सटूडेंटस का दोस्त बनना जरूरी है

बोकारो: बदलते वक्त के साथ टीचर्स व स्टूडेंट्स के रिश्तों में भी बदलाव आया है. आत्मीयता व मित्रता का समावेश होने से यह रिश्ता और भी गहरा बनता जा रहा है. आज टीचर्स बच्चों के दोस्त बन रहे हैं जिनसे बच्चे दिल की बातें भी शेयर करते हैं. हर बच्चा है खास : जब एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2013 8:12 AM

बोकारो: बदलते वक्त के साथ टीचर्स व स्टूडेंट्स के रिश्तों में भी बदलाव आया है. आत्मीयता व मित्रता का समावेश होने से यह रिश्ता और भी गहरा बनता जा रहा है. आज टीचर्स बच्चों के दोस्त बन रहे हैं जिनसे बच्चे दिल की बातें भी शेयर करते हैं.

हर बच्चा है खास : जब एक ही मां-बाप के दो बच्चों की आदतों, सोच व कार्य शैली में बहुत अंतर होता है, तो फिर एक ही कक्षा में पढ़ने वाले हर बच्चे की समझने की क्षमता में अंतर होना तो स्वाभाविक ही है. शिक्षक को चाहिए कि वह बच्चे की कमजोरी को समझ कर उसे दूर करने का प्रयास करे न कि सब के सामने बच्चों की कमियों का मजाक उड़ाए. हर बच्चे में कोई न कोई खूबी होती है, जरूरत है तो बस उस खूबी को तराश कर उससे बच्चे को अलग पहचान देने की. और यह काम तो एक बेहतर शिक्षक ही कर सकता है.

टीचर जो बन जाये साथी : मात्र फिल्म ‘तारे जमीं पर’ का ही उदाहरण नहीं बल्किआरंभ से ही इस विषय पर फिल्में बनती आई हैं कि टीचर्स ने अपने स्टूडेंट्स से दोस्ताना संबंध कायम किये हैं. आज जिस तरह से बच्चों पर पढ़ाई और सिलेबस का बोझ बढ़ता जा रहा है, उससे बच्चों को एक कठोर टीचर से ज्यादा अपने साथ मौज-मस्ती करने वाले ऐसे टीचर की जरूरत है, जो उनके साथ किसी साथी की तरह व्यवहार कर सके.

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