सुनील तिवारी, बोकारो
बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल कर्मियों को वेज रिवीजन के लिए अभी वेट करना होगा. पेंशन के लिए कर्मियों को पेसेंस रखना होगा. कारण, अर्थव्यवस्था में मंदी से सेल की स्थिति और खराब हो गयी है. मंद अर्थव्यवस्था और सेल की कमजोर वित्तीय स्थिति के आगे सेल प्रबंधन ने घुटने टेक दिये हैं. प्रॉफिट में आने तक रिवीजन व पेंशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. 32 माह से वेतन समझौता लंबित है.
सेल प्रबंधन का कहना है कि वेतन देने के लिए प्रबंधन को हर माह उधार लेना पड़ रहा है. 31 अगस्त 2019 तक सेल बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों से 48343 करोड़ रुपये कर्ज ले चुका है. सरकार ने 19 जुलाई 2018 को नोटिफिकेशन जारी करके कहा है कि सरकार पेंशन फंड में कुछ भी नहीं देगी. लेकिन, कंपनी को उधारी लेकर पेंशन फंड में पैसा नहीं देना है. बल्कि लाभ की स्थिति में आकर अपने मुनाफे से पेंशन फंड में पैसा दिया जाना है.
छह प्रतिशत अंशदान पर भी स्पष्टता नहीं
सेल प्रबंधन ने पिछले वेतन समझौते के अनुसार पेंशन में अपना छह प्रतिशत अंशदान भी देने का कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया है. सेल चेयरमैन ने यह भी कहा कि अगला वेतन समझौता की अवधि 10 वर्ष का हो सकता है. जिस पर यूनियनों ने कड़ा प्रतिरोध व्यक्त किया. कहा कि 10 वर्ष का वेतन समझौता करने पर कभी सहमति नहीं बनी है. मतलब, वेज रिवीजन व पेंशन अभी होने की संभावना कम दिख रही है.
बीएसएल : मेडिक्लेम व पेंशन को लेकर टेंशन में हैं रिटायर कर्मी
मेडिक्लेम व पेंशन को लेकर बोकारो स्टील प्लांट के पूर्व कर्मी टेंशन में हैं. रिटायर कर्मी मांग को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुटे हैं. पेंशन योजना के क्रियान्वयन में अत्यधिक देरी से रिटायर कर्मियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. लंबे समय से प्रतीक्षित पेंशन योजना को निष्पादित करने में सेल प्रबंधन की अवहेलना से रिटायर कर्मी चिंतित हैं.
ईपीएस-95 मामले में पांच नवंबर 19 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख, बार-बार उठाये गये चिकित्सा समस्याओं पर प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया या कार्रवाई नहीं होना, मेडिक्लेम एजेंसी द्वारा तीन महीने की विस्तारित अवधि के लिए दावों का भुगतान न करना आदि को लेकर बीएसएल रिटायर कर्मियों में काफी रोष है.
प्रबंधन पर उपेक्षा का आरोप
रिटायर कर्मियों का कहना है कि बीएसएल प्रबंधन सेवानिवृत्त कर्मी की कठिनाइयों पर चर्चा करना उचित नहीं समझता है, जो कि एक परंपरा के रूप में पूर्व में बीएसएल के प्रमुखों द्वारा किया जा रहा था. प्रबंधन उपेक्षित करता है. बोकारो में रिटायर कर्मियों व अधिकारियों का अलग-अलग संगठन है. दोनों संगठन मांगों को लेकर आंदोलन का मूड बना रहे हैं.
सम्मानजनक पदनाम को ले नये आयाम की ओर बढ रहा है आंदोलन
बोकारो स्टील प्लांट के युवा डिप्लोमा इंजीनियर्स की टीम भूख हड़ताल की तैयारी में जुट गयी है. सम्मानजनक पदनाम को लेकर शुरू हुआ आंदोलन नये आयाम की ओर बढ़ रहा है. युवा कर्मचारियों के हड़ताल में जाने से बीएसएल के अहम विभाग प्रभावित हो सकते हैं. प्रबंधन को भी इसकी भनक है. इस वजह से प्रबंधन भी सजग है.
डिप्लोमा इंजिनियर्स 17 अक्टूबर 2019 को होने वाली भूख हड़ताल में सभी युवा को शामिल करने में जुटे हैं. इसको लेकर वह भोजन व चाय के समय विभाग के कर्मियों से मुलाकात कर रहे हैं. युवाओं की फौज एकजुट हो रही है, तो सूचना अधिकारियों तक भी पहुंच रही है. अधिकारी चाहते हैं कि किसी तरह से यह हड़ताल टल जाए. इंजीनियर के साथ वार्ता हो जाए.
ब्लास्ट फर्नेस व सीआरएम पर पड़ सकता है असर
बीएसएल के डिप्लोमा इंजीनियर्स जिस तरह से एक दिन अवकाश लेकर भूख हड़ताल करने के लिए बैठक कर रहे हैं. उससे सीआरएम-03, ब्लास्ट फर्नेस, हॉट स्ट्रीप मिल सहित अन्य विभागों पर असर पड़ सकता है. उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इसको देखते हुए प्रबंधन इनकी जगह विकल्प के तौर पर दूसरे कर्मियों की ड्यूटी लगाने पर विचार कर रहा है.