संगीत के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी

बोकारो: संगीत से लगाव इतना था कि इसके लिए संस्कृत शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़ दी. मुनीडीह, धनबाद स्थित नेहरू शताब्दी उवि से 1994 में इस्तीफा दिया. यह कहना है सशिविमं- 3 की संगीत शिक्षक नीलम पांडेय का. उन्होंने बताया कि संगीत में मुङो कॅरियर नहीं, बस अपनी पहचान बनानी थी. 1998 में उन्हें सशिविमं- […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2015 7:56 AM
बोकारो: संगीत से लगाव इतना था कि इसके लिए संस्कृत शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़ दी. मुनीडीह, धनबाद स्थित नेहरू शताब्दी उवि से 1994 में इस्तीफा दिया. यह कहना है सशिविमं- 3 की संगीत शिक्षक नीलम पांडेय का. उन्होंने बताया कि संगीत में मुङो कॅरियर नहीं, बस अपनी पहचान बनानी थी. 1998 में उन्हें सशिविमं- 3 में संगीत शिक्षक की नौकरी मिली. श्रीमती पांडेय हारमोनियम व तबला बजाने के अलावा भजन गाती हैं.
घर के सभी सदस्यों को है संगीत से लगाव श्रीमती पांडेय बताती हैं : पिता (शिवपूजन मिश्र) तबला व नाल वादन में उस्ताद थे. बचपन में पिता कहीं भी कार्यक्रम प्रस्तुत करने जाते तो मुङो भी साथ लेकर जाते. इसी कारण संगीत में रुचि जगी. उन्होंने बताया कि 2009 में उन्हें तानसेन अवार्ड मिल चुका है. पारिवारिक माहौल का ही असर है कि उनके पुत्र प्रभाकर पांडेय ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद तबला वादन में बीए की डिग्री ली है. पुत्री प्रियंका पांडेय ने भी संगीत में एमए किया है.
पुरस्कारों से मिली नयी ऊर्जा
श्रीमती पांडेय का कहना है कि पुरस्कार या सम्मान उन्हें मिले या उनके छात्रों को, उनके लिए एक ही बात है. दोनों ही स्थितियों में उन्हें नयी ऊर्जा मिलती है. उनके प्रशिक्षण से 2008 व 2009 में भारत विकास परिषद की ओर से भुवनेश्वर में आयोजित संगीत प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालय को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था. 2010, 2012 व 2014 में विद्या भारती कला संगम प्रतियोगिता में स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2011, 2012 व 2013 में भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय संगीत प्रतियोगिता में स्कूल को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ.

Next Article

Exit mobile version