आंदोलन की चिंगारी से सुलगता रहा बीएसएल
बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट का लोहा जहां एक ओर देश को मजबूती दे रहा है, वहीं दूसरी ओर बोकारो स्टील प्लांट अंदर ही अंदर विस्थापितों के आंदोलन को भी मजबूत करता जा रहा है. आज स्थिति यह है कि विस्थापित नियोजन व अपनी कुछ मांगों को लेकर कुछ भी करने को तैयार हैं और इसका […]
बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट का लोहा जहां एक ओर देश को मजबूती दे रहा है, वहीं दूसरी ओर बोकारो स्टील प्लांट अंदर ही अंदर विस्थापितों के आंदोलन को भी मजबूत करता जा रहा है. आज स्थिति यह है कि विस्थापित नियोजन व अपनी कुछ मांगों को लेकर कुछ भी करने को तैयार हैं और इसका हालिया उदाहरण है बीएसएल के डीजीएम एमके बुंदेला पर उनके ही घर में हमला. इसके बाद भी विस्थापितों ने हार नहीं मानी है और उच्चधिकारियों तक से र्दुव्यवहार की धमकी दे डाली.
आंदोलन को सफल बनाने के लिए तमाम विस्थापित संगठन एक होते दिख रहे हैं. फिलहाल विस्थापितों की ‘करो या मरो’ की नीति प्रबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो रही है. वहीं विस्थापितों के आंदोलन निबटने के लिए बीएसएल प्रबंधन जिला प्रशासन का सहारा ले रहा है.
कब-कब हुए आंदोलन
तीन जनवरी 2014 : विस्थापित युवा क्रांति दल के अध्यक्ष सहदेव साव के नेतृत्व में डीसी कार्यालय बोकारो के पास धरना दिया गया. मांगें थीं नियोजन व अन्य.
23 जनवरी : विस्थापित युवा क्रांति दल के बैनर तले नियोजन की मांग को लेकर विस्थापितों ने स्लैग डैम जाम किया. नेतृत्व दल के अध्यक्ष सहदेव साह ने किया.
26 जनवरी : झारखंड रक्षक मोरचा ने नियोजन व मूलभूत सुविधाओं की मांगों को लेकर प्रशासनिक भवन के पास टूटैंक गार्डेन तालाब पर जल सत्याग्रह आंदोलन किया. नेतृत्व मोरचा के केंद्रीय अध्यक्ष चंद्रकांत कुमार कुशवाहा ने किया.
02 जून : विस्थापित ऐश पौंड प्रभावित मोरचा की महिला अध्यक्ष अनीता सिंह के नेतृत्व में ऐश पौंड जाम.
03 जून : प्रबंधन के विरोध में विस्थापित ऐश पौंड प्रभावित मोरचा के कार्यकारी अध्यक्ष अजरुन रवानी के नेतृत्व में मशाल जुलूस.
26 जून : अपनी मांगों को लेकर झारखंड रक्षक मोरचा के बैनर तले विस्थापितों ने इडी शीतांशु प्रसाद के आवास के पास धरना दिया.
30 जून : तुपकाडीह के विस्थापितों ने विस्थापित युवा क्रांति दल के नेतृत्व में नहर काटो आंदोलन किया. आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ.
17 जुलाई : नियोजन को लेकर विस्थापित ऐश पौंड प्रभावित मोरचा ने डीसी कार्यालय पर धरना दिया.
15 अगस्त : झारखंड रक्षक मोरचा ने अपनी मांगों को लेकर प्रशासनिक भवन के पास टू टैंक गार्डेन तालाब पर फिर से जल सत्याग्रह आंदोलन किया. जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद जल सत्याग्रह समाप्त हुआ.
29 अगस्त : विस्थापित संयुक्त परिवार ने नौकरी ज्वाइन करने आये युवकों के साथ मारपीट कर अभ्यर्थियों का सर्टिफिकेट छीन कर फाड़ डाला. 20 अभ्यर्थी घायल हुए. पुलिस के डंडों से दर्जनों विस्थापित भी घायल हुए.
30 अगस्त : विस्थापित संयुक्त परिवार ने प्रबंधन के विरोध में मोटरसाइकिल जुलूस व सेक्टर चार स्थित मजदूर मैदान में इस्पात मंत्री व बीएसएल सीइओ का पुतला दहन किया.
01 सितंबर : नियोजन की मांग को लेकर विस्थापित संयुक्त परिवार के बैनर तले विस्थापितों ने प्लांट का गेट जाम किया. इस कार्यक्रम में 28 संगठन शामिल हुए. जिला प्रशासन ने त्रिपक्षीय वार्ता कराने का आश्वासन दिया.
08 सितंबर : ऐश पौंड से प्रभावित विस्थापितों ने नियोजन की मांग को लेकर विस्थापित ऐश पौंड प्रभावित मोरचा के अध्यक्ष देवाशीष सिंह के नेतृत्व में ऐश पौंड को अनिश्चित काल के लिए जाम किया.
08 अक्तूबर : विस्थापित ऐश पौंड प्रभावित मोरचा ने ऐश पौंड जाम किया. आश्वासन के बाद जाम हटा.
12 अक्तूबर : नियोजन को लेकर विस्थापित स्लैग कंपार्टमेंट समिति (प्रभावित) ने ऐश पौंड को अनिश्चित काल के लिए जाम किया. पुलिस प्रशासन ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया. आश्वासन के बाद जाम हटा.
23 दिसंबर : विस्थापित युवकों ने बीएसएल डीजीएम मृत्युंजय कुमार बुंदेला के साथ मारपीट की.
24 दिसंबर : विस्थापित युवा क्रांति दल ने डीजीएम के साथ हुई मारपीट की घटना की जिम्मेवारी ली. नियोजन के नाम पर छह लाख रुपये लेने का आरोप लगाया.