गरीब बच्चों के सपने को पंख दे रहे तीन दोस्त
बोकारो. कक्षा आठ की अंशिका बैंक अधिकारी बन कर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना चाहती है. कक्षा छह की निधि कुमारी व कक्षा आठ की शिवानी डॉक्टर बन कर नि:शुल्क इलाज करने का सपना संजोये है़ ऐसे ही कई स्टूडेंट्स के सपने को पंख दे रही है चास की तीन दोस्तों की जोड़ी़ सोनू कुमार, […]
बोकारो. कक्षा आठ की अंशिका बैंक अधिकारी बन कर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना चाहती है. कक्षा छह की निधि कुमारी व कक्षा आठ की शिवानी डॉक्टर बन कर नि:शुल्क इलाज करने का सपना संजोये है़ ऐसे ही कई स्टूडेंट्स के सपने को पंख दे रही है चास की तीन दोस्तों की जोड़ी़ सोनू कुमार, सोनू राज व अक्षय कुमार भारद्वाज प्रभात कॉलोनी-चास में तीन दर्जन से अधिक गरीब बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन दे रहे है़ं. इतना ही नहीं माह में एक बार विद्यार्थी को नि:शुल्क शिक्षण सामग्री भी देते हैं.
जो हमने झेला वह कोई और न झेले : सोनू कुमार व सोनू राज बताते हैं : बचपन में सरकारी स्कूल में नामांकन तो हो गया, पर गरीबी पढ़ाई के सामने हमेशा दीवार बन कर खड़ी रहती थी़ ट्यूशन पढ़ाने का मकसद सिर्फ इतना है कि पढ़ाई के दौरान जो हमने झेला है, वह कोई अन्य महसूस भी न करे़ दो दोस्तों की पहल को देख कर अक्षय भी मुहिम से जुड़ गया़ सिर्फ दो बच्चों से शुरू होने वाली क्लास में आज 40 से अधिक विद्यार्थी नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ रहे हैं. सुविधा के अभाव में भी एजुकेशन क्वालिटी को वरीयता दी जाती है़.
ऐसे होता है पैसों का इंतजाम : ट्यूशन के लिए तीनों ने एक कमरा किराये पर लिया है़ बिजली बिल के साथ कमरे का किराया 2000 रुपये है़ पैसों के इंतजाम के लिए तीनों मिल कर 20 बच्चों को प्राइवेट होम ट्यूशन देते हैं. इससे से 4000 रुपया की कमाई होती है़ इसका आधा हिस्सा कमरे का किराया व कुछ हिस्सा शिक्षण सामग्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है़ तीन दोस्त बारी बारी से प्राइवेट ट्यूशन देते है, ताकि नि:शुल्क ट्यूशन क्लास में कभी रूकावट पैदा न हो़ नर्सरी से क्लास आठ तक के छात्र-छात्राओं को ट्यूशन दी जाती है.
हुआ नाम रौशन
ट्यूशन क्लास की काजल कुमारी का सलेक्शन राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए हुआ है़ काजल ने 27 अक्तूबर को सेक्टर सेक्टर 02/डी कला केंद्र में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में जैविक कचरा से एनर्जी क्रिऐशन का मॉडल बनाया था़ प्रदर्शनी जिला शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित की गयी थी़ मॉडल बनाने में तीनों दोस्तों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. तीनों दोस्त बताते हैं : जब तक संभव होगा, तब तक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम जारी रहेगा. कहा : उनके रहते शिक्षा के लिए अर्थाभाव समस्या नहीं बनेगी.