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बेरमो : झारखंड आंदोलन में जान फूंकी थी झामुमो ने

झामुमो के स्थापना दिवस पर विशेष झामुमो गठन के सूत्रधार थे बिनोद बिहारी, शिबू सोरेन व एके राय 1980 में झामुमो के थे 11 विधायक और दो सांसद बेरमो से बाघमारा रैली में गया पांच सौ वाहनों का काफिला राकेश वर्मा, बेरमो : झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन 4 फरवरी […]

झामुमो के स्थापना दिवस पर विशेष
झामुमो गठन के सूत्रधार थे बिनोद बिहारी, शिबू सोरेन व एके राय
1980 में झामुमो के थे 11 विधायक और दो सांसद
बेरमो से बाघमारा रैली में गया पांच सौ वाहनों का काफिला

राकेश वर्मा, बेरमो : झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन 4 फरवरी 1973 में शिवाजी समाज के संस्थापक विनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन व एके राय की अगुआई में हुआ था. सीपीएम से असंतोष के बाद ही उन्होंने एक क्षेत्रीय पार्टी बनाने का निर्णय लिया.

कहते हैं उस वक्त बिनोद बाबू के सरायढेला स्थित आवास पर 10-15 लोगों ने जुटकर झामुमो का गठन किया था. झामुमो के पहले अध्यक्ष बिनोद बिहारी महतो और सोनोत संताल समाज के संस्थापक शिबू सोरेन महासचिव चुने गये थे.

झामुमो के गठन में मार्क्सवादी को-ऑर्डिनेशन कमेटी के संस्थापक व मजदूर नेता एके राय के अलावा झामुमो नेता स्व टेकलाल महतो और स्व निर्मल महतो की अहम भूमिका थी.

गांवों-कस्बों में झामुमो की मजबूती बरकरार : झामुमो के गठन का उद्देश्य झारखंड अलग राज्य के आंदोलन से सभी वर्गों को जोड़कर उसमें जान फूंकना था. इससे पहले महाजनी प्रथा से त्रस्त संताल समाज के लोगों की दयनीय हालत सुधारने के लिए शिबू सोरेन सोनत समाज संताल का गठन कर ग्रामीण इलाकों को जागरूक कर रहे थे.
झारखंड अलग राज्य निर्माण के मुद्दे पर सभी अगुआ एक विचारधार रखते थे. झारखंड अलग राज्य आंदोलन को व्यापक रूप और पहचाने दिलानेवाले जयपाल सिंह और एनइ होरो के नेतृत्व वाली झारखंड पार्टी और हुल झारखंड पार्टी के कांग्रेस में विलय होने या अन्य कारणों से झारखंड आंदोलन के बिखर जाने की वजह से आजादी के बाद करीब 60 व 70 के दशक में आंदोलन लगभग ठप हो गया था. इन दिग्गज नेताओं ने झामुमो की अगुआई में राज्य के सभी वर्ग को एकसूत्र किया.
ये नेता तीन दशक के लंबे संघर्ष की बदौलत झारखंड आंदोलन को नयी धार और नयी दिशा देने में सफल रहे. इस आंदोलन के कारण आज भी झारखंड के गांव-कसबों में झामुमो की आज भी मजबूत पकड़ कायम है. भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों के अथक प्रयास के बावजूद राज्य के सुदूर इलाके में जमे झामुमो को कमजोर करना संभव नहीं हो पाया है.
झामुमो में होता रहा मतभेद व बिखराव : 1975 में आपातकाल के दौरान बिनोद बिहारी महतो को मीसा के तहत गिरफ्तार कर भागलपुर जेल भेज दिया गया था. एके राय व शिबू सोरेन भी जेल भेज दिये गये. बिनोद बिहारी 19 माह तक भागलपुर जेल में रहे. कहते हैं ’80 के दशक में जब झारखंड अलग राज्य का आंदोलन परवान पर था तो उस वक्त धनबाद के उपायुक्त केबी सक्सेना ने झामुमो के उस वक्त के एक कद्दावर नेता को एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगरनाथ मिश्रा से मिलवाया था.
डॉ मिश्रा ने उक्त नेता को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी से मिलवाया था. 1980 में झामुमो को विधानसभा चुनाव में 11 सीटें तथा लोस चुनाव में दो सीटें (शिबू सोरेन व एके राय) मिलीं. 1983-84 में झामुमो में मतभेद हुआ तथा झामुमो से बिनोद व शिबू गुट अलग-अलग हो गये. झामुमो के एक गुट के अध्यक्ष बिनोद बिहारी महतो व महासचिव टेकलाल महतो तो दूसरे गुट के अध्यक्ष निर्मल महतो, महासचिव शिबू सोरेन तथा उपाध्यक्ष सूरज मंडल बने.
1987 में निर्मल महतो की हत्या के बाद दोनों गुट एकबार फिर एक हो गये. 1989 के लोकसभा चुनाव में झामुमो के तीन सांसद थे और 19 विधायक हुआ करते थे. 1991 के लोस चुनाव में झामुमो के छह सांसद हो गये. 1992 में एक बार फिर से झामुमो बिखरा. इसके बाद शिबू सोरेन 10 विधायक व चार सांसद के साथ अलग हो गये. दूसरे गुट के नेता कृष्णा मार्डी दो सांसद व नौ विधायक के साथ अलग हो गये. वर्ष 1999 में झामुमो के कुछ पुराने नेताओं की पहल से झामुमो एक बार फिर से एक हो गया.
2018 में बना झामुमो (उलगुलान) : वर्ष 2018 में एक बार फिर से झामुमो मार्डी गुट अलग हो गया. इस गुट का नया नामकरण झामुमो उलगुलान किया गया. फिलहाल इसके अध्यक्ष पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी तथा महासचिव झामुमो के काफी पुराने नेता बेनीलाल महतो हैं. इस गुट में झामुमो नेताओं की एक लंबी फौज है.
इसमें बिनोद बाबू के पुत्र चंद्रशेखर महतो, पूर्व विधायक शिवा महतो, सूरज सिंह बेसरा, अर्जुन राम, पूर्व एमएलसी छत्रपति शाही मुंडा सहित कई लोग शामिल हैं. यह गुट चार फरवरी को अलग से अपनी पार्टी का स्थापना दिवस मनायेगा.
ऊंचा ओहदा मिला झामुमो नेताओं को : झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन केंद्र में दो बार कोयला मंत्री बने तो झारखंड के तीन बार सीएम बने. शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन झारखंड में भाजपा की अर्जुन मुंडा सरकार में डिप्टी सीएम के बाद एक बार मुख्यमंत्री बने. एकीकृत बिहार सरकार में एक बार कुछ दिनों के लिए स्टीफन मरांडी डिप्टी स्पीकर बने तो 1980 में छत्रपति शाही मुंडा एमएलसी बने.
इसके अलावा झामुमो नेता शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो, एके राय, साइमन मरांडी, कृष्णा मार्डी, सुनील महतो, सुमन महतो (स्व सुनिल महतो की पत्नी), राजकिशोर महतो के अलावा ओड़िशा के मयूरभंज से सुदाम मरांडी सांसद बने.
विस क्षेत्र के पांच प्रखंडों से कांग्रेस व राकोमसं के पदाधिकारी व कार्यकर्ता हुए शामिल
