सूबे के 70 फीसदी शिक्षक आरटीइ से अनभिज्ञ : संजय

जैनामोड़: झारखंड में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ (आरटीइ) लागू हुए दो वर्ष हो गये, परंतु राज्य के 71 फीसदी शिक्षक इस कानून से अनभिज्ञ हैं. यहां आरटीइ का सही ढंग से अनुपालन नहीं हो रहा है. ये बातें प्रभात खबर से एक भेंटवार्ता में पीडीपी (प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम) के राज्य समन्वयक सह उत्क्रमित मध्य विद्यालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:37 PM

जैनामोड़: झारखंड में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ (आरटीइ) लागू हुए दो वर्ष हो गये, परंतु राज्य के 71 फीसदी शिक्षक इस कानून से अनभिज्ञ हैं. यहां आरटीइ का सही ढंग से अनुपालन नहीं हो रहा है. ये बातें प्रभात खबर से एक भेंटवार्ता में पीडीपी (प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम) के राज्य समन्वयक सह उत्क्रमित मध्य विद्यालय चाटुगाड़ा के प्रधानाध्यापक संजय कुमार ने कही.

उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर से स्कूल समेत अन्य शैक्षणिक संस्थानों में गुणात्मक सुधार लाने के ख्याल से आरटीआइ कानून लाया गया, अगर यह कानून सही मायने में धरातल पर उतरा, सही इम्पलिमेंट हुआ तो झारखंड में शैक्षणिक क्रांति आ जायेगी. उन्होंने कहा कि इस कानून को सरकार अगर अक्षरश: लागू करना चाहती है तो स्कूलों में जरूरी संसाधनों को दुरुस्त करना होगा. भवन, शिक्षक, शौचालय, पुस्तकालय, पेयजल समेत तमाम सुविधाएं देनी होगी. श्री कुमार ने राज्य में मौजूदा शैक्षणिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि शैक्षणिक आंकड़ों के अनुसार राज्य के 90 फीसदी स्कूलों में प्रधानाध्यापक व 29 फीसदी में पुस्तकालय नहीं है.

90 फीसदी स्कूल प्रबंधन समिति भी आरटीआइ से अनभिज्ञ हैं. आज भी 27 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं. आरटीआइ के तहत स्कूल में अतिरिक्त 40 हजार पारा शिक्षकों की बहाली की आवश्यकता है़ उन्होंने कहा की 61 फीसदी बच्चे अपनी मातृभाषा से अलग हैं, वही 15.94 फीसदी शिक्षकों को असैनिक कार्यो से जोड़कर रखा गया है. 10 फीसदी स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे हैं. 27.37 फीसदी स्कूलों में ही पेयजल की व्यवस्था है. स्कूलों में बच्चों की औसत उपस्थिति 50 से 60 फीसदी है. वर्तमान में आरटीइ के अनुपालन में झारखंड का 34वां स्थान है. शिक्षा का हाल यह है कि मैट्रिक के बाद 50 फीसदी व इंटर के बाद 20 फीसदी बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.

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