Jharkhand News, रांची न्यूज (संजीव सिंह) : संयुक्त बिहार में चार सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज थे. 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना, तब एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (बीआइटी सिंदरी) झारखंड के हिस्से में आया. अब राज्य गठन के 21 साल पूरे होने हैं, लेकिन अब तक एक भी नया सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खुल नहीं सका है. दूसरी ओर, संयुक्त बिहार में वर्ष 1950 में बीआइटी सिंदरी की स्थापना हुई थी. वहीं, बिहार में 2005 तक तीन सरकारी कॉलेज ही थे. लेकिन, वर्ष 2005 के बाद से काम में तेजी आयी और अब वहां 35 इंजीनियरिंग कॉलेज बन गये हैं. यानी बिहार में फिलहाल 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. छत्तीसगढ़ में 14, उत्तराखंड में नौ, ओड़िशा में 17 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. इधर, यहां हाल बेहाल है.
बेकार पड़े हैं भवन : झारखंड में वर्तमान में कुल 17 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. इनमें से 16 इंजीनियरिंग कॉलेज प्राइवेट या पीपीपी मोड पर चल रहे हैं. वहीं कोडरमा, पलामू, गोला व जमशेदपुर में वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार द्वारा बनाये गये चार सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन बनकर तैयार हैं, पर उपयोग नहीं होने से बेकार पड़े हैं.
एक इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन की निर्माण लागत लगभग 100 से 125 करोड़ रुपये है. इन कॉलेजों में पठन-पाठन के लिए एआइसीटीइ से मान्यता के लिए अभी प्रक्रिया चल रही है. वहीं, किसी कॉलेज के लिए शिक्षक व कर्मचारी के पद सृजन की कार्रवाई अब तक नहीं हो पायी है. फिलहाल स्थिति यह है कि अब तक इन कॉलेजों के भवनों को राज्य सरकार ने कंस्ट्रक्शन कंपनी से हैंडओवर तक नहीं लिया है. जमशेदपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में 240 सीटों पर नामांकन होना है, जबकि अन्य तीन कॉलेजों में 300-300 विद्यार्थियों का नामांकन होना है. इसी प्रकार, एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एक वर्ष में 1200 विद्यार्थियों पर 60 शिक्षक यानी लगभग 225 शिक्षक व 250 कर्मचारियों की नियुक्ति होनी है. गोला में पहले महिला इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की बात थी, सरकार ने स्वीकृति भी दी, लेकिन बाद में सरकार ने फैसला बदल गया. अब इस कॉलेज में छात्राओं के साथ छात्रों का भी नामांकन होगा.
पश्चिम बंगाल के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (यादवपुर विवि व अन्य) में बीटेक के लिए एक विद्यार्थी से चार वर्ष का पूरा शुल्क मात्र 9600 रुपये से 13 हजार रुपये है. यानी प्रति वर्ष लगभग 800 रुपये से लगभग दो हजार रुपये शुल्क लिये जा रहे हैं. वहीं, बीआइटी सिंदरी में बीटेक के चार वर्ष के कोर्स के लिए लगभग दो लाख 76 हजार रुपये लिये जा रहे हैं. ओड़िशा में बीटेक के चार साल के कोर्स की फीस एक से डेढ़ लाख रुपये तक है. बिहार में भी 4.13 से 5.7 लाख रुपये शुल्क है. छत्तीसगढ़ में बीटेक के लिए प्रति वर्ष 60 हजार रुपये यानी चार वर्ष का कोर्स शुल्क 2.40 लाख रुपये है.
राज्य में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की कमी और कुछ को छोड़ कर कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में आधारभूत संरचना की कमी है. इस कारण यहां के विद्यार्थी बाहर के राज्यों में नामांकन लेने चले जाते हैं. प्रति वर्ष लगभग 35 हजार विद्यार्थी इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए आयोजित जेइइ फाइनल परीक्षा में शामिल होते हैं. इनमें से 400 से 500 विद्यार्थी आइआइटी व एनआइटी में जाते हैं. बाकी लगभग 50 प्रतिशत विद्यार्थी विभिन्न संस्थानों से इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां पर बीआइटी मेसरा व बीआइटी सिंदरी में नामांकन नहीं होने की स्थिति में ज्यादातर विद्यार्थी राज्य के बाहर के संस्थानों में नामांकन लेने चले जा रहे हैं. हालांकि यहां के कई प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी विद्यार्थियों द्वारा नामांकन लिये जाने के बाद भी हजारों सीटें खाली रह जा रही हैं. झारखंड से ज्यादातर विद्यार्थी पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बेंगलुरु, चेन्नई आदि जगहों के तकनीकी संस्थानों में नामांकन ले लेते हैं. इससे राज्य को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं बाहर के राज्यों से बहुत कम ही विद्यार्थी झारखंड में नामांकन लेने आते हैं.
बीआइटी सिंदरी में 10 कोर्स : बीआइटी सिंदरी में जेइइ और झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा बीटेक में नामांकन लिया जाता है. यहां इंजीनियरिंग के 10 कोर्स हैं. इनमें मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, प्रोडक्शन, सिविल, मैटलर्जिकल, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कैमिकल इंजीनियरिंग व माइनिंग इंजीनियरिंग शामिल हैं. सभी कोर्स मिला कर लगभग 725 सीटें हैं. राज्य सरकार अब आइआइटी कानपुर के सहयोग से बीआइटी सिंदरी का कायाकल्प बदलने का प्रयास कर रही है. हालांकि, आइएसएम (आइआइटी) धनबाद के सहयोग से एकेडमिक सुधार की दिशा में कार्य चल रहे हैं.
झारखंड तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ अरुण कुमार ने कहा कि झारखंड में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है. चार नये कॉलेजों की एआइसीटीइ से मान्यता के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. यहां के विद्यार्थियों का अधिक से अधिक नामांकन हो. विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त व बेहतर शिक्षा सुलभ हो, इस दिशा में विभाग व निदेशालय प्रयासरत है. कई कॉलेजों को पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है, जबकि प्राइवेट कॉलेजों में आवश्यक सुधार के लिए विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है.
काउंसेलर विकास कुमार राज्य में सरकार के स्तर से नये कॉलेज खोलने व इसका खर्च वहन करने से अच्छा है कि बाहर के राज्य में वैसे बेहतर संस्थान, जहां विद्यार्थी नामांकन लेने जाते हैं, वैसे कुछ कॉलेजों को झारखंड में आने का मौका दिया जाये. उक्त संस्थान में गरीब व झारखंड के विद्यार्थियों के लिए कम से कम 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जायें. इसी प्रकार शिक्षकों व कर्मचारियों की बहाली में भी झारखंड की प्रतिभाओं पर विचार किया जाये. जो भवन बेकार हैं, उन्हें भी बाह्य संस्थान को चलाने की जिम्मेवारी दी जाये.
Posted By : Guru Swarup Mishra