बीएसएल के अच्छे दिन आने वाले हैं : मैत्र

बोकारो: सीआरएम-3 का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. 2014-15 के आरंभिक दौर में ही इसके परिचालन में आ जाने की संभावना है. सीआरएम-3 से परिचालन आरंभ हो जाने से बीएसएल को मूल्य संवद्र्घित इस्पात बाजार में अच्छे अवसर प्राप्त हो सकेंगे. साथ ही सीआरएम-1 व 2 के मरम्मत कार्य को पूरा करने में भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2014 10:35 AM

बोकारो: सीआरएम-3 का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. 2014-15 के आरंभिक दौर में ही इसके परिचालन में आ जाने की संभावना है. सीआरएम-3 से परिचालन आरंभ हो जाने से बीएसएल को मूल्य संवद्र्घित इस्पात बाजार में अच्छे अवसर प्राप्त हो सकेंगे.

साथ ही सीआरएम-1 व 2 के मरम्मत कार्य को पूरा करने में भी सहूलियत होगी. कोक अवन बैटरी 4 व 5 के मरम्मत के बाद अब बैटरी संख्या 6 का मरम्मत भी किया जा रहा है. इससे बीएसएल अपनी कोक व कोक अवन गैस की आवश्यकताओं की पूर्ति में और भी आत्मनिर्भर बन सकेगा. ये बातें बीएसएल सीइओ अनुतोष मैत्र ने सोमवार को पत्रकार सम्मेलन में कही. श्री मैत्र ने बीएसएल की प्राथमिकता, प्लान व स्थिति पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला.

श्री मैत्र ने कहा : संयंत्र में जारी सुरक्षा जागरूकता अभियान से कर्मियों में व्यवहार आधारित सुरक्षा स्थापित करने के प्रयासों में भी मदद मिलेगी. कुल मिलाकर वित्तीय वर्ष 2013-14 बोकारो स्टील के लिये काफी उत्साहजनक रहा. संयंत्र परिचालन में समग्र रूप से आयी बेहतरी इस बात का संकेत है कि 2014-15 में बीएसएल क्षमता उपयोग में भी वृद्धि हासिल कर दृढ़ता के साथ आगे बढ़गी.

राउरकेला की घटना के बाद बीएसएल में सुरक्षा व सतर्कता बढ़ा दी गयी है. बीएसएल कर्मी सहित ठेका मजदूरों को सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. सुखद यह है कि इसका परिणाम अच्छा आ रहा है.

सिंदरी में अतिक्रमण भूमि है समस्या

श्री मैत्र ने कहा : सिंदरी में नया प्लांट लगाने के लिए सेल एफसीआइ के साथ आगे बढ़ रहा था. फिलहाल, एफसीआइ ने हाथ पीछे खींच लिया है. सेल को फर्टिलाइजर के क्षेत्र में अनुभव नहीं है. इसलिए प्लांट खोलने में विलंब हो रहा है. इसके अलावा एक और बहुत बड़ी समस्या है जमीन पर अतिक्रमण. जब तक सेल को अतिक्रमणमुक्त जमीन नहीं नहीं मिलेगी, तब तक प्लांट लगाने की दिशा में काम नहीं होगा. इसलिए सिंदरी में नये प्लांट पर अभी कोई चर्चा नहीं हो रही है. बताया : बाजार में बीएसएल के उत्पाद की डिमांड है. कारण, उपभोक्ता को यह विश्वास है कि बीएसएल का इस्पात होगा तो अच्छा हीं होगा. इसलिए हम उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता पर भी विशेष जोर दे रहे हैं.

बियाडा को मिल रहा है कार्यादेश

श्री मैत्र ने कहा : बियाडा को कार्यादेश मिल रहा है. लेकिन, सभी ऑर्डर बियाडा को नहीं दिया जा सकता है. बीएसएल की स्थिति अब पहले जैसी नहीं है. कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करना है. कहा : नगर प्रशासन की व्यवस्था को दुरुस्त किया जायेगा. सेक्टरों में क्वार्टर की मरम्मत का कार्य होगा. बीजीएच में सुविधा बेहतर होगी. इसके लिए प्राथमिकता तय की जा रही है. कहा : प्लांट में 112 किलोमीटर गैस पाईप लाइन है. इसमें से 09 से 10 किलोमीटर पाइप लाइन को बदल दिया गया है, जो जजर्र हो गये थे. बताया : बीजीएच में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए प्राइवेट पार्टनर की तलाश है. बोर्ड से एप्रूवल मिल गया है. इस दिशा में प्रबंधन गंभीर है. मौके पर अधिशासी निदेशक की टीम उपस्थित थी.

2025 तक 14 मिलियन टन का बीएसएल

श्री मैत्र ने बताया : 750 करोड़ का लाभ कमाने का लक्ष्य है. इसके लिए सभी तरह से प्रयास किये जा रहे हैं. बीएसएल कर्मियों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. कारण, अब प्लांट में मात्र 17500 लोग ही रह गये हैं. इसलिए अब 42 हजार वाली सोच से काम नहीं चलेगा. इसके लिए आपसी दीवार को तोड़ना होगा. एकजुटता के साथ मिल कर काम करना होगा. प्रथम तिमाही का परिणाम उत्सावर्धक रहा है.

उम्मीद है कि निर्धारित लक्ष्य प्राप्त हो जायेगा. उत्पादन लागत पर अंकुश लगाया गया है. वर्ष 2017 तक 4.5 मिलियन टन का बीएसएल 5.5 मिलियन टन का हो जायेगा. उसके बाद 10 मिलियन और 2025 तक 14 मिलियन टन का बीएसएल होगा. क्रमवार विकास जारी है.

बीएसएल में विस्थापितों को नौकरी नहीं

श्री मैत्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा : बीएसएल में विस्थापितों को सीधे नौकरी नहीं मिलेगी. दुखद है कि बीएसएल में नियोजन की मांग को लेकर लगभग 45 संगठनों की ओर से तीन साल में 200 से अधिक धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ है. हम चाहते हैं कि कुछ करें. लेकिन, अगर कोई सीधे बीएसएल में नौकरी मांगेगा तो नहीं मिलेगी. बोकारो के आस-पास के लोगों को तरह-तरह का व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. क्षेत्र का विकास किया जा रहा है. युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. कहा : हमें प्रशासन, पुलिस व कोर्ट के सपोर्ट की जरूरत है. तभी हम स्टील का उत्पादन कर पायेंगे. सोच को बदलने की जरूरत है.

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