रंजीत कुमार, बोकारो : सुबह 11 : 15 बजे. कैंप दो सदर अस्पताल. ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार. चास की रहने वाली शिल्पी मंडल चिकित्सक से दिखाने के बाद दवा काउंटर पर आती है. तीन दवा में से दो दवा मिलती है. एक दवा एमोक्सोसिलीन नहीं मिलती है. दवा काउंटर पर मौजूद फार्मासिस्ट बाहर से खरीदने की सलाह देते हैं. यह हाल किसी एक मरीज का नहीं था.
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सदर अस्पताल में सर्दी-खांसी की दवा भी नहीं
रंजीत कुमार, बोकारो : सुबह 11 : 15 बजे. कैंप दो सदर अस्पताल. ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार. चास की रहने वाली शिल्पी मंडल चिकित्सक से दिखाने के बाद दवा काउंटर पर आती है. तीन दवा में से दो दवा मिलती है. एक दवा एमोक्सोसिलीन नहीं मिलती है. दवा काउंटर पर मौजूद फार्मासिस्ट बाहर […]
सुबह 11:15 से अपराह्न 01:30 तक यही नजारा बना रहा. टुपरा के राजेंद्र रजवार, सोलागीडीह के चंदेश्वर प्रसाद, तेलीडीह के महेश हजाम, कैंप दो के अभिषेक कुमार, सेक्टर नौ के विवेक कुमार, सेक्टर चार के संजय कुमार सहित दर्जनों मरीजों के साथ भी यही स्थिति बनी रहीं. सभी की पर्ची में लिखी दवा आधी मिली, तो आधी खरीदने की सलाह दी गयी. परेशान मरीज लौट गये.
अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में जरूरी दवा भी उपलब्ध नहीं है. दवा काउंटर के समीप 54 दवाओं की सूची टांग दी गयी है. पर आधा से अधिक दवा अनुपलब्ध है. खांसी-सर्दी की सिरप, पैरासिटामोल सिरप, एमोक्सोसलीन जैसी दवा भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. आंख, स्कीन, एंटीडायरियल, मल्टी विटामिन, कैल्शियम आदि के लिए भी मरीज को बाहर की दवा दुकानों का सहारा लेना पड़ रहा है. अस्पताल में इक्का-दुक्का जेनरिक दवा उपलब्ध है. इस कारण जेनरिक दवा कक्ष में ताला बंद कर दिया गया है.
फार्मासिस्ट काउंटर पर उपलब्ध नहीं है. सदर अस्पाल में सात ओपीडी चलती है. जो सुबह नौ बजे से तीन बजे तक खुली रहती है. आंख, दांत, जेनरल, हड्डी, स्कीन, शिशु, स्त्री एवं प्रसूति रोग के मरीजों की जांच होती है. रोजाना अस्पताल में लगभग साढ़े पांच सौ मरीजों की जांच होती है. ऐसे में दवा नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आने वाले मरीज कहते हैं कि दवा नहीं मिलने के कारण आना व्यर्थ हो जाता है.
केस स्टडी – वन
पिंड्राजोरा थाना क्षेत्र के टुपरा निवासी राजेंद्र रजवार को कमजोरी की शिकायत थी. कई चिकित्सक से दिखाया. मल्टी विटामिन लेने की सलाह दी गयी. पर्ची लेकर जाने पर काउंटर से लौटा दिया गया. बाहर से लेने की सलाह दी गयी. जेनरिक काउंटर पर भी दवा नहीं मिली. दवा के अभाव में कई बार अस्पताल से लौटे हैं.
केस स्टडी – दो
चास के सोलागीडीह निवासी चंदेश्वर प्रसाद को सिर में चक्कर आने की शिकायत थी. चिकित्सक ने चार तरह की दवा लिखी. चक्कर कम करने वाली जो महत्वपूर्ण दवा थी. वह दवा काउंटर से नहीं मिली. श्री प्रसाद ने बताया कि कई बार से उन्हें दवा नहीं मिल रही है. जब बाहर से खरीदना था, तो बाहर ही इलाज करा लेते.
केस स्टडी – तीन
चास थाना क्षेत्र के तेलीडीह निवासी महेश हजाम अपनी पत्नी को दिखाने आये थे. पत्नी को पेट दर्द की शिकायत थी. शरीर में खून की कमी के कारण परेशानी हो रही थी. चिकित्सक ने प्रोटीन व कैल्शियम दवा लेने की सलाह दी. एक भी दवा अस्पताल में नहीं मिला. श्री हजाम हर बार अस्पताल से बिना दवा के लौट जाते हैं.
केस स्टडी – चार
कैंप दो निवासी अभिषके कुमार अपने पुत्र को लेकर अस्पताल आये थे. बच्चे को बुखार की शिकायत थी. चिकित्सक ने जांच के बाद पैरासिटामोल सिरप लेने की सलाह दी. दवा काउंटर पर जाने के बाद दवा उपलब्ध नहीं मिली. फार्मासिस्ट ने श्री कुमार को बाहर से दवा लेने की सलाह दी. वे मायूस होकर अस्पताल से लौट गये.
अस्पताल में अनुपलब्ध दवाओं की सूची सिविल सर्जन स्तर से सरकार को भेज दी गयी है. दवा की खरीदारी विभागीय स्तर पर होती है. मुख्यालय से ही दवा उपलब्ध करायी जाती है. स्थानीय स्तर पर खरीदारी नहीं की जा सकती है. दवा का इंतजार किया जा रहा है. जल्द ही काउंटर पर दवा उपलब्ध करा दी जायेगी.
डॉ अर्जुन प्रसाद, सदर उपाधीक्षक, बोकारो.
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