लगन के साथ शुरू है मोर बनाने का सिलसिला

पिंड्राजोरा: लगन के साथ ही संबंधित व्यवसायी अपने व्यवसाय में तत्परता से जुट गये हैं. पिंड्राजोरा क्षेत्र के गोपालपुर गांव का गोस्वामी परिवार मोर (मुकुट) बनाना शुरू कर दिया है. कहने को विवाह तो बारह महीना होते हैं, लेकिन हिंदू समुदाय के लोग अधिकतर फाल्गुन, बैशाख, जेठ व आषाढ़ महीने में ही करते हैं. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2015 9:36 AM

पिंड्राजोरा: लगन के साथ ही संबंधित व्यवसायी अपने व्यवसाय में तत्परता से जुट गये हैं. पिंड्राजोरा क्षेत्र के गोपालपुर गांव का गोस्वामी परिवार मोर (मुकुट) बनाना शुरू कर दिया है. कहने को विवाह तो बारह महीना होते हैं, लेकिन हिंदू समुदाय के लोग अधिकतर फाल्गुन, बैशाख, जेठ व आषाढ़ महीने में ही करते हैं.

इस समुदाय में दूल्हा को मोर (मुकुट) पहनाया जाता है. गोस्वामी परिवार के अधीर गोस्वामी और गणोश गोस्वामी ने बताया कि मोर (मुकुट) मूर्ति साज (डाक) टुसु (चोड़ल) आदि बनाना इनका जातिगत पेशा है. ये सारी सामग्रियां बनाने के लिए अब काफी पूंजी की जरूरत पड़ती है. मांग के अनुरूप हम पूर्ति नहीं कर पाते. फैशन के दौर में एक फैंसी मोर तैयार करने में डेढ़ से दो सौ रुपये खर्च होते हैं. फलत: हम अधिकाधिक मोर तैयार नहीं कर पाते हैं.

एक दिन में चार मोर : कारीगर अधीर गोस्वामी ने बताया कि एक कारीगर दिन-रात मेहनत कर चार मोर ही तैयार कर सकता है. उनका कहना है कि सरकार इस धंधा को लघु उद्योग का दर्जा देकर आसान ऋण उपलब्ध कराती तो यह धंधा अच्छा चलता और हम अर्थिक रूप से मजबूत होते.

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