जनवादी लेखकों पर हो रहे हमले : प्रो संजीव

बोकारो : सिर्फ लिखने से युगों के लिए ख्याति पायी जा सकती है, पर समस्या पर प्रहार नहीं किया जा सकता है. यह बात जनवादी लेखक संघ (जलेस) के केंद्रीय उपमहासचिव प्रो संजीव कुमार ने कही. रविवार को सेक्टर -06 स्थित इमामुल हई खान लॉ कॉलेज में जलेस का छठा जिला सम्मेलन संपन्न हुआ. समापन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 8:37 AM

बोकारो : सिर्फ लिखने से युगों के लिए ख्याति पायी जा सकती है, पर समस्या पर प्रहार नहीं किया जा सकता है. यह बात जनवादी लेखक संघ (जलेस) के केंद्रीय उपमहासचिव प्रो संजीव कुमार ने कही. रविवार को सेक्टर -06 स्थित इमामुल हई खान लॉ कॉलेज में जलेस का छठा जिला सम्मेलन संपन्न हुआ. समापन समारोह में ‘संकट अभिव्यक्ति की, दायित्व लेखक का’ विषय पर चर्चा की गयी. प्रो संजीव बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.

कहा : नवउदारवाद की सोच फैलाने के लिए जनवादी सोच के लेखकों पर हमले हो रहे हैं. इससे अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा है. सरकार की नीतियों के कारण दकियानूसी ताकत को मजबूती मिली है.

प्रचार साहित्य बात को स्थापित करने की वैध पद्धति से विचलित होता है. अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. समाज सरोकार के मामले को स्पष्ट रूप से उठाना चाहिए. जरूरत पड़ने पर भौतिक विरोध भी करना होगा. अध्यक्षता डॉ रामसागर सिंह, पीसी दास व नंदकुमार उन्यन ने किया.

वक्ताओं ने कहा : कलम की ताकत को प्रभावशाली बनाने की जरूरत हैं. समाजिक विषमता व अन्य बुराई को दूर करने के लिए लेखन का इस्तेमाल करना चाहिए. जनचेतना जागृति के लिए साहित्य का इस्तेमाल करना होगा. परिस्थतियों का सामना करने के लिए साहित्यकारों को संगठन के रूप में काम करना होगा. अभिव्यक्ति को खुद पर भी आजमाना चाहिए. विषय प्रर्वतन गोपाल प्रसाद ने किया.

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