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बीएसएल को हो सकता है कच्चे माल का संकट

बोकारो: झारखंड के अग्रणी औद्योगिक प्रतिष्ठानों में शुमार बोकारो इस्पात कारखाना एक विचित्र दुविधा का सामना कर रहा है. जनवरी 2014 में स्वर्ण जयंती पूरी कर चुका महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का यह अग्रणी सदस्य कच्चे माल की कमी से जूझ रहा है. क्या है मामला : सेल के रॉ मैटेरियल डिवीजन […]

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बोकारो: झारखंड के अग्रणी औद्योगिक प्रतिष्ठानों में शुमार बोकारो इस्पात कारखाना एक विचित्र दुविधा का सामना कर रहा है. जनवरी 2014 में स्वर्ण जयंती पूरी कर चुका महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का यह अग्रणी सदस्य कच्चे माल की कमी से जूझ रहा है.

क्या है मामला : सेल के रॉ मैटेरियल डिवीजन द्वारा संचालित झारखंड के किरिबुरू, मेघाहातुबुरू, गुआ और चिरिया स्थित खदानों से बीएसएल के लिए लौह अयस्क और तुलसीदामर से डोलोमाइट आता है. खदानों के इस्तेमाल के लिए राज्य सरकार का आदेश और पर्यावरण व वन मंत्रलय का फॉरेस्ट क्लियरेंस जरूरी होता है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार, एमएमडीआर ऐक्ट 1957 के सेक्शन 8 (3) के तहत माइनिंग लीज का द्वितीय नवीकरण अनिवार्य है. सेल की इन खदानों का फॉरेस्ट क्लियरेंस 13 अगस्त 2014 तक के लिए ही वैध है. अगर झारखंड सरकार लीज नवीकरण का आदेश नहीं देती है, तो फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलेगा. इससे एक सप्ताह बाद खनन रोकना पड़ेगा. इसका सीधा असर बीएसएल के उत्पादन पर पड़ेगा.

लीज नवीकरण का आवेदन सही प्रक्रिया के तहत : सेल की झारखंड स्थित खदानों के लीज नवीकरण का आवेदन सही प्रक्रिया के तहत समय पर दिया जा चुका है. सूत्रों की मानें तो इस्पात मंत्रलय और सेल के लगभग सभी शीर्ष अधिकारियों ने झारखंड सरकार के संबद्घ विभागों से लीज नवीकरण का औपचारिक व अनौपचारिक अनुरोध किया है. परंतु झारखंड सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहे हैं. हालांकि इस मामले में बीएसएल का कोई अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है.

बीएसएल से जुड़ी खदानों के फॉरेस्ट क्लियरेंस की तिथि 13 अगस्त तक है. बाकी यह मामला सेल कॉरपोरेट ऑफिस व सेल मंत्रलय से जुड़ा हुआ है. इससे अधिक कुछ भी बताने में असमर्थ हूं.

संजय तिवारी, सीओसी बीएसएल

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