महंगाई ने बिगाड़ा घरों की रसोई का बजट

बोकारो : सखी सैयां तो खूबै कमात हैं, महंगाई डायन खाये जात है… यह चर्चित फिल्मी गीत रील की जगह इन दिनों रियल लाइफ की कहानी बन गयी है. आम आदमी से उसकी कमाई के बारे में पूछने पर वह अक्सर यही कहता है कि दाल-रोटी चल जाती है. लेकिन अब शायद लोगों को यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2020 1:28 AM

बोकारो : सखी सैयां तो खूबै कमात हैं, महंगाई डायन खाये जात है… यह चर्चित फिल्मी गीत रील की जगह इन दिनों रियल लाइफ की कहानी बन गयी है. आम आदमी से उसकी कमाई के बारे में पूछने पर वह अक्सर यही कहता है कि दाल-रोटी चल जाती है. लेकिन अब शायद लोगों को यह जुमला बदलना पड़ेगा.

पिछले दो माह से आटा, सरसो तेल, दाल, चावल, चीनी, दूध जैसी अधिकतर जरूरी उत्पादों के बढ़ते भाव ने घर की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. बढ़ी महंगाई से हर तबका परेशान है. महंगाई की वजह से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है. महंगाई का सबसे ज्यादा असर गरीब व मध्य वर्गीय परिवार पर पड़ा है.

दाल, चावल और आटा से भरे रहने वाले किचन के डिब्बे महीना समाप्त होने के पहले खाली हो जाते हैं. औसतन पांच सदस्यों वाले परिवार का राशन का मासिक खर्चा पांच से छह हजार रुपये आता था, लेकिन अब बढ़ती महंगाई के कारण यह खर्च सात से लेकर आठ हजार तक पहुंच गया है.

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