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नक्सल प्रभावित झुमरा पहाड़ से ग्राउंड रिपोर्ट : जंगल के बीच अकेला परिवार, नहीं पहुंची कोई सरकारी योजना

गोमिया से लगभग 60 किमी दूर मौजूद है झुमरा पहाड़ एक वक्त था जब डूमरा पहाड़ का पूरा इलाका नक्सलियों की गिरफ्त में था. इन गावों तक लोग आने जाने से डरते थे. आज भी यह इलाका नक्सलप्रभावित इलाकों में गिना जाता है. इस पहाड़ की चर्चा गोमिया उपचुनाव में खूब है. झारखंड मुक्ति मोरचा, […]

गोमिया से लगभग 60 किमी दूर मौजूद है झुमरा पहाड़ एक वक्त था जब डूमरा पहाड़ का पूरा इलाका नक्सलियों की गिरफ्त में था. इन गावों तक लोग आने जाने से डरते थे. आज भी यह इलाका नक्सलप्रभावित इलाकों में गिना जाता है. इस पहाड़ की चर्चा गोमिया उपचुनाव में खूब है. झारखंड मुक्ति मोरचा, भारतीय जनता पार्टी और आजसू के उम्मीदवारों ने प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत में झुमरा पहाड़ के विकास का दावा किया. प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम इन दावों की पड़ताल के लिए झुमरा पहाड़ पहुंची.अमलेश नंदन सिन्हा के साथ पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट.

