Bokaro News : विप्लव सिंह, जैनामोड़. कहने को तो मां-बाप को भगवान का दर्जा दिया गया है. दिया भी क्यों न जाए, क्योंकि मां-बाप के कारण ही तो बेटा इस दुनिया में आता है. जिस बेटे को मां ने नौ महीने अपने पेट में पाला है. बाप ने चलना सिखाया है, लेकिन बड़े होने पर बच्चे मां-बाप को उनके हाल पर छोड़ देते हैं. दूसरी ओर सरकार द्वारा दिये जाने वाला वृद्धा पेंशन भी बुढ़ापे में जीने का एक सहारा है. जब दोनों ही उम्मीद ना मिले तो क्या बीतती होगी, यह भुक्तभोगी ही बता पायेगा. जरीडीह प्रखंड के गायछंदा पंचायत के बोकाडीह गांव में 72 वर्षीय वृद्ध भूषण कपरदार को हर माह पेंशन का इंतजार रहता है. 12 साल पूर्व पत्नी की मृत्यु के बाद से ही वृद्धापेंशन के लिए यह बुजुर्ग दर-दर भटक रहा है. झुकी हुई कमर को लाठी के सहारे सीधा करने का प्रयास करते भूषण कपरदार के चेहरे पर मजबूरी और बेबसी साफ देखी जा सकती है. पूछने पर भूषण ने बताया कि पत्नी पहले ही साथ छोड़ कर दुनिया से जा चुकी है. तीन बेटे हैं, जो बुढ़ापे का सहारा बनने की जगह अपने पिता से ही जबरदस्ती पैसे लेते रहे. पेट की आग बुझाने के लिए प्रतिदिन बांग्ला ईंट भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूरी करना पड़ रहा है. इसके बाद वह खुद ही खाना बना कर खआते हैं. उन्होंने बताया कि अगर सरकार से पेंशन मिलता तो बुढ़ापे का कुछ सहारा हो जाता. उन्होंने बताया कि वह दो बार ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम में आवेदन दे चुके हैं, लेकन पेंशन की स्वीकृति अभी तक नहीं हुई. भूषण अपनी व्यथा सुनाते हुए कहते हैं कि पहले भी दो बार पेंशन के लिए आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक पेंशन नहीं मिल रहा है. अब क्या मरने के बाद पेंशन मिलेगा? वह आज भी बैंक का पासबुक लेकर पेंशन राशि के लिए भटक रहे हैं.
तीन बेटों में एक भी नहीं बना सहारा :
जिस उम्र के आखिरी पड़ाव में इंसान को जब सबसे ज्यादा अपनों की जरूरत होती है और उम्र के उसी पड़ाव में अगर उसे सहारा नहीं मिले तो इंसान अंदर से टूट जाता है . कुछ इसी तरह भूषण भी अंदर से टूट चुके हैं. जहां बुढ़ापे में सहारा बनने वाले बेटे ने ही अपने बूढ़े पिता को घर से अकेला छोड़ दिया है. गांगजोरी के राहुल सिंह ने बताया कि भूषण को बेटों ने दरृ-दर भटकने के लिए छोड़ दिया है. वह कई साल से वृद्धा पेंशन के लिए आवेदन करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें पेंशन की सुविधा नहीं मिल पायी है. इतने बुजुर्ग होने के बावजूद मजबूरी में वह ईंट भट्ठे में कार्य करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है