बोकारो: कैंप दो में पांच करोड़ की लागत से निर्मित सदर अस्पताल उद्घाटन (एक नवंबर) के एक माह बाद भी सूना पड़ा है. अस्पताल संचालन के लिए न यहां तो अनिवार्य संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मियों की पदस्थापना हुई है. चिकित्सकों के रूप में दो चिकित्सक जरूर पदस्थापित कर दिये गये हैं. दोनों चिकित्सक डॉ अनु प्रिया व डॉ संजय कुमार दिन भर बैठे-बैठे परेशान रहते हैं.
बी ब्लॉक सुपुर्द नहीं किया गया तो मरीज भरती कहां होंगे : मरीज अस्पताल तो पहुंचते हैं, पर उन्हें पता चलता है कि यहां न तो दवा नहीं मिलेगी और न ही जांच हो सकती है. इलाज के लिए भरती तक नहीं हो सकते. परिजन मरीज को लेकर बैरंग चले जाते हैं. सदर में ए ब्लॉक शुरू कर दिया गया है. बी ब्लॉक सुपुर्द नहीं किया गया है, जहां मरीजों को भरती किया जाना है. जबकि वार्ड सामग्री क्रय कर ली गयी है. जांच उपकरण का पता तक नहीं है.
बंध्याकरण मरीज के लिए जमीन बनी बेड : अनुमंडल अस्पताल चास में कमरे नहीं हैं. मरीजों की अधिकता के कारण चिकित्सकों को बाहर में कुरसी-टेबल लगा कर मरीज देखना पड़ता है. अभी यहां परिवार नियोजन (महिला बंध्याकरण व पुरुष नसबंदी) चल रहा है. बुधवार को लगभग 30 महिलाओं का बंध्याकरण होना है. ऐसे में बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को जमीन पर लेटना होगा.
शौचालय के निकट आइसीटीसी केंद्र : आइसीटीसी केंद्र (एचआइवी एड्स) भी चास अनुमंडल के शौचालय कक्ष के समीप ही चलाया जा रहा है. इसके सदर में शिफट करने की चर्चा तक नहीं हो रही है.
क्रय की गयी वार्ड सामग्री : 100 बेड, 100 गद्दा, 100 बेड साइड लॉकर, 25 रिवॉल्विंग चेयर, 30 आलमीरा, 50 सेलाइन स्टैंड