यादों का गुलदस्ता

दी पेंटीकॉस्टल असेंबली स्कूल : स्थापना के 26 वर्ष पर कर्मवीर के आगे, पथ का हर पत्थर साधक बनता है, दीवारें भी दिशा बताती हैं, मानव जब जोर लगाता है.. बात 1985 अक्तूबर की है, जब आंखों में एक स्कूल निर्माण का ख्वाब संजोए डॉ डीएन प्रसाद बोकारो आये. यहीं से शुरू हुआ उनके संघर्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2015 4:16 PM
दी पेंटीकॉस्टल असेंबली स्कूल : स्थापना के 26 वर्ष पर
कर्मवीर के आगे, पथ का हर पत्थर साधक बनता है, दीवारें भी दिशा बताती हैं, मानव जब जोर लगाता है.. बात 1985 अक्तूबर की है, जब आंखों में एक स्कूल निर्माण का ख्वाब संजोए डॉ डीएन प्रसाद बोकारो आये. यहीं से शुरू हुआ उनके संघर्ष और सफलता का सफर. एक बसी-बसायी दुनिया, निश्चिंत और आरामदायी जीवन शैली को तिलांजलि देते हुए समाज के लिए कुछ नया करने की चाहत और जुनून ने उन्हें कोलकाता से बोकारो पहुंचा दिया.
साथ दिया उनकी पत्नी रीता प्रसाद ने. परिणाम है ‘दी पेंटीकॉस्टल असेंबली सेक्टर-12’. विद्यालय की नींव पड़ी चार अप्रैल 1989 को कॉपरेटिव कॉलोनी के प्लॉट नंबर 189 में; मात्र 30 विद्यार्थियों और दो शिक्षिकाओं के सहयोग से. समय बीतता गया. 1992 में नव-निर्मित भवन में विद्यालय का शुभारंभ हुआ. आर्थिक मदद की ‘पेंटीकॉस्टल असेंबली ऑफ कनाडा’ ने. डॉ प्रसाद उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं : इस विद्यालय का निर्माण मेरे लिए अपने सपने के सच होने जैसा ही था, और आज मैं अपने सपनों का रंग देख रहा हूं.
निदेशक के जन्मदिन पर मनता है स्कूल का स्थापना दिवस
डॉ. डीएन प्रसाद के जन्मदिन (11 जुलाई) पर ही हर साल स्कूल का स्थापना दिवस मनाया जाता है.इस बार 11 जुलाई को शनिवार की छुट्टी होने के कारण स्थापना दिवस समारोह 10 जुलाई को ही मनाया जायेगा. क्लास एक से 12वीं तक के विद्यार्थी अलग-अलग ग्रुप में कार्यक्रम आयोजित कर निदेशक को जन्मदिन का शुभकामना देते हैं. बताया गया कि स्थापना दिवस का मकसद अतीत को याद कर भविष्य को सुधारना है. इस बार भी स्थापना दिवस की तैयारियां पूरी है. बच्चों में उत्साह है. सबको इस दिन का इंतजार है, ताकि फिर एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ें.
दिन-दूनी रात चौगुनी विकास करते हुए विद्यालय ने अपने 26 सुनहरे वर्ष पूरे कर लिये हैं. 26 वर्षो में विद्यालय ने अपने विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास करते हुए उन्हें शैक्षणिक, सांस्कृतिक, रचनात्मक व शारीरिक रूप से सक्षम व सफल बनाया है. वर्तमान में 1800 विद्यार्थियों को अनुशासन के साथ क्वालिटी एजुकेशन दी जा रही है. लगभग 70 शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी कार्यरत हैं.
सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के साथ-साथ शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों के साथ-साथ संबंधित शिक्षक भी पुरस्कृत होते रहे हैं.
विद्यालय को सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाने में एक नाम जो हमेशा जेहन में आता है, वह है डॉ डीएन प्रसाद, जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने ही विद्यालय को रूप व आकार दिया, जिसके माध्यम से तमाम विद्यार्थी न केवल अपना भविष्य संवार रहे हैं, बल्कि एक सफल व जागरूक नागरिक के रूप में तैयार हो रहे हैं. डॉ प्रसाद न केवल मेहनत और सादगी के पर्याय हैं, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता भी कूट-कूट कर भरी हुई है.

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