हैं संवेदनहीन अधिकारी-जनप्रतिनिधि
परिचर्चा में सामने आया चास के लोगों का दर्द, कहाप्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीJayant Chaudhary: क्या है ऑरवेलियन-1984, जिसका मंत्री जयंत चौधरी ने किया है जिक्रJustice Yashwant Varma Case: कैसे हटाए जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज?Spies In Mauryan Dynasty : मौर्य काल से ही चल रही है ‘रेकी’ की परंपरा, आज […]
परिचर्चा में सामने आया चास के लोगों का दर्द, कहा
बोकारो : अधिकारी व जनप्रतिनिधि चास में रहते हीं नहीं है. अगर वह चास में रहेंगे, तब उन्हें यहां के लोगों के दर्द का एहसास होगा. वे संवेदनहीन हो गये हैं. बोकारो का उपनगर चास उपेक्षित है. सालों से समस्या जस की तस बनी हुई है. चास जलापूर्ति योजना वर्ष 1977 में बनी थी. लेकिन, आज तक यह योजना धरातल पर नहीं उतर पायी. आज भी चास के लोग पानी खरीद कर पी रहे हैं.
नया गरगा पुल वर्षो से बन रहा है. लेकिन, आज तक यह पुल नहीं बन पाया है. पुल निर्माण में लगे कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. आखिर क्या कारण है कि निर्धारित समय पर पुल का निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है? गरगा पुल चास ही नहीं, वरन पूरे झारखंड की लाइफ लाइन है. नये पुल का निर्माण नहीं होने से जाम की समस्या आम हो गयी है. बिजली को लेकर कुछ दिनों पूर्व जनआंदोलन हुआ. लोग 22 घंटे सड़क पर डटे रहे. यह इतिहास बना. इसके बावजूद बिजली की समस्या जस की तस है.
गंदगी का आलम यह है कि जब भी हल्की बारिश होती है, नाली का कचड़ा सड़क व घर में चला आता है. चास की आबादी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन सुविधा में कोई वृद्धि नहीं हो रही है. यह है बोकारो के उपनगर चास का दर्द. रविवार को सिटी सेंटर सेक्टर-4 स्थित ‘प्रभात खबर’ कार्यालय में ‘चास में बिजली, पानी, गंदगी व नया गरगा पुल’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें चास वासियों का दर्द खुल कर सामने आया. उपस्थित लोगों ने समस्या का समाधान नहीं होने का कारण अधिकारी व जनप्रतिनिधि की उदासीनता को बताया.