वर्षा जल के संचय से संवरेगी सैकड़ों किसानों की किस्मत
बोकारो : वर्षा हुई, कम हुई, वर्षा देर से हुई, गर्मी ज्यादा रही… मानसून संबंधी ऐसे कई कारण है, जिससे कृषि कार्य प्रभावित होती है. लेकिन, अब खेती के आगे मानसून की कमी की एक नहीं चलेगी. पानी की कमी को दूर करने के लिए नाबार्ड का जलछाजन कार्यक्रम कृषकों के लिए राहत भरा होगी. […]
बोकारो : वर्षा हुई, कम हुई, वर्षा देर से हुई, गर्मी ज्यादा रही… मानसून संबंधी ऐसे कई कारण है, जिससे कृषि कार्य प्रभावित होती है. लेकिन, अब खेती के आगे मानसून की कमी की एक नहीं चलेगी. पानी की कमी को दूर करने के लिए नाबार्ड का जलछाजन कार्यक्रम कृषकों के लिए राहत भरा होगी. बोकारो में इसकी शुरूआत भी कर दी गयी है. पेटरवार प्रखंड के कोह, घटकुली व कोरदाना गांव से योजना की नींव रखी गयी है. शुरुआती योजना से 576 कृषक परिवार को फायदा मिलेगा.
योजना से ना सिर्फ वर्षा जल का संचयन होगा, बल्कि मिट्टी के कटाव को भी रोका जायेगा. दरअसल योजना रीच टू वैली सिद्धांत के अनुसार
तैयार किया गया है. इसमें ऊंचाई से आने वाले जोरिया के पानी को तालाब के जरिये संग्रहित की जायेगी. इससे पानी का बहाव कम होने के साथ-
साथ संग्रह बढ़ेगा. तालाब निर्माण खेतीहर भूमि के नजदीक होगा, ताकि भविष्य में पानी का इस्तेमाल आसानी से हो सके.
बहुफसलीय खेती करना होगा संभव, आय होगी दोगुनी
खेत के नजदीक जल प्रबंधन होने से किसानों के लिए एक से ज्यादा फसल की खेती करना संभव होगा. फसल चक्रीय पद्धति की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. नाबार्ड बोकारो के सहायक महाप्रबंधक अजय साहु की माने तो योजना पांच मूल लक्ष्य को ध्यान में रख कर बनाया गया है. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व उपयोग, कम वर्षा की स्थिति में भी संपूर्ण खेती, किसानों की आय दोगुनी करना व भूमिगत जल को रिचार्ज करना उद्देश्य है.
मंझोले आकार व बड़ा नाला में बनेगा चेकडैम
श्री साहु ने बताया : योजना चार साल में पूरी होगी. जिला के सभी किसान को इससे लाभ मिलेगा. इसके तहत मंझौला व बड़ा नाला में चेकडैम बनाया जायेगा. चेकडैम बनाने की लागत कम हो इसका भी ख्याल रखा जायेगा. खाली ड्राम में कंक्रीट डाल कर चेकडैम बनाया जायेगा. इससे वर्षा का पानी संरक्षित हो सकेगा. बताया : इस तरह की योजना बोकारो में पहली बार बनाया गया है. इन चैकडेम के किनारे सब्जी की खेती पर फोकस किया जायेगा.