सिल्वर जुबली का आगाज, थिरका अयप्पा
बोकारो: बोकारो में गुरुवार को श्री अय्यपा पब्लिक स्कूल अपने 25 साल के सबसे ज्यादा उमंग और जोश में दिखा. ऊर्जा से लबरेज स्कूल प्रबंधन, बच्चे और अभिभावकों का और हौसला बढ़ाने के लिए युवा किक्रेट खिलाड़ी सौरभ तिवारी, कुमार देवब्रत और तीरंदाज मंगल सिंह चंपिया मौजूद थे. सुबह की पहली दौड़ और दिन भर […]
बोकारो: बोकारो में गुरुवार को श्री अय्यपा पब्लिक स्कूल अपने 25 साल के सबसे ज्यादा उमंग और जोश में दिखा. ऊर्जा से लबरेज स्कूल प्रबंधन, बच्चे और अभिभावकों का और हौसला बढ़ाने के लिए युवा किक्रेट खिलाड़ी सौरभ तिवारी, कुमार देवब्रत और तीरंदाज मंगल सिंह चंपिया मौजूद थे. सुबह की पहली दौड़ और दिन भर के कार्यक्रमों के बाद श्री अय्यपा स्कूल शाम को खूब थिरका. ऐसा शायद ही भारतीय संस्कृति की कोई नृत्य बची हो जिसपर स्कूली बच्चों ने कमाल न दिखाया हो.
इसके अलावा बाहर से भी आये कई डांस कलाकारों ने भी समां बांधा. रघुनाथपुर (पश्चिम बंगाल ) का छऊ नृत्य और डीआइडी डांस फेम रांची के कलाकारों ने लोगों को झूमने के लिए विवश कर दिया. सेक्टर पांच स्थित श्री अयप्पा पब्लिक स्कूल में चार दिवसीय सिल्वर जुबली (25 वां वर्षगांठ) कार्यक्रम की शुरुआत हुई. पहले दिन की शुरुआत प्रभात फेरी से की गयी.
इसमें अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी सौरव तिवारी, तीरंदाज के अजरुन अवार्ड से सम्मानित मंगल सिंह चंपिया, अंडर 19 के खिलाड़ी कुमार देवव्रत, विद्यालय चेयरमैन पीके श्रीधरन, निदेशक डॉ एसएस महापात्र, पूर्व निदेशक के वेणूगोपाल, प्राचार्या लता मोहनन, हैड मिस्ट्रेस जयंती नायर सहित दर्जनों लोग शामिल थे. प्रभात फेरी श्री अयप्पा मंदिर से चल कर सेक्टर पांच का एक चक्कर लगा कर पुन: विद्यालय प्रांगण पहुंचा. मौके पर प्रांगण में बने मंडप का उद्घाटन चेयरमैन पीके श्रीधरन ने किया. संध्या के समय विद्यालय के शिक्षिकाओं व छात्रओं ने एक से बढ़ कर एकल व समूह नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया. पीके श्रीधरन, डॉ एसएस महापात्र व प्राचार्या लता मोहनन ने विद्यालय के 25 वर्ष की गतिविधियों से लोगों को परिचित कराया.
सौरव तिवारी ने कहा : यह उम्र एंज्वाय करने का है. खूब मस्ती करें. यह भी ध्यान रखें कि माता-पिता व गुरुजन कभी निराश न होने पाये. इसके साथ ही खेल को कभी पीछे न छोड़े अभिभावक का पूरा-पूरा सहयोग लें और आगे बढे. मंगल सिंह चंपिया ने कहा : मेहनत करें कभी पीछे न हटें. मैंने तीरंदाजी के लिए पूरे सात साल मेहनत किया. आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं, तो इसका श्रेय मेहनत को ही जाता है. इसके साथ ही धीरज रखना भी सबसे बड़ी हिम्मत की बात है.