बकाया पेंशन को दो वर्षों से चक्कर काट रही गानुबाला
जैनामोड़ : जरीडीह अंचल के अंतर्गत बारहमसिया गांव की एक वृद्घा बीते दो वर्षो से बकाया पेंशन के लिए ब्लॉक व पंचायत का चक्कर काट रही है़ रुके पेंशन को ले उन्होंने बीडीओ को एक अर्जी भी दी है़ पत्र में बताया गया है कि स्थानीय लोगों के कहने पर जैनामोड़ बैंक ऑफ इंडिया शाखा […]
जैनामोड़ : जरीडीह अंचल के अंतर्गत बारहमसिया गांव की एक वृद्घा बीते दो वर्षो से बकाया पेंशन के लिए ब्लॉक व पंचायत का चक्कर काट रही है़ रुके पेंशन को ले उन्होंने बीडीओ को एक अर्जी भी दी है़
पत्र में बताया गया है कि स्थानीय लोगों के कहने पर जैनामोड़ बैंक ऑफ इंडिया शाखा में पेंशन की आस में उन्होंने पांच दिसंबर 2011 को खाता खुलवायी. इसके बाद पेंशन की स्वीकृति भी मिल गयी़ पहली बार नौ अगस्त 2012 को बतौर पेंशन चार सौ रुपये भुगतान भी किया गया़ एक साल तक लगातार 10 सितंबर 2013 तक पेंशन मिलती रही़ इसके बाद से पेंशन भुगतान लंबित है़
30 वर्ष पूर्व ही हुई विधवा, 60 वर्ष पूरी होने के बाद पेंशन को मंजूरी : 30 वर्ष पूर्व ही बीमारी से गानुबाला देवीके पति डोमन सिंह ने दम तोड़ दिया था़ पेंशन का लाभ लेने की उम्र (60 वर्ष) पूरी होने के बाद 2011 अर्जी दी गयी़
इस आलोक में पेंशन स्वीकृत हुई़ 2012 में प्रति माह चार सौ रुपये पेंशन मिलनी शुरू भी हो गयी़ पेंशन के लाभ से वंचित गानुबाला कहती है कि उनके दो पुत्र दूसरे प्रांत में काम की तलाश में निकल गये हैं. ऐसे में पेंशन ही उनका एक सहारा था. वह भी बंद हो गया़