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मजदूर विरोधी सरकार के विरुद्ध तेज होगा आंदोलन : कौर

बोकारो : श्रम कानूनों में संशोधन के नाम पर नरेंद्र मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर लगातार हमले कर रही है. कॉरपोरेट व नियोक्ता संगठनों की मांग पर फैक्ट्री कानून 1948 में बदलाव किये गये हैं. इसके अलावा अप्रेंटिस एक्ट-1961 व श्रम कानून में संशोधन सहित कई संशोधन कराने में सरकार कामयाब हो गयी है. इसके […]

बोकारो : श्रम कानूनों में संशोधन के नाम पर नरेंद्र मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर लगातार हमले कर रही है. कॉरपोरेट व नियोक्ता संगठनों की मांग पर फैक्ट्री कानून 1948 में बदलाव किये गये हैं. इसके अलावा अप्रेंटिस एक्ट-1961 व श्रम कानून में संशोधन सहित कई संशोधन कराने में सरकार कामयाब हो गयी है. इसके तहत कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने पर छूट मिली है. लोकसभा और राज्यसभा में सरकार ने इस संशोधनों को बड़ी आसानी से पारित करा लिया. इसके अलावा बाल व किशोर श्रम, निषेध व नियमन कानून 1986 को भी मजदूर वर्ग के लिए घातक संशोधनों के साथ पारित किया जा चुका है.
यह बातें एटक के राष्ट्रीय महामंत्री अमरजीत कौर ने शनिवार को बोकारो में कही. ऑल इंडिया स्टील वर्कर्स फेडरेशन का वार्षिक दो दिवसीय सम्मेलन गया सिंह सभागार सेक्टर-1 एचएससीएल क्लब में शुरू हुआ. सबसे पहले झंडोत्तोलन के बाद शहीद वेदी पर पुष्पांजलि दी गयी. आठ सदस्यीय अध्यक्ष मंडली ने सम्मेलन का संचालन किया. इसमें बोकारो स्टील प्लांट से 100, विशाखापट्नम स्टील प्लांट से 70, भिलाई से 16, दुर्गापुर से 14, बर्नपुर से 15, राउरकेला से 10 व विभिन्न माइंस से लगभग 70 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. मुख्य अतिथि ने कहा : सरकार महिला सशक्तीकरण का बड़ा नाम लेती है. लेकिन, श्रम कानूनों में उसने ऐसे संशोधन कर दिये हैं, जिससे महिला मजदूरों को हरेक पाली में काम करना होगा और ऐसी जगहों पर भी काम करना होगा, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो.
फैक्टरी कानून में काम के घंटे बढ़ाने तक की बात : एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा : फैक्टरी कानून में काम के घंटे बढ़ाने तक की बात हो रही है. ओवर टाइम के घंटे तीन महीने में 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करने का संशोधन प्रस्तावित है. इसके अलावा नियोक्ताओं को यह अधिकार दिया जा रहा है कि मजदूरों का साप्ताहिक अवकाश वह किसी खास कार्य क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता के आधार पर तय करेंगे. संशोधन मजदूरों के काम के घंटे बढ़ाने और यूनियन बनाने से रोकने की दिशा में कानूनी आधार तैयार करने की बर्बरतापूर्ण कोशिश है. इनसे औपचारिक क्षेत्र के मजदूरों और औपचारिक अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले मजदूरों व औपचारिक अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले मजदूरों पर प्रभाव पड़ेगा.
… तो सभी मजदूर ठेका/कैजुअल मजदूर हो जायेंगे : एटक के राष्ट्रीय सचिव विद्यासागर गिरी ने कहा : सरकार में मजदूर विरोधी कदमों के सिलसिले में उसका नवीनतम फैसला है ‘फिक्स्ड टर्म एम्पलायमेंट’ लागू करना, जिसे बजट के जरिये वित्त बिल के तौर पर पारित कराया गया. इससे लगभग सभी मजदूर ठेका/कैजुअल मजदूर हो जायेंगे, जो ठेका मजदूर वर्षों से काम करते आये हैं, उन्हें भी कोई रोजगार सुरक्षा नहीं होगी. दुकान प्रतिष्ठान संशोधन बिल एक अन्य कानून है, जिसे सरकार राज्यों पर एक परामर्श के तौर पर थोपने के लिए लायी है. इससे न केवल खुदरा व्यापार पर असर पड़ेगा, बल्कि वह इस क्षेत्र में काम करनेवाली श्रम शक्ति के लिए और भी कठिन रोजगार स्थितियां पैदा करेगा. सरकार मजदूर हित की उपेक्षा कर रही है.
असली इरादा मजदूरों के अधिकारों में कटौती करना : ऑल इंडिया स्टील वर्कर्स फेडरेशन महासचिव आदि नारायणन ने कहा : मोदी सरकार यूनियनों के साथ संवाद मे विश्वास नहीं करती, द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय वार्ता तंत्र का सम्मान नहीं करती और श्रम कानूनों व ट्रेड यूनियनों को वृद्घि एवं विकास में रूकावट समझती है. ‘बिजनेस को आसान बनाने’ के इस सरकार के उद्देेश्य के पीछे असली इरादा मजदूरों के अधिकारों में कटौती करना है और इस काम को श्रम संशोधनों के नाम पर किया जा रहा है. इसी मकसद के लिए सरकार वर्तमान 44 कानूनों के स्थान पर 4 लेबर कोड लेकर आयी है. देखने में तो लगता है कि इसमें कोई बुराई नहीं, परंतु उनका मकसद मजदूरों और उनकी ट्रेड यूनियनों पर हमला करना, यूनियनों के कामकाज को मुश्किल में डालना आदि है.
मौके पर झाररखंड एटक के महांमत्री पीके गांगुली ने भी संबोधित किया. बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. कहा : इस्पात मजदूरों का पे-रिविजन, पेंशन स्कीम लंबित है. बहाली बंद है. सेल में लिव इनकेशमेन्ट को भी बंद रखा है. ठेका मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है. समान काम के लिए समान वेतन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पालन नहीं हो रहा है.
ठेका मजदूरों को पेंशन व ग्रेच्युटी जैसी सुविधा से वंचित रखा गया है. बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष एके अहमद ने कहा : सरकार की नीतियों के विरुद्ध जनता गोलंबद हो रही है. मजदूरों में असंतोष व्याप्त है. एटक ट्रेड यूनियनों के एकताबद्ध आंदोलन में अपनी भूमिका अदा कर रही है.सम्मेलन में सीटू के बीडी प्रसाद, विस्थापित नेता गुलाबचंद्र, एक्टू के देवदीप सिंह दीवाकर, बैंक ऑफ इंडिया के एसएन दास, मोहन चौधरी आदि मौजूद थे.

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