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रिजल्ट फीवर से स्टूडेंट्स को बचायें पैरेंट्स

पैरेंटिंग. रिजल्ट की तिथि करीब आने के साथ स्टूडेंट्स में बढ़ता जा रहा तनाव आइसीएसइ व आइएससी बोर्ड के 10वीं-12वीं का रिजल्ट निकल गया है. झारखंड बोर्ड का रिजल्ट 20 मई को आने वाला है. सीबीएसइ 10वीं-12वीं बोर्ड का रिजल्ट 31 मई के पहले घोषित कर दिया जायेगा. मतलब, रिजल्ट फीवर शुरू हो गया है. […]

पैरेंटिंग. रिजल्ट की तिथि करीब आने के साथ स्टूडेंट्स में बढ़ता जा रहा तनाव

आइसीएसइ व आइएससी बोर्ड के 10वीं-12वीं का रिजल्ट निकल गया है. झारखंड बोर्ड का रिजल्ट 20 मई को आने वाला है. सीबीएसइ 10वीं-12वीं बोर्ड का रिजल्ट 31 मई के पहले घोषित कर दिया जायेगा. मतलब, रिजल्ट फीवर शुरू हो गया है. ऐसे वक्त में पैरेंट्स को स्टूडेंट्स का विशेष केयर करने की जरूरत है.
बोकारो : स्टूडेंट्स का टेंशन बढ़ गया है. जिनका रिजल्ट निकल चुका है और जिनका निकलने वाला है, दोनों तनाव में हैं. किसी को कम अंक मिलने का तनाव है, तो किसी को अच्छे नंबर आने को लेकर टेंशन है. ऐसे में अभिभावकों को सक्रिय रहने की जरूरत है. मई के अंतिम सप्ताह में एक फिर रिजल्ट फीवर शुरू होने वाला है. रिजल्ट की तिथि जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, स्टूडेंट्स में तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अभिभावकों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है.
जानकारी व जागरूकता के अभाव में कई बार विद्यार्थी रिजल्ट खराब आने पर ऐसा दुस्साहस कर बैठते हैं, जो असहनीय होता है. कई बार विद्यार्थी आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं. चास-बोकारो में रिजल्ट के बाद इस तरह के कई मामले सामने आते हैं.
हैप्पी ड्रग्स का प्रयोग बढ़ा
विद्यार्थियों में डिप्रेशन और तनाव को कम करने के लिए नशे की लत अब आम बात हो गयी है. तनाव से बचने के लिए इन दिनों बच्चों में हैप्पी ड्रग्स यानी एंटी डिप्रेशन ड्रग का प्रयोग भी तेजी से बढ़ रहा है. स्टूडेंट्स इन दिनों चाय और कॉफी का भी एक्सेस यूज करने लगते हैं. उनमें तंबाकू और अल्कोहल लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है. इन चीजों को वह तनाव दूर भगाने का पदार्थ समझने लगते हैं. कुछ तो नशे के लिए आयोडेक्स, व्हाइटनर और शू पॉलिश का भी सहारा लेते हैं. शुरू में तो यह टेंशन दूर करने के लिए होता है, लेकिन बाद में यह आदत बन जाती है.
शू पॉलिश, टूथ पेस्ट…
अक्सर विद्यार्थी तनाव व अवसाद को दूर करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेने लगते हैं. इन्हें हैप्पी ड्रग्स कहते हैं. इनमें शू पॉलिश, टूथपेस्ट, व्हाइट फ्लूइड, तंबाकू, मद्यपान, चाय-काफी, नींद की गोलियां, पेट्रोल, मिट्टी के तेल की सुगंध व नेल पॉलिश की सुगंध लेना आदि शामिल है. ये चीजें घर में सहजता से मिल जाती हैं. इसलिए बोर्ड रिजल्ट के दिनों में इन चीजों को बच्चों की नजर से दूर रखें. अभिभावक को बच्चों पर घर-बाहर नजर रखने की जरूरत है. अभिभावक अधिक से अधिक समय बच्चों के साथ गुजारें, तो बहुत अच्छा होगा.
बच्चों को अतिरिक्त समय दें
अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को इस दौरान अतिरिक्त समय भी दें. अभिभावकों को चाहिए कि वे घर में खुद बच्चों के मनोबल को ऊंचा उठाने की कोशिश करें. उन्हें याद दिलायें कि जब वह उनकी उम्र के थे, तब किस तरह से बिना तनाव लिए रिजल्ट का इंतजार करते थे. हो सके तो अपने परिणाम का जिक्र भी करें. यदि बच्चा कमजोर है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ायें. बतायें यह अंतिम परीक्षा नहीं है. मतलब, बच्चों को अपने विश्वास में लें और उनके ऊपर से रिजल्ट का तनाव दूर करने की कोशिश करें. घर में खुशनुमा माहौल बनायें.
अभिभावकों की भूमिका
अगर रिजल्ट खराब आया है तो बच्चों को डांट-फटकार के बजाय प्यार से समझायें
बच्चों से बातचीत करें, उनकी मन:स्थिति जानें और उसी के अनुरूप पढ़ने को कहें
बच्चों को उनकी क्षमता व रुचि के अनुसार सब्जेक्ट चुनने का अवसर दें.
बच्चों के ऊपर अपनी इच्छा न थोपें. जरूरी नहीं कि जो आप हैं वह बच्चा भी बने.
रिजल्ट दिन माता-पिता बच्चों के साथ दिन भर समय गुजारें. अकेले नहीं छोड़ें.
छात्रों को सलाह
सबसे पहले यह जानें कि यह जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं है. अभी तो यह जीवन की शुरुआत है.
अगर आपको लगता है कि आप फिर से तैयारी कर अच्छा अंक ला सकते हैं, तो दुबारा तैयारी करें.
माता-पिता के साथ रिजल्ट को लेकर बिना झिझक के बातचीत करें. उन्हें अपनी समस्या बतायें.
अगर रिजल्ट औसत आता है तो आगे के लिए अपनी क्षमता व रुचि के अनुसार सब्जेक्ट लें.
अभिभावक अगर अपनी इच्छा थोपते हैं तो आप साफ -साफ इनकार करें.
अच्छे रिजल्ट के लिए दबाव न डालें
अच्छे रिजल्ट हासिल करने के लिए दबाव डालने से बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है. कारण, ज्यादा दबाव डालने से कभी-कभी बच्चे अपने वास्तविक स्किल के लेवल से कम करने लगते हैं. उनमें भूलने की बीमारी विकसित होने लगती है. वे जो चीजें याद करते हैं, उसे थोड़े ही समय में भूल जाते हैं. एक ही चीज के लिए उन्हें बार-बार मेहनत करनी पड़ती है, जिससे समय का नुकसान होता है. अभिभावक बच्चों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करें. रिजल्ट को लेकर बच्चों के साथ बातचीत करें. इससे बच्चे का विश्वास बढ़ेगा.

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