं की संख्या अधिक है. लगातार बढ़ रहे मनोरोगी को लेकर चिकित्सकों ने भी चिंता जाहिर की है.

बोकारो की बड़ी आबादी डिप्रेशन में
बोकारो जिला की आबादी 21 लाख 68 हजार है. मनोचिकित्सकों की राय मानें तो आबादी के 15 से 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार से डिप्रेशन के शिकार हैं. इसमें युवाओं व वृद्धों की संख्या ज्यादा है. बचपन में तनाव कम होता है, लेकिन उम्र ज्यों-ज्यों बढ़ती है. तनाव बढ़ता जाता है.

तनावग्रस्त व्यक्ति की काउंसेलिंग जरूरी
चिकित्सकों के अनुसार अवसाद की मुख्य वजह तनाव है. आज हर व्यक्ति की आकांक्षा बढ़ती जा रही है. आकांक्षा पूरी नहीं होने पर लोग दबाव में आ जाते हैं और तनाव इन्हीं स्थितियों में उत्पन्न होता है. यह तनाव जानलेवा साबित होता है. घर, बाहर, कार्यालय व दोस्तों के बीच अलग-अलग तरह की स्थिति रहती है. घर में माता-पिता, बाहर में विभिन्न लोग, कार्यालय में बॉस की आकांक्षा पूरी करने का दबाव रहता है. धीरे-धीरे परिस्थितियां कुछ ऐसी होने लगती हैं कि तनाव ग्रस्त व्यक्ति आत्महत्या को अंजाम दे बैठता है. इसे रोकने के लिए काउंसेलिंग जरूरी है.

मानसिक बोझ बढ़ा
आज मेडिकल प्रोफेशन में चिकित्सक की चुनौतियां बढ़ गयी हैं. बदलते समय में लोगों पर मानसिक बोझ बढ़ा है. आज हर व्यक्ति की कांउसेलिंग होनी चाहिए, ताकि उसे तनावग्रस्त होने से बचाया जा सके. तनाव की अवधि और तीव्रता दोनों ही अवसाद की परिधि में ले जाती हैं. काउंसेलिंग नहीं होने की स्थिति में गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं. बोकारो में लगातार युवाओं की बढ़ती आत्महत्या भी इसी की एक कड़ी है. काउंसेलिंग में अभिभावकों की भूमिका बहुत बड़ी होती है.

डॉ जीके सिंह, मनोचिकित्सक, बोकारो.

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