वाटर हार्वेस्टिंग से आठ गांवों में घर-घर पहुंचा शुद्ध पानी

लगातार दो साल से कम बारिश के बाद मार्च और अप्रैल में जो भीषण गर्मी पड़ी, उसमें पूरा झारखंड पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर उठा. नदी, नाले, कुआं और तालाब सूख गये. लोगों के हलक सूखने लगे, लेकिन घाटो के आठ गांव के लोगों को पानी की कभी किल्लत नहीं हुई. इन गांवों में टैंकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2016 1:15 AM
लगातार दो साल से कम बारिश के बाद मार्च और अप्रैल में जो भीषण गर्मी पड़ी, उसमें पूरा झारखंड पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर उठा. नदी, नाले, कुआं और तालाब सूख गये. लोगों के हलक सूखने लगे, लेकिन घाटो के आठ गांव के लोगों को पानी की कभी किल्लत नहीं हुई. इन गांवों में टैंकर की भी जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन प्रबंधन ने समय रहते वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा कर जल संचय का उत्तम प्रबंध कर लिया था, जिससे पाइपलाइन के जरिये हर घर को लगातार पानी की आपूर्ति की जाती रही.
रवींद्र कुमार
झारखंड के अधिकांश जिले के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं, तो टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन प्रबंधन ने बेहतर जल प्रबंधन करके कोलियरी क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को पानी का संकट महसूस नहीं होने दिया. टाटा स्टील के प्रयास से आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों को भी नियमित जलापूर्ति हो रही है.
टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन प्रबंधन ने 4.19 करोड़ रुपये खर्च करके बोकारो नदी के किनारे वर्षा जल संचयन पर आधारित महत्वाकांक्षी पेयजल परियोजना का निर्माण किया है.
परियोजना से आसपास के आठ गांवों को पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा रहा है. परियोजना के तहत बोकारो नदी के तट पर जलग्रहण के लिए एक बड़ा कुआं और चेकडैम बनाया गया है. यह पुनर्भरण (री-चार्ज) ढांचा नदी के ऊपरी मुख्य धारा में बिना कोई बाधा पहुंचाये नदी तल के जल का इस्तेमाल करता है. इसके बाद कुआं में एकत्र जल को निथार कर और क्लोरीन के साथ उपचारित कर करीब 14 किलोमीटर क्षेत्र में लगी पाइपलाइन के माध्यम गांवों तक पहुंचाया जा रहा है.
ऐसे इंतजाम किये गये हैं कि गरमी के दिनों में जब नदी का पानी पूरी तरह से सूख जाये, तो भी जलापूर्ति बाधित नहीं हो. इस तरह ग्रामीणों को पूरे वर्ष नियमित पानी मिलता है. यहां से हर दिन 1,000 किलो लीटर पानी की आपूर्ति होती है, जो क्षेत्र के गांवों की जरूरतों की पूर्ति के लिए प्रर्याप्त है. ज्ञात हो कि गरमी में कोलियरी का जलस्तर बहुत नीचे चला जाता है.
पहली परियोजना
वर्षा जल संचयन अधारित झारखंड में यह अपने तरह की पहली परियोजना है. नदी में आनेवाली बाढ़ से परियोजना को बचाने के लिए नदी किनारे एक ऊंची दीवार बनायी गयी है. परियोजना स्थल को मनोरम बनाने के लिए एक आकर्षक झरना और खूबसूरत पार्क का निर्माण भी किया गया है, जहां लोग घूमने आते हैं. अंतरग्रहण कुआं में जलस्तर बनाये रखने और कृत्रिम जलