शास्त्रीय संगीत में बसती है आत्मा

बोकारो. पिता (एसपी सिंह) की उंगलियों में कुछ ऐसा जादू था कि तबले पर हाथ थपथपाते ही एक नशा सा छाने लगता था. दिन-दुनिया से बेखबर हो दिमाग में बस एक वही धुन गूंजता था. शहर में कहीं भी पिताजी को किसी कार्यक्रम में बुलाया जाता तो वे मुङो भी साथ लेकर जाते. इसी परिवेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2015 8:26 AM

बोकारो. पिता (एसपी सिंह) की उंगलियों में कुछ ऐसा जादू था कि तबले पर हाथ थपथपाते ही एक नशा सा छाने लगता था. दिन-दुनिया से बेखबर हो दिमाग में बस एक वही धुन गूंजता था. शहर में कहीं भी पिताजी को किसी कार्यक्रम में बुलाया जाता तो वे मुङो भी साथ लेकर जाते. इसी परिवेश में मेरा बचपन गुजरा और संगीत का मुझ पर कुछ ऐसा खुमार छाया कि मैंने इसे ही अपनी तकदीर बना ली. क्लास तीन से ही मैं स्कूल में आयोजित संगीत प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगा था. यह कहना है सेक्टर- 05 स्थित श्री अयप्पा पब्लिक स्कूल के संगीत शिक्षक राकेश कुमार सिंह का. श्री सिंह 1994 से स्कूल में संगीत की शिक्षा दे रहे हैं.

छात्रों ने किया नाम रोशन : श्री सिंह बताते हैं : उनसे संगीत की शिक्षा लेकर कई बच्चों ने उनका मान बढ़ाया है. सेक्टर पांच निवासी छात्र उल्लास जैन फिलहाल मुंबई में ऑडियो इंजीनियर है. गिरिडीह का आशुतोष कुमार मशहूर बांसुरी वादक हरी प्रसाद चौरसिया के साथ तबला वादन में युगलबंदी कर चुका है. श्री सिंह कहते हैं : शास्त्रीय संगीत में ही संगीत की आत्मा निवास करती है.

अंतरराष्ट्रीय मंच पर कर चुके हैं परफॉर्म : श्री सिंह ने बताया कि दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल ट्रेड फेयर- 2008 में झारखंड की प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने तबला वादन किया था. 2006 में शास्त्रीय गायक पशुपतिनाथ मिश्र के साथ युगलबंदी कर चुके हैं. वहीं 1994 से पहले संगीत कला एकेडमी-बोकारो में तबला का प्रशिक्षण देते थे. बताया : कोलकाता, दिल्ली, बिहार व झारखंड के कई शहरों में परफॉर्म कर चुके हैं. श्री सिंह के प्रशिक्षण में स्कूल ने 2005 व 2008 में भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित गायन प्रतियोगिता में सफलता हासिल की. बीएसएल की ओर से आयोजित कई प्रतियोगिता में भी स्कूल ने परचम लहराया है.

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