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बीएसएल : पदनाम ”अटेंडेंट” से ”एसोसिएट” करने के प्रस्ताव पर भड़के कर्मचारी

सुनील तिवारी, बोकारो बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल में कर्मियों के ‘पदनाम’ का मामला सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है. बीएसएल सहित सेल कर्मी पदनाम ‘अटेंडेंट’ से ‘एसोसिएट’ करने के प्रस्ताव पर भड़क गये हैं. उधर, जूनियर इंजीनियर पदनाम की डिमांड कर रहे बीएसएल के डिप्लोमा इंजीनियर्स भी ‘इंजीनियरिंग एसोसिएट’ पदनाम का विरोध […]

सुनील तिवारी, बोकारो

बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल में कर्मियों के ‘पदनाम’ का मामला सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है. बीएसएल सहित सेल कर्मी पदनाम ‘अटेंडेंट’ से ‘एसोसिएट’ करने के प्रस्ताव पर भड़क गये हैं. उधर, जूनियर इंजीनियर पदनाम की डिमांड कर रहे बीएसएल के डिप्लोमा इंजीनियर्स भी ‘इंजीनियरिंग एसोसिएट’ पदनाम का विरोध कर रहे हैं. बोकारो इस्पात डिप्लोमाधारी यूनियन ने पदनाम प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए असहयोग आंदोलन तक की बात कही है.

बीएसएल कर्मियों के पदनाम की लड़ाई अब शांत होने की बजाय और तेज हो गयी है. ‘अटेंडेंट’ शब्द को हटाकर ‘एसोसिएट’ करने के प्रस्ताव पर बीएसएल सहित हर इकाई के कर्मचारी भड़क गये हैं. एनजेसीएस यूनियन के साथ ही सेल चेयरमैन पर भी नाराजगी जाहिर की जा रही है. जूनियर इंजीनियर की बजाय दूसरे शब्द का इस्तेमाल करने पर लंबे समय से पदनाम की लड़ाई लड़ रहे डिप्लोमा इंजीनियर्स भी नये पदनाम के प्रस्ताव से आक्रोशित दिख रहे हैं.

डिप्लोमा इंजीनियर्स उपेक्षित : संदीप कुमार

बोकारो इस्पात डिप्लोमाधारी यूनियन के अध्यक्ष संदीप कुमार का कहना है कि एनजेसीएस यूनियन व सेल प्रबंधन ने एक बार फिर मायूस किया है. अपेक्षा थी कि सकारात्मक रिजल्ट एनजेसीएस सब कमेटी की बैठक में आयेगा. उल्टे डिप्लोमा इंजीनियर्स की कार्य संस्कृति पर ही सवाल खड़ा किया गया है. इस बात से कर्मचारियों में काफी आक्रोश है. जूनियर इंजीनियर पदनाम की लड़ाई शुरू करने वालों को ही उपेक्षित कर दिया गया है. अब कोई शांत नहीं बैठने वाला.

पुराने कर्मचारियों में भी नाराजगी

पदनाम को लेकर डिप्लोमा इंजीनियर के साथ पुराने कर्मचारियों में भी नाराजगी है. वरिष्ठ कर्मचारियों ने अपने पदनाम के साथ न्याय नहीं होने का आरोप लगाया है. पुराने कर्मचारी को अभी तक कलस्टर-ए (एस-1 से 2) में अटेंडेंट कम जूनियर टेक्निशियन, कलस्टर-बी (एस 3-5) में टेक्निशियन, कलस्टर-सी (एस 6-8) में सीनियर टेक कम ऑपरेटिव व कलस्टर-डी (एस-9 से11) में सीनियर ऑपरेटिव दिया जा रहा है. नये पदनाम को लेकर कर्मी नाराज हैं.

पदनाम का मामला तूल पकड़ा

कलस्टर-ए से बी और बी से सी में जाने के लिए एक विभागीय परीक्षा उतीर्ण करनी होती है. कलस्टर-बी से सी जाने के लिए न्यूनतम योग्यता मैट्रिक है. इसमें मैनैजमेंट व यूनियन की सहमति थी कि कार्य अनुभव को पदोन्नाति का आधार बनाया जाए. सेल में प्रमोशन एकतरफा मिलता है. वहीं, आरआइएनएल में दो तरफा मिलता है. आरआइएनएल में प्रत्येक कलस्टर में अलग-अलग ग्रेड का पदनाम है. बीएसएल सहित सेल में पदनाम का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.

चार मार्च को समझौते पर हस्ताक्षर

नयी दिल्ली में शनिवार को डिप्लोमा इंजीनियर को जूनियर इंजीनियर पदनाम को लेकर हुई एनजेसीएस की सब कमेटी की बैठक में एस-1 से एस-11 तक के कर्मियों के पदनाम बदलने पर सहमति बनी. अब चार मार्च 2020 को वेज रिविजन को लेकर होने वाली एनजेसीएस की बैठक में पदनाम पर यूनियन व प्रबंधन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होंगे. इससे पहले ही नये पदनाम को लेकर विरोध शुरू हो गया है. अधिकारियों का पदनाम चार महीने पहले ही बदला जा चुका है.

डिप्लोमा संगठन सहमत नहीं : तिवारी

बोकारो इस्पात डिप्लोमाधारी यूनियन के महामंत्री एम तिवारी ने कहा कि नये पदनाम से डिप्लोमा संगठन सहमत नहीं है. हम डिप्लोमा इंजीनियर हैं. इसलिए जूनियर/सहायक/सेक्शन इंजीनियर के पदनाम के साथ कार्य करना चाहते हैं, ना कि इंजीनियरिंग सहायक बनकर. इस पदनाम का कोई अर्थ नहीं निकलता है. जो पदनाम आया है, उस पर प्रबंधन के साथ वार्ता करके इसमें सुधार की बात रखी जायेगी. सुधार नहीं होने पर सभी डिप्लोमा इंजीनियर अपने ग्रेड व क्लस्टर के अनुसार ही कार्य करेंगे. असहयोग आंदोलन चलाया जायेगा.

कर्मचारियों के साथ छल : प्रेम

भारतीय इस्पात कर्मचारी संघ के महामंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि सेल प्रबंधन व एनजेसीएस नेताओं ने कर्मचारियों के साथ छल किया है. नया पदनाम देकर तकनीशियन, ऑपरेटिव व वरीय ऑपरेटिव का सहयोगी बना दिया है. संघ नये पदनामा का विरोध कर है. कर्मचारियों में रोष है. इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा. डिप्लोमा धारियों को जूनियर इंजीनियर का पदनाम न देकर जूनियर इंजीनियरिंग एसोसिएट का पद प्रस्तावित किया है. नया पदनाम देकर स्पेशलाइजेशन को खत्म कर दिया है.

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