बेरमो. बाघमारा में कांग्रेस की आहूत ‘कांग्रेस लाओ, देश बचाओ’ महारैली में रविवार को पूरे बेरमो विधानसभा क्षेत्र से लगभग पांच सौ से ज्यादा चारपहिया वाहनों के काफिला में कार्यकर्ताओं ने शिरकत की. इनमें कांग्रेस, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, असगंठित इंटक, राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के सारे पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल थे. इनमें लोगों की संख्या करीब पांच हजार थी.
हरिणा से किया पैदल मार्च : महारैली में शामिल होने पहुंचे कार्यकर्ता बाघमारा से पहले हरिणा चौक से युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमार जयमंगल सिंह के नेतृत्व में पैदल मार्च करते हुए कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे. बेरमो से कांग्रेस व इंटक के दिग्गज नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह के अलावा युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुमार गौरव के अलावा कांग्रेस युवा कांग्रेस तथा महिला कांग्रेस के सभी प्रखंड अध्यक्ष व महामंत्री, राकोमसं बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया के अध्यक्ष व सचिव के अलावा सारे पदाधिकारी व सदस्य, बीटीपीएस व सीटीपीएस से जुडे डीवीसी कर्मचारी संघ के पदाधिकारी व सदस्य समेत कई लोग शामिल थे.
लोगों ने रैली को एतिहासिक बताया : महारैली के बहाने राजेंद्र सिंह की यह उपस्थिति धनबाद लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी से जोड़कर देखी जा रही है. लोस चुनाव को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में भी राजेंद्र सिंह व उनके पुत्र कुमार जयमंगल सिंह ने एक नया उत्साह भरा है. बेरमो प्रखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह ने रैली को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि बेरमो विस से सैकड़ों वाहनों के काफिला में पांच हजार से ज्यादा कांग्रेस व इंटक के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने शिरकत की.
इघर, राकोमसं ददई गुट के सैकड़ों लोग बेरमो से बाघमारा रैली में शरीक हुए. राकोमसं नेता अजय कुमार सिंह के नेतृत्व में कथारा से कई वाहनों में सवार होकर लोग रैली में पहुंचे. इनमें मुख्य रूप से राकोमसं नेता उदय प्रताप सिंह, एपी सिंह, मंगरा उरांव, उधेश दुबे, मो जानी, मो फारुख सहित कई नेता रैली में शामिल हुए.
कांग्रेस की रैली में राकोमसं के सैकड़ों गये
गांधीनगर. बाघमारा में रविवार को आहूत कांग्रेस की रैली में राकोमसं के बोकारो कोलियरी तथा खासमहल कोनार शाखा के सैकड़ों सदस्य 100 गाड़ियों के काफिले के साथ बाघमारा गये. संडे बाजार फुटबॉल मैदान से रैली के साथ सभी बाघमारा रवाना हुए. बाघमारा जाने वालों में राकोमसं के एरिया अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह, किशोरी शर्मा, अभय कुमार सिंह, जीसी मंडल, तापस राय, उज्जवल चक्रवर्ती, राजू मिश्रा, हरि मोहन सिंह, किशुन गोप, सनत कुमार, राजेश सिंह, आनंद घासी, महादेव घासी, नन्हे मल्लिक, दिलीप रवानी, जितेंद्र पासवान, सुनील कुमार शर्मा, भास्कर सिंह, मनोज सिंह, फुलचंद महतो, तिलक कुमार, मुकेश तांती, शेर मोहम्मद, पीर बख्श, पप्पू रवानी, रामचंद्र ठाकुर आदि शामिल थे.
‘कांग्रेस लाओ देश बचाओ’ महारैली में कांग्रेस का दिखा दम
फुसरो. बाघमारा रवाना होने से पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री सह पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह से मिलने ढोरी स्टॉफ क्वार्टर स्थित उनके आवास पहुंचे. यहां से पूर्व मंत्री श्री सिंह ने रैली को रवाना किया गया. रैली का नेतृत्व इंटक के राष्ट्रीय सचिव व युवा कांग्रेस झारखंड के पूर्व अध्यक्ष अनुप सिंह ने किया.
रैली में शामिल होने प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष कुमार गौरव अपने हजारों समर्थकों के साथ शामिल हुए. ढोरी स्टॉफ क्वार्टर में रैली रवाना होने से पूर्व युवा कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष अनुप सिंह ने लोगों को संबोधित किया. फुसरो से भंडारीदह, चंद्रपुरा होते हुए बाघमारा आयोजन स्थल पहुंची. वहीं फुसरो नप अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष छेदी नोनिया, बेरमो प्रखंड अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, बोकारो थर्मल के राकेश सिंह आदि कांग्रेस के पदाधिकारी अपने समर्थकों के साथ महारैली में शामिल हुए.

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