24 वर्ष का हुआ बोकारो
बोकारो: बोकारो जिला आज 24 वर्ष का हो गया है. गौरतलब है कि 24 वर्ष किसी जिला को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए कम नहीं होते, लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में जिला वहीं खड़ा है, जहां से इसने अपने सफर की शुरुआत की थी. वहीं, जिले को कई तोहफे, कई उपलब्धियां भी […]
बोकारो: बोकारो जिला आज 24 वर्ष का हो गया है. गौरतलब है कि 24 वर्ष किसी जिला को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए कम नहीं होते, लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में जिला वहीं खड़ा है, जहां से इसने अपने सफर की शुरुआत की थी. वहीं, जिले को कई तोहफे, कई उपलब्धियां भी मिलीं. एक अप्रैल 1991 को बोकारो जिला का गठन किया गया था. उस समय धनबाद जिला के चास व गिरिडीह जिला के बेरमो अनुमंडल को मिला कर बोकारो जिला बनाया गया था.
जिले के अंतर्गत चंदनकियारी, बोकारो, गोमिया व बेरमो विधानसभा क्षेत्र हैं. डुमरी विधानसभा क्षेत्र का नावाडीह प्रखंड भी इसी जिला क्षेत्र में आता है. वहीं अनुमंडल क्षेत्र धनबाद लोकसभा और गोमिया, बेरमो विधानसभा क्षेत्र समेत नावाडीह प्रखंड गिरिडीह लोस क्षेत्र में आते हैं.
इस वर्ष बुझ सकती है चास की प्यास
चास में पेयजल की व्याप्त समस्या को देखते हुए 1980 में चास जलापूर्ति योजना को मंजूरी दी गयी थी, लेकिन योजना पूरी होने और इसके लाभ मिलने के आसार अब दिख रहे हैं. जलापूर्ति के लिए 92 किलोमीटर तक पाइपलाइन का विस्तार हो चुका है. चार में से दो टंकियां भी तैयार हैं.
नया गरगा पुल फिलहाल अधर में
बोकारो-चास को सड़क जाम से निजात दिलाने के लिए नया गरगा पुल निर्माण एचएससीएल कर रही है, लेकिन कार्य की गति काफी धीमी है. 20 मार्च 2014 से हो रहे पुल का निर्माण मार्च 2015 तक मात्र 51 प्रतिशत पूरा हुआ है.
‘बेरोजगारी’ बड़ी समस्या
जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रम हैं, लेकिन गरीबी व बेगारी अब भी दूर नहीं हो सकी है. उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षो में लगने वाले प्लांट और फैक्ट्रियों से बेरोजगारों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा.
विस्थापन की समस्या गहरा जख्म
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना के वर्षो बाद, आज भी विस्थापितों की समस्याएं बरकरार हैं. इस क्षेत्र में दर्जनों विस्थापित संगठन समय-समय पर हक व अधिकार के लिए आंदोलन कर रहे हैं. कई बार कमेटी का गठन भी किया गया. कई बार आंदोलन हुए, लेकिन नतीजा आजतक कुछ नहीं निकला.
अनियमित विद्युत आपूर्ति से परेशान है जनता
चास अनुमंडल क्षेत्र में नियमित रूप से बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. कहने को तो जिले में डीवीसी सहित कई अन्य कंपनियां बिजली उत्पादन करती हैं, लेकिन फिलहाल यहां ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. चास में नियमित विद्युत आपूर्ति करने के लिए 45 एमबीए बिजली की जरूरत है, जबकि फिलहाल 25 एमवीए बिजली आपूर्ति की जा रही है.
बोकारोवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं. वर्षो से लंबित कई योजनाओं को पूर्ण किया गया है. वहीं कई विकास के कार्य में बोकारो जिला राज्य में स्थान रखता है. आने वाले समय में समस्याओं को दूर किया जायेगा. बोकारो जिला में होने वाले विकास कार्यो में गतिरोध को दूर किया जायेगा.
उमाशंकर सिंह, डीसी, बोकारो
बीएसएल से मिली अलग पहचान
औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के इस दौर में लघु भारत के नाम से अपनी पहचान बना चुका बोकारो 60 के दशक के पहले माराफारी के नाम से जाना जाता था. संयंत्र का निर्माण कार्य 1968 से प्रारंभ किया गया तथा 1973 में सेल की स्थापना के साथ ही यह सेल का इकाई बन गया. इसके बाद से बोकारो सिटी की एशिया महादेश में एक अलग पहचान बन चुकी है.