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सिर्फ शुभ काम तक ही सिमटकर रह गयी संस्कृत
बोकारो क्लब. जनपद संस्कृत सम्मेलन में बच्चों ने प्रस्तुत किया रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, बोलीं शिक्षा मंत्री बोकारो : सिर्फ शुभ काम की शुरुआत तक ही संस्कृत सिमट कर रह गया है. समाज में संस्कृत को पिछड़ी भाषा के रूप में देखा जा रहा है. सम्मेलन करने से संस्कृत का विकास नहीं हो पायेगा. यह बात […]
बोकारो क्लब. जनपद संस्कृत सम्मेलन में बच्चों ने प्रस्तुत किया रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, बोलीं शिक्षा मंत्री
बोकारो : सिर्फ शुभ काम की शुरुआत तक ही संस्कृत सिमट कर रह गया है. समाज में संस्कृत को पिछड़ी भाषा के रूप में देखा जा रहा है.
सम्मेलन करने से संस्कृत का विकास नहीं हो पायेगा. यह बात प्रदेश शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने सोमवार क ो सेक्टर – 05 स्थित बोकारो क्लब में कही. डॉ यादव संस्कृत भारती की ओर से आयोजित जनपद संस्कृत सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी. इससे पहले विशिष्ट अतिथि शितांशु प्रसाद, अधिशासी निदेशक, बीएसएल ने दीप जलाकर कर कार्यक्रम की शुरुआत की.
पश्चिम सभ्यता अपनाने की होड़ : डॉ यादव ने कहा : संस्कृत को समझने व अपनाने के बजाय लोग पश्चिमी सभ्यता अपनाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं, जबकि हर भाषा की जननी संस्कृत ही है. कहा : संस्कृत की गरिमा बचाये रखने के लिए अभी भी समय है. फौरन ध्यान नहीं देने पर संस्कृत म्यूजियम की भाषा हो जायेगी. संस्कृत भारती, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्रीश देवपुजारी ने कहा : संस्कृत के उपयोग से भाषा शुद्ध हो जाती है. हिंदी में कई विदेशी भाषा की मिलावट है. जीवन का हर ज्ञान वैद में है, बावजूद इसके संस्कृत को विद्या के तौर पर कोई लेना नहीं चाहता. संस्कृत भारती की संरक्षिका डॉ हेमलता एस मोहन ने कहा : यदि पुराने गौरव को पाना है, तो संस्कृत को अपनाना होगा.
जैसे-जैसे संस्कृत का क्षय हो रहा है, वैसे-वैसे संस्कार भी गिर रहे हैं. विदेशी भी संस्कृत को अपना कर कई रिसर्च कर रहे हैं. चिन्मय मिशन की स्वामिनी संयुक्तानंद ने कहा : संस्कृत से ही संस्कृति बनती है. इसे समङो बिना संस्कृति व समाज को समझ पाना मुश्किल है. संस्कृति को बचाये रखने के लिए संस्कृत को भी बचाना होगा. बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने भी संबोधित किया.
ये प्रस्ताव हुए पास : देश में केंद्र व राज्य सरकार की ओर से संचालित स्कूलों में क्लास 03 से 12वीं तक संस्कृत शिक्षा औपचारिक, आयुर्वेद में बीएएमएस उपाधि की प्रवेश परीक्षा के 11वीं व 12वीं में संस्कृत पढ़ना अनिवार्य, आयुर्वेद के सिलेबस में भाषा के तौर पर संस्कृत का अध्ययन, स्कूल व कॉलेज में संस्कृत विषय का शिक्षण व परीक्षा संस्कृत माध्यम, प्रोफेशन कोर्स व तकनीक कोर्स में प्राचीन भारत की वैज्ञानिक व दार्शनिक धारा की पढ़ाई.. आदि. संचालन डॉ संतोष कुमार झा ने किया. अतिथियों का स्वागत डॉ एनके राय व राजा राम शर्मा ने किया.
हुए रंगारंग कार्यक्रम : सम्मेलन में कई रंगा रंग कार्यक्रम हुए. संस्कृत भारती की ओर से 15 अप्रैल को हुए इंटर स्कूल प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी को शिक्षा मंत्री ने सम्मानित किया.
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