असम में बिछड़ी बोकारो में मिली नन्ही रुबिया

15 बोक 01-रुबिया को उसके पिता को सौंपते सीवीसी के सदस्य- कलेजे के टुकड़े को गले लगाते ही नाम हुई आंखेप्रतिनिधि, बोकारोअसम में अपने माता-पिता से बिछड़ी (नौ वर्ष) नन्ही रुबिया को बोकारो के बारी को-ऑपरेटिव कॉलोनी स्थित शिशु कल्याण केंद्र ने सोमवार को उसके पिता विनोद साह को सौंप दिया. विनोद हाजीपुर से आकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2014 8:01 PM

15 बोक 01-रुबिया को उसके पिता को सौंपते सीवीसी के सदस्य- कलेजे के टुकड़े को गले लगाते ही नाम हुई आंखेप्रतिनिधि, बोकारोअसम में अपने माता-पिता से बिछड़ी (नौ वर्ष) नन्ही रुबिया को बोकारो के बारी को-ऑपरेटिव कॉलोनी स्थित शिशु कल्याण केंद्र ने सोमवार को उसके पिता विनोद साह को सौंप दिया. विनोद हाजीपुर से आकर रु बिया को अपने साथ ले गये. बोकारो पहुंचने के बाद रुबिया के पिता की आंखों में आंसू छलक आये. उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगा लिया. पिता को देख रुबिया की आंखों में भी चमक आ गयी. छह माह पहले रुबिया असम में अपने परिजनों से बिछड़ गयी थी. वह भटकते हुए कोलकाता, उसके बाद फिर ट्रेन से धनबाद पहुंची. धनबाद से चाइल्ड लाइन नामक संस्था की मदद से रुबिया को बोकारो शिशु कल्याण केंद्र लाया गया. रुबिया के पिता ने कहा : वह असम में मजदूरी करने गये थे. वहीं बेटी बिछड़ गयी थी. बाल कल्याण समिति का सराहनीय प्रयास : रुबिया को माता-पिता से मिलाने में बोकारो के बाल कल्याण समिति का प्रयास सराहनीय रहा. जिला प्रशासन कोलकाता, हावड़ा राजकीय रेल पुलिस, व चाइल्ड लाइन हाजीपुर के सहयोग से रुबिया घर लौट पायी. बोकारो सीडब्लूसी के अध्यक्ष जनार्दन प्रसाद चौधरी व सदस्य डॉ प्रभाकर कुमार ने कहा : परिजनों को ढूंढने के लिए अखबारों के साथ-साथ सोशल मीडिया का इस्तेमाल कारगर है. मौके पर सुभाष कुमार, प्रीति श्रीवास्तव, अश्विनी कुमार आदि मौजूद थे.

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