सरकारी राशि का इंतजार नहीं करता है बुंडू
कसमार : पंचायत हो तो बुंडू जैसी़ ऐसा लोगों का कहना है़ इस पंचायत ने विकास कार्यों के मामले में नये आयाम गढ़े़ जनाकांक्षाओं व जरूरतों को ध्यान में रखकर योजनाओं को सरजमीं पर उतारा गया. बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड की बुंडू पंचायत पूर्व में पेटरवार पंचायत का हिस्सा थी. 32 वर्षों बाद 2010 […]
कसमार : पंचायत हो तो बुंडू जैसी़ ऐसा लोगों का कहना है़ इस पंचायत ने विकास कार्यों के मामले में नये आयाम गढ़े़ जनाकांक्षाओं व जरूरतों को ध्यान में रखकर योजनाओं को सरजमीं पर उतारा गया. बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड की बुंडू पंचायत पूर्व में पेटरवार पंचायत का हिस्सा थी. 32 वर्षों बाद 2010 में जब पंचायत चुनाव हुए, तब यह अस्तित्व में आया़
बनायी राष्ट्रीय पहचान : अजय कुमार सिंह यहां के मुखिया हैं. वह दोबारा चुने गये हैं. वर्ष 2015 में भी यहां की जनता ने इनके कार्यों पर मुहर लगायी़ युवा-ऊर्जावान मुखिया ने अपने सोच को जन भागीदारी का हिस्सा बनाया़ पंचायत की मूलभूत सुविधाओं को बारीकी से चिह्नित किया और उसे बहाल करने के लिए रात-दिन एक कर दिया़ देखते ही देखते बुंडू पंचायत ने केवल प्रखंड व जिला ही नहीं, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी़
स्कूलों में बढ़ी बच्चों की उपस्थिति : पंचायत गठन के साथ स्कूलों की दशा काफी दयनीय थी़ बच्चों की उपस्थिति बहुत कम होती थी़ अभिभावकों के साथ लगातार बैठक कर उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास किया तो कुछ सफलता मिली. फिर भी ग्रामीण परिवेश की वजह से समस्या बनी रही़ ग्रामसभा में एक साहसिक व कठोर निर्णय लिया गया़ उपस्थिति नहीं तो राशन नहीं. इस निर्णय से बच्चों की उपस्थिति आश्चर्यजनक ढंग से सुधरी. बाकी कसर मुखिया के मानदेय से ज्यादा उपस्थिति वाले बच्चों को दिये जानेवाले पुरस्कार ने पूरी कर दी़
पेयजल सुविधा हुई बहाल : पेयजल संकट दूर करने के लिए बुंडू गांव के पुरनापानी, बुंडूजारा, कोनारबेड़ा में ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना से डीप बोरिंग करवायी गयी व टावर बनाया गया है़ इन तीन टोलों में नल से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है़ कई जगहों पर आपदा मद से पांच, विधायक मद से पांच, सांसद मद से तीन चापाकल लगवाये गये. पूर्व के सभी खराब चापाकलों की मरम्मत करायी गयी. 20 सूखे कूपों को 14वें वित्त की राशि से जीवंत किया गया़
दशकों के कचरा से कराया मुक्त : पंचायत चुनाव के बाद सबसे बुरी स्थिति स्वच्छता को लेकर थी़ पूरे बाजार क्षेत्र में 40 वर्षों से जमा सैकड़ों ट्रैक्टर कचरा व बजबजाती नालियां ग्रामीणों के लिए परेशानी बनी हुई थी़ 14वें वित्त की राशि व ग्राम स्वास्थ्य समिति की राशि से 40 वर्षों का कचरा हटाया गया व गागी हाट तथा मिडिल स्कूल के पास स्लैब सहित नालियों का निर्माण कर गंदगी से निजात दिलायी गयी. डेली मार्केट तथा कूड़ेदान की नियमित साफ-सफाई के लिए नौ स्वच्छता सखी की नियुक्ति पंचायत ने की है़ उनके मानदेय के लिए ग्रामसभा ने स्वच्छता शुल्क वसूली का निर्णय लिया. स्वच्छता शुल्क सिर्फ व्यापारी व वाहन से लिया जाता है़ किसानों को स्वच्छता शुल्क से मुक्त रखा गया है़ स्वच्छता शुल्क से पंचायत को प्रतिमाह 50-52 हजार रु मिलते हैं. यह पंचायत की स्व अर्जित आय भी है़ इस प्रकार स्वच्छता के लिए पंचायत अब सरकारी राशि के इंतजार में नहीं रहती़
सामुदायिक शौचालय से मिली राहत : डेली मार्केट में 14वें वित्त की राशि से 15 वर्षों से बंद पड़े शौचालय की मरम्मती करवायी गयी और पुन: उपयोग लायक बनाया गया़ इससे डेली मार्केट में आने वाले हजारों लोगों को खुले में शौच से मुक्ति मिली तथा पंचायत की आय भी प्रतिमाह पांच से छह हजार रुपये तक बढ़ी़ रख-रखाव कर्मचारी के रूप में एक को रोजगार भी मिला.
अनोखा है बुुंडू का अनाज बैंक : बुंडू पंचायत की ग्रामसभा ने आपदा से निबटने के लिए पंचायत में अनाज बैंक का गठन किया़ इसमें सदस्यों द्वारा 500 ग्राम से एक किलो अनाज प्रतिमाह जमा किया जाता है़ उक्त अनाज को सदस्यों की आपदा जैसे बीमारी, मृत्यु तथा शादी-विवाह के अवसर पर 50 से 100 किलो तक अनाज उपलब्ध कराया जाता है़
पारदर्शिता के लिए समितियां : बुंडू पंचायत में निगरानी सह सलाहकार समिति बनायी गयी है़ इसे अतुलनीय पहल माना जा रहा है़ ऐसी समिति शायद ही कहीं और है. क्योंकि कोई मुखिया नहीं चाहता कि उसके फंड या कार्यों की कोई निगरानी करे, जबकि बुंडू पंचायत की निगरानी सह सलाहकार समिति 14वें वित्त, स्वअर्जित आय व विकास कार्यों पर होने वाले खर्च पर निगरानी रखती है व आय का हिसाब देखती है़ साथ ही स्वअर्जित आय किस योजना में खर्च से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे, इस पर सुझाव भी देती हैं. इस सलाहकार सह निगरानी समिति में सेवानिवृत्त शिक्षक, सैनिक के अलावा समाजसेवी, अधिवक्ता व चाटर्ड अकाउंटेंट सहित 20 लोग शामिल हैं.
अन्य सरोकारों में भी आगे : नवोन्मेषी पहल के अलावा प्रौढ़ शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, बाल संरक्षण व सामाजिक कुप्रथाओं के विरुद्ध समेत अन्य कई विषयों पर भी बुंडू पंचायत ने उल्लेखनीय पहल की है. बुंडू पंचायत में बैंक, डाकघर जैसी अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं. वनों को विकसित करने के लिए भी अपने स्तर से कुछ पहल हुई है. गव्य विकास परियोजना के तहत 45 विधवाओं को 90 फीसदी अनुदान पर दो दुधारू गाय उपलब्ध करायी गयी है़
कृषि को किया विकसित, बाजार भी उपलब्ध कराया
बुंडू पंचायत के लोगों का मुख्य व्यवसाय अथवा आय का स्रोत कृषि है, परंतु सिंचाई के साथ तथा उचित बाजार के अभाव व तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण किसानों की दशा ठीक नहीं थी़ इसी आलोक में सबसे पहले मनरेगा योजना से कूप व तालाब बनवाये गये. पैक्स गठित कर कृषि कार्य हेतु आधुनिक यंत्र उपलब्ध कराया गया़ कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों को प्रशिक्षण दिलाया गया़ कुछ अन्य कार्यों के साथ-साथ किसानों को बाजार भी उपलब्ध कराया गया़ सप्ताह में सिर्फ दो दिन लगनेवाले हाट को डेली मार्केट के रूप में विकसित किया गया.
ग्राम सभा को किया मजबूत
बुुंडू में सर्वप्रथम ग्राम सभा सशक्त की गयी. मुखिया अजय कुमार सिंह बताते हैं : 32 वर्षों से कोमा में पड़ी ग्रामसभा को मजबूत करना सर्वोपरि प्राथमिकता थी़ ग्राम स्वराज की परिकल्पना बिना ग्रामीणों की सहभागिता के मुमकिन नहीं थी. पहली ही ग्रामसभा में 500 से ज्यादा ग्रामीण उपस्थित थे.
जिम्मेवार बनाती है समीक्षा बैठक
बुंडू पंचायत के अंतर्गत सभी विभागों के सरकारी अर्द्धसरकारी कर्मियों के साथ पंचायत सचिवालय में प्रत्येक माह के दूसरे गुरुवार को समीक्षा बैठक होती है़ बैठक में सभी स्कूलों के सचिव सह प्रधानायापक, सभी आंगनबाड़ी सेविका, सभी सहिया, सभी जन वितरण प्रणाली विक्रेता उपस्थित रहते हैं. पंचायत में चल रही सरकारी योजनाओं की वर्तमान स्थिति की जानकारी मिलती है़
मुख्यमंत्री स्मार्ट विलेज में चयन
मुख्यमंत्री स्मार्ट विलेज के 479 ग्राम पंचायत के आवेदनों में शामिल बुंडू को अंतिम 11 में स्थान मिला़ अंतत: अंतिम पांच में इसका चयन हुआ. मुख्यमंत्री स्मार्ट विलेज में शामिल होने के बाद बुंडू को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार की तरफ से अतिरिक्त एक करोड़ रुपये मिलेंगे़
अब घर से थाली नहीं लाते विद्यार्थी : बुंडू के सरकारी स्कूल में थाली की कमी के कारण बच्चे अपने घर से किताब की जगह थाली लेकर स्कूल आते थे़ भोजन के समय जमीन पर बैठने के कारण ड्रेस प्रतिदिन गंदा हो जाता था. विद्यालय की बच्चियों से इसकी जानकारी मिलने के बाद मुखिया श्री सिंह ने दरी और थाली उपलब्ध करायी.
पुरस्कारों से श्रेष्ठता को मिली मान्यता
- पंडित दीनदयाल पंचायत सशक्तीकरण राष्ट्रीय पुरस्कार
- राज्य स्तरीय क्विज में प्रथम पुरस्कार
- राज्य स्तर पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल अवार्ड
- मुख्यमंत्री स्मार्ट विलेज के रूप में चयनित