राज्य सरकारों के चक्रव्यूह में फंस कर रह गयी है जैनामोड़-डुमरी सड़क की किस्मत

बोकारो जिला का सबसे अधिक व्यावसायिक इस्तेमाल होने वाली सड़क को 1956 से है अपडेट होने का इंतजार बोकारो : बोकारो जिला का सबसे अधिक व्यावसायिक इस्तेमाल वाली सड़क जैनामोड़-डुमरी पथ को माना जाता है. जिला से इस्पात, कोयला, एलपीजी समेत सभी अयस्क की ढुलाई इसी सड़क से होती है. बावजूद इसके सड़क की किस्मत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2020 1:43 AM

बोकारो जिला का सबसे अधिक व्यावसायिक इस्तेमाल होने वाली सड़क को 1956 से है अपडेट होने का इंतजार

बोकारो : बोकारो जिला का सबसे अधिक व्यावसायिक इस्तेमाल वाली सड़क जैनामोड़-डुमरी पथ को माना जाता है. जिला से इस्पात, कोयला, एलपीजी समेत सभी अयस्क की ढुलाई इसी सड़क से होती है.
बावजूद इसके सड़क की किस्मत जर्जर है. सड़क को लेकर विभिन्न सरकार की ओर से सपना तो खूब दिखाया गया, लेकिन हकीकत में बदहाली के अलावा कुछ नसीब नहीं हुआ. कभी सड़क को फोर लेन बनाने की बात कही गयी, तो कभी मजबूती की बात कही गयी. कभी पीपीपी मोड से निर्माण की बात कही गयी, तो कभी सरकारी तंत्र के इस्तेमाल की बात हुई. लेकिन, हुआ कुछ नहीं.
1956 में ही सड़क को फोरलेन बनाने लायक जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. झारखंड राज्य बनने के बाद से कई स्तरीय सर्वे का काम भी पूरा किया गया. विभिन्न दल की सरकार बनी व गयी, लेकिन समुचित काम नहीं हो पाया. हाल के दिनों में 2015 में तत्कालीन मुख्य मंत्री रघुवर दास ने लगभग 400 करोड़ की लागत से सड़क को फोर लेन बनाने की बात कही थी.
झारखंड एक्सलेरेटेड रोड डेवलपमेंट कॉरपोशन लिमिटेड (जेआरडीसीएल) को सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी गयी. जेआरडीसीएल दो साल में अपने स्तर से सर्वे का काम भी पूरा नहीं कर सकी. इसके बाद निर्माण कार्य से जेआरडीसीएल को मुक्त कर दिया गया. फिर पथ निर्माण विभाग को फोरलेन बनाने की जिम्मेदारी दी गयी.
पथ निर्माण विभाग की ओर से सर्वे पर युद्ध स्तर पर काम हुआ. कार्य योजना बना कर जमा कर दिया गया. 46.65 किमी सड़क को 20 मीटर चौड़ा बनाने व बीच में एक फुट का डिवाइडर बनाने की योजना बनी. 2018 में पथ निर्माण विभाग ने अनुमानित खर्च 400 करोड़ से अधिक का बताया. इसके बाद सरकार ने फंड की कमी की बात कह कर फोर लेन का सपना तोड़ दिया.
29 जुन 2019 को 42 करोड़ की लागत से सड़क को मौजूदा प्रारूप में ही मजबूत बनाने संबंधित शिलान्यास किया गया. कार्य शुरू हुआ. लेकिन, सरकार बदल गयी. वर्तमान हेमंत सरकार ने इस सड़क के निर्माण पर फिर से रोक लगा दी है.
तुपकाडीह से डुमरी तक स्थिति बदतर : पूर्व सरकार में सड़क के मजबूतीकरण का काम शुरू हो चुका था. पांच किमी से अधिक सड़क निर्माण हो भी गया था. सड़क की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि कोई भी वाहन टॉप गियर में नहीं चल सकता. तुपकाडीह से शुरू होने वाला गड्ढा का दौर डुमरी तक यूं ही चलते रहता है.
कहीं-कहीं से तो एक फुट से अधिक की गहराई वाहनों को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं. रही सही कसर उड़ती धूल पूरी कर देती है. बगल से हाइवा या मालवाहक वाहन गुजरने पर सड़क पर विजिब्लिटी शून्य हो जाती है. सड़क की स्थिति लोगों को वैकल्पिक मार्ग चुनने को विवश कर देता है.

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