बोकारो : जिला जज जनार्दन सिंह की अदालत ने गुरुवार को सेक्टर चार सी निवासी छात्र सुधांशु कुमार उर्फ अंकित (11) का अपहरण कर उसकी हत्या करनेवाले तीन युवकों को फांसी की सजा सुनायी है. कोर्ट ने इसे रेयर ऑफ रेयरेस्ट केस माना है.
कोर्ट ने तीनों मुजरिमों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना की राशि मृतक अंकित के पिता को देने का निर्देश दिया है. मुजरिम सेक्टर 12 के पुलिस लाइन निवासी विवेक कुमार (25), सेक्टर-एक बी, धोबी मुहल्ला निवासी संजय कुमार रजक (26) व सेक्टर तीन इ निवासी संजीव कुमार है.
फिरौती वसूलने के बाद भी कर दी थी अंकित की हत्या : अंकित अपने मौसा अमलेश के घर पर रह कर पढ़ाई करता था. अमलेश कोयला क्षेत्र बोकारो डीआइजी के कार्यालय में रीडर थे. 26 नवंबर 2013 की शाम अंकित सेक्टर चार डी में शिक्षक के पास ट्यूशन पढ़ने आया था. इसी दौरान अपराधियों ने उसका अपहरण कर लिया. दो दिनों तक अंकित का कुछ पता नहीं चला. 28 नवंबर को अपराधियों ने फोन कर अंकित के अपहरण की जानकारी उसके मौसा को दी और 20 लाख रुपये फिरौती मांगी.
मोलभाव कर अंकित के रिहाई की कीमत पांच लाख रुपये में तय हुई. अपराधियों ने बिहार के मसौढ़ी स्थित तरगना मंदिर के पास फिरौती का रुपये लाने के लिए कहा. अपराधियों के बताये स्थान पर अंकित के परिजनों ने फिरौती की रकम पहुंचा दी. इसके बाद भी अपहर्उताओं ने बच्चे को रिहा नहीं किया.
डीएनए रिपोर्ट के आधार पर अंकित के कंकाल की हुई थी पुष्टि : अपराधियों को अंकित ने पहचान लिया था. अपराधियों को डर था की अंकित को छोड़ने के बाद वे पकड़े जा सकते हैं.
इस कारण फिरौती की रकम वसूलने के बाद भी अपराधियों ने अंकित को हजारीबाग जिला के गोरहर थाना क्षेत्र स्थित कलकतिया घाटी, कशियाडीह रोड किनारे हत्या कर शव को झाड़ियों के बीच छुपा दिया था. मोबाइल कॉल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने चार दिसंबर 2013 को विवेक को गिरफ्तार किया. विवेक के पास से फिरौती के रुपये में से डेढ़ लाख बरामद किये गये थे. विवेक ने पुलिस के समक्ष अंकित के अपहरण से लेकर हत्या तक की सारी कहानी बतायी.
विवेक के बयान के आधार पर अन्य अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने इस मामले में अपराधियों की निशानदेही पर अंकित का कंकाल हजारीबाग जिला के गोरहर थाना क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे से बरामद किया था. डीएनए रिपोर्ट के आधार अंकित के कंकाल की पुष्टि हुई थी. घटना के उद्भेदन में तत्कालीन थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही.