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एक अप्रैल. बोकारो जिला स्थापना दिवस पर विशेष , कसक रह गयी, पर उम्मीदें हैं कम नहीं

बोकारो : अपना बोकारो 25 साल का हो गया. आज बोकारो 26 वें साल में प्रवेश कर जायेगा. एक अप्रैल को जिला का स्थापना दिवस है. 25 वर्ष किसी जिला को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए कम समय नहीं होता है. लेकिन बाेकारो का उतना विकास नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था. आज […]

बोकारो : अपना बोकारो 25 साल का हो गया. आज बोकारो 26 वें साल में प्रवेश कर जायेगा. एक अप्रैल को जिला का स्थापना दिवस है. 25 वर्ष किसी जिला को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए कम समय नहीं होता है. लेकिन बाेकारो का उतना विकास नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था. आज भी कई क्षेत्रों में बोकारो वहीं खड़ा है, जहां से इसने सफर की शुरुआत की थी.

हालांकि जिले को कई तोहफे और उपलब्धियां इस दौरान मिलीं. लेकिन कई टीस भी हैं. आज भी झुमरा पहाड़, हिसिम केदला, ऊपरघाट, चंदनकियारी, कसमार, नावाडीह, गोमिया के कई गांव पिछड़े हैं. यहां के गरीब भूखे पेट सोने को विवश हैं. कोई दवा के अभाव में मर जाता है, तो कहीं पीने का पानी तक नहीं है.

1991 में बना था बोकारो जिला एक अप्रैल 1991 को बोकारो जिला का गठन किया गया था. धनबाद जिला के चास और गिरिडीह जिला के बेरमो अनुमंडल को मिला कर बोकारो जिला बनाया गया था. संयुक्त बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्थानीय विधायक समरेश सिंह, सांसद बिनोद बिहारी महतो, राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में बोकारो जिला की स्थापना की थी.

चार विधानसभा और दो संसदीय क्षेत्र : जिले में चंदनकियारी, बोकारो, गोमिया और बेरमो चार विधानसभा क्षेत्र हैं. गिरिडीह के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का नावाडीह प्रखंड भी बोकारो जिले में आता है. वहीं अनुमंडल क्षेत्र धनबाद लोकसभा और गोमिया, बेरमो विधानसभा क्षेत्र समेत नावाडीह प्रखंड गिरिडीह लोस क्षेत्र में आता है.
बोकारोवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं. वर्षों से लंबित कई योजनाओं को पूर्ण किया गया है. कई मायने में बोकारो जिला राज्य में स्थान रखता है. आने वाले समय में समस्याओं को दूर किया जायेगा. विकास कार्यों में गतिरोध हटाये जायेंगे.
राय महिमापत रे, डीसी, बोकारो
उम्मीदें हैं जिंदा
औद्योगिक विकास : जिले में अगले कुछ वर्षों में लगने वाले प्लांट और फैक्ट्रियों से बेरोजगारी की समस्या कम होगी. एसटीपीआइ की स्थापना से भी रोजगार के नये अवसर बनेंगे. लेकिन बीमार बियाडा के उद्याोगों के लिए कुछ खास नहीं हो सका. उम्मीद है कि सरकार इस पर ध्यान देगी और दिन बहुरेंगे.
चास नगर निगम : वर्ष 2015 के फरवरी माह में चास को नगर निगम का दर्जा मिला. इससे जनता को विकास की गति तेज हाेने की अपेक्षा है. सड़क पानी, बिजली, सौंदर्यीकरण आदि के लिए कार्य शुरू हुए. आने वाले समय में चास नगर निगम को प्रधानमंत्री अमृत योजना का लाभ भी मिलेगा.
फोर लेन : रामगढ़- बोकारो एनएच 23 और चास-गोविंदपुर एनएच 32 के फोरलेन बनने से विकास की गति तेज होगी. एनएच 23 का कार्य तेजी से चल रहा है. इसके बाद एनएच 32 का कार्य भी शुरू होगा.
बीएसएल से मिली अलग पहचान
औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के इस दौर में लघु भारत के नाम से अपनी पहचान बना चुका बोकारो 60 के दशक के पहले माराफारी के नाम से जाना जाता था. संयंत्र का निर्माण कार्य 1968 से प्रारंभ किया गया तथा 1973 में सेल की स्थापना के साथ ही यह सेल का इकाई बन गया. इसके बाद से बोकारो सिटी की एशिया महादेश में एक अलग पहचान बन चुकी है.
विस्थापन की समस्या बरकरार
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना के कई दशक बाद भी आज विस्थापितों की समस्याएं बरकरार हैं. दर्जनों विस्थापित संगठन समय-समय पर हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं. कई बार कमेटी का गठन भी किया गया. कई बार आंदोलन हुए, लेकिन नतीजा आज तक कुछ नहीं निकला.
स्कूलों में शिक्षकों की कमी
शहरों में शिक्षा की सुविधा अच्छी कही जा सकती है. बोकारो एजुकेशन हब के रूप में जाना जाता है. लेकिन एक पक्ष यह भी है कि जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं. कहीं बिना प्रधानाध्यापक के स्कूल चल रहे हैं तो बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. पढ़ाई के लिए भी छात्र भी दूसरे प्रदेश जाते हैं. चंदनकियारी में वर्ष 2012 में लगभग एक करोड़ रुपये से महिला आइटीआइ के लिए भवन का निर्माण कराया गया. तत्कालीन मंत्री उमाकांत रजक के कार्यकाल में बने इस भवन में आज तक पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है.
बिजली : चिराग तले अंधेरा
चास अनुमंडल क्षेत्र के अलावा कई इलाकों में बिजली समस्या है. ऐसे तो जिले में डीवीसी सहित कई अन्य कंपनियां बिजली उत्पादन करती हैं, लेकिन ‘चिराग तले अंधेरा’ वाला हाल है. चास में नियमति विद्युत आपूर्ति करने के लिए 55 एमवीए बिजली की जरूरत है, जबकि फिलहाल 35 एमवीए आपूर्ति की जा रही है. फुदनीडीह व बारी को-आॅपरेटिव में दो नये सब स्टेशन का निर्माण पूरा नहीं हो सका है.
नया गरगा पुल बना, दामोदर पुल जर्जर
बोकारो और चास के बीच पुराने गरगा पुल पर लगने वाले जाम से लोगों को निजात दिलाने के लिए नया पुल बन कर तैयार हो गया है. वर्षों की मांग पूरी हो गयी है. स्थापना दिवस के दिन गुरुवार को ही पुल की भार क्षमता जांच की जायेगी. इस माह के दूसरे सप्ताह से नये पुल से आवागमन शुरू हो जायेगा. वहीं बोकारो-धनबाद मुख्य मार्ग पर दामोदर पुल जर्जर हो रहा है. हालांकि फोर लेन निर्माण के दौरान यहां नया पुल बनाने की योजना है.
पलायन को विवश हैं युवा
जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रम हैं. निजी क्षेत्र के उपक्रम भी लगे. लेकिन गरीबी और बेगारी अब भी पूरी तरह दूर नहीं हो सकी है. जिले कई ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का पलायन जारी है. कारण है बेरोजगारी. सरकारी योजनाओं के बावजूद युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाता है तो युवा महानगरों का रूख करने को विवश हैं.
विभागों में हैं अधिकारियों की कमी
जिले में आज भी कई विभागों में स्थायी पदाधिकारी नहीं हैं. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा, विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी, डीसीएलआर, चास और तेनुघाट अनुमंडल में कार्यपालक दंडाधिकारी के पद अतिरिक्त प्रभार पर चल रहे हैं. ऐसे में विकास योजनाएं और कामकाज प्रभावित हो रहा है.
पूरी नहीं हुई चास जलापूर्ति योजना
चास में पेयजल समस्या को देखते हुए 1980 में चास जलापूर्ति योजना को मंजूरी दी गयी थी. लेकिन योजना के पूरा होने और इससे लाभ मिलने के आसार अब दिख रहे हैं. जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन का विस्तार हो चुका है. लगभग सभी टंकियां भी तैयार हैं. इस वर्ष दो और पानी टंकियों के निर्माण की योजना है.

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