34 दिनों से बंद है परिवहन कार्यालय का काम

बोकारो: कार्यालय को अत्याधुनिक करने के चक्कर में जिला परिवहन कार्यालय का काम काज गत 34 दिनों से ठप है. इससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वाहन मालिक अपने वाहनों के कागजात, टैक्स टोकन व अन्य जरूरी कागजात के लिए परिवहन कार्यालय का लगातार चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2014 10:52 AM

बोकारो: कार्यालय को अत्याधुनिक करने के चक्कर में जिला परिवहन कार्यालय का काम काज गत 34 दिनों से ठप है. इससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

वाहन मालिक अपने वाहनों के कागजात, टैक्स टोकन व अन्य जरूरी कागजात के लिए परिवहन कार्यालय का लगातार चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. परिवहन कार्यालय का काम काज ठीक होने से संबंधित पूछताछ करने पर कार्यालय के कर्मचारी हर दिन एक नया डेट देकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं.

एसोसिएशन ने उपायुक्त से की शिकायत : परिवहन पदाधिकारी जयदीप तिग्गा बताते हैं की यह समस्या केवल बोकारो जिला की नहीं है बल्कि पूरे झारखंड के परिवहन कार्यालय का यही हाल है. कार्यालय में लगे कंप्यूटर को और अधिक अत्याधुनिक बनाने के चक्कर में सारा सिस्टम फेल हो गया है. इसकी शिकायत परिवहन मंत्रलय रांची में की गयी है. कंप्यूटर ठीक करने का काम रांची से चल रहा है. परिवहन कार्यालय में लगातार काम काज बंद रहने से आक्रोशित चास बोकारो ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने बोकारो के उपायुक्त को पत्र लिख कर आक्रोश जताया है.

चक्रवृद्धि ब्याज की दर से बढ़ रहा है विलंब शुल्क : एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि परिवहन कार्यालय का काम ठप होने से व्यावसायिक वाहन मालिकों के समक्ष विकट स्थिति पैदा हो गयी है. टैक्स, निबंधन, लाइसेंस, फिटनेस आदी की राशि जमा नहीं हो पा रहा है. इस कारण हर दिन चक्रवृद्धि ब्याज के दर से विलंब शुल्क बढ़ रहा है. कार्यालय का सिस्टम फेल होने से गाड़ी के कई कागजात की वैधता अवधि समाप्त हो गयी है. व्यावसायिक वाहन मालिक अपने वाहन को घर पर ही रख कर बैंक का हजारों रुपया लोन व चालक व खलासी का खर्चा देने को विवश हैं. एक ट्रक मालिक को प्रतिदिन लगभग दो हजार रुपये का नुकसान हो रहा है. जिन लोगों ने नया व्यावसायिक वाहन लिया है. वह वाहन को घर में रखने के बजाय अब झारखंड के पड़ोसी राज्यों में निबंधन करा रहे हैं.

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