झुमरा पहाड़ के पहाड़पुर में सिर्फ एक घर
झुमरा पहाड़ की सड़क बनी है लेकिन रास्ते अभी भी खराब है. कई जगह सड़क टूटी है जिससे आने जाने में परेशानी होती है. झुमरा पहाड़ के रास्ते पर एक गांव है जमनी जारा इस गांव से जंगल के रास्ते पर एक दूसरा गांव है पहाड़पुर. इस गांव में सिर्फ एक घर है. इस अकेले घर में अब चौथी पीढ़ी बड़ी हो रही है. इस परिवार में माता- पिता के साथ बहू बेटे बेटे रहते हैं. पिता सोहराय महतो, मां पानो देवी बेटा राजकिशोर बहू कुलेश्वरी देवी है. इस परिवार में राजकिशोर की दिव्यांग बहन कुंवर देवी भी रहती है. राजकिशोर की पत्नी आंगनबाड़ी सेविका है. इस घर तक कोई सरकारी सुविधा नहीं पहुंचती. सीआरपीएफ वालों ने एक सोलर लाइट जरूर दे दी है लेकिन विकास का अंधेरा अब भी यहां दिखता है.
खुद कुआं खोदकर खेती कर रहे हैं परिवार वाले
इस परिवार के सदस्य मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है. एक कुंआ खोदकर परिवार वाले ने पीने के पानी की व्यवस्था की है. अब कुंआ सूख रहा है. राजकिशोर बताते हैं अगर कुंआ सूख गया तो हमारे लिए पानी की भी दिक्कत हो जायेगी. राजकिशोर के पिता 87 साल के हैं. यहां की हर तकलीफ उन्होंने देखी है. इस इलाके का जिक्र करते हुए वह कहते है यहां रहने के लिए हर रोज मरना और हर रोज जीना पड़ता है. ना बिजली है ना सड़क है ना कई साधन है.
सरकारी योजना में भ्रष्टाचार का आरोप
सरकारी योजनाएं से मिलने वाले लाभ पर राजकिशोर बताते हैं कि यहां तक कोई सरकारी सुविधा नहीं पहुंचती. मेरे नाम से इंदिरा आवास आया है लेकिन मुखिया जी कह रहे हैं मेरे परिवार वाले के पास नौकरी है इसलिए नहीं मिलेगा. मैं कोशिश करता रहा एक दिन वीडियो साहब अंबाटाड़ में आये मैंने अपनी समस्या उनको बतायी तो कह दिया मुखिया को पैकेट का खर्च दे दो काम हो जायेगा. मुखिया ने छह – सात हजार रूपये मांग लिये. मुखिया ने कहा जब आवास योजना पूरी तरह पास हो जायेगा तो पूरा दे दीजिएगा अभी तीन हजार दीजिए. मैंने तीन हजार रूपये दे दिये.
राजकिशोर के इन आरोपों पर प्रभात खबर डॉट कॉम ने गोमिया प्रखंड के बीडीओ से बात की. उन्होंने कहा, हमने झुमरा में आवास योजना के तहत 181 घर दिये हैं. उस इलाके में विकास को लेकर हम पूरा ध्यान दे रहे हैं. जिन्होंने यह आरोप लगाया है वह गलत . हम इस शिकायत पर की उन्हें आवास नहीं मिला. जांच करेंगे अगर योजना में उनका नाम है तो उन्हें जरूर इसका लाभ मिलेगा. मुखिया ने भी कहा, संभव है कि दूसरे लोगों ने उनके पैसा लिया हो मैंने नहीं लिया है. मैं पता करता हूं. वो परिवार दूर दराज में रहता है. हमारी कोशिश है कि उनतक सारी योजनाएं पहुंचे. उन्हें जो सरकारी लाभ मिलना चाहिए वो मिले. हमने क्षेत्र के लिए काम किया है और कोई भी व्यक्ति हम पर भ्रष्टाचार के लिए आरोप नहीं लगा सकता.कुछ लोग हो सकते हैं जो मेरे नाम से पैसा लेते हों.
दिव्यांग बहन का पैर डॉक्टरों ने काटने की सलाह दी है
राजकिशोर की बहन कुंवर देवी की हो गयी थी. शादी के बाह ससुराल वाले तंग करने लगे. नाराज होकर वह पेड़ पर चढ़ गयी अचानक नियंत्रण खो जाने से वह नीचे गिर गयी. उसके पैर में गंभीर चोट आयी. लंबे वक्त तक अस्पताल में रही. डॉक्टरों ने बताया कि टेटनस की वजह से इसका पैर काटना होगा. घटना को 18 साल हो गये लेकिन अबतक पूरी तरह ईलाज नहीं हुआ है. कुंवर देवी इलाज के लिए तैयार है लेकिन सरकारी अस्पताल में भी इलाज के लिए 10- 15 हजार रुपये लगेंगे. इनकी एक बच्चा था जिसे ससुराल वाले ले गये उसे कोई बीमारी हुई और वह भी नहीं रहा. महिला बताती हैं कि विकलांग पेशन नहीं मिलता, शौचालय भी मिलना था वह भी नहीं मिला.
हाथी ने तोड़ दिया था पूरा घर, जान बचाकर भागे थे परिवार वाले
इस गांव के एक घर तक कोई उम्मीदवार नहीं पहुंचा. सारे लोग जमनीजारा से ही आगे बढ़ जाते हैं. कई लोगों तक पता नहीं है कि यहां जंगल के बीच भी हमलोग रहते हैं. राजकिशोर की पत्नी कुलेश्वरी देवी आंगन बाड़ी की सेविका हैं बताती है कि शाम के वक्त हाथी आये और कटहल तोड़ने लगे. 18 हाथियों ने हमारा घर घेर लिया हम कोटा ( मिट्टी के घर में ऊपर सामान रखने के लिए बनाया जाता है) हम छत तोड़कर भाग गये लेकिन बच्चा रह गया था. हमारे घर में महुआ था हाथी वही खा रहे थे. घर टूटने के बाद भी कोई खास मदद नहीं मिली लेकिन रेंजर ऑफिसर ने 4 हजार रूपये की मदद की. पूरा घर बनाने के लिए जरूरी सामान हमलोग ही जुगाड़ करते हैं.
झुमरा में कितना पहुंचा विकास, क्या है मूल समस्याएं
झुमरा की सबसे बड़ी समस्या पानी की है. यहां कई चापाकल हैं. अब बोरिंग के कारण कुएं सूखने लगे हैं. झुमरा में रहने वाले लोगों का मुख्य पेशा खेती है. इलाके के लोग चिंतित है कि अब खेती कैसे होगी. गरमी में झुमरा के कई कुएं सूख गये हैं. दूसरी सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ की है.यहां स्वास्थ केंद्र तो है लेकिन डॉक्टर नहीं है सिर्फ एक ऐनम मैरी एक्का हैं.
एक वक्त था जब यहां ऐंबुलेंस नहीं पहुंचती थी लेकिन अब गाड़ियां ऊपर पहाड़ तक पहुंच जाती है. स्कूल है लेकिन शिक्षकों की कमी है. पढ़ाई कम होती है. यहां हाईस्कूल की जरूरत है.पलायन की समस्या है, यहां लोगों के पास रोजगार नहीं है. झुमरा में 100 घर है 1500 की आबादी है समस्या दूर हुई है लेकिन खत्म नहीं हुई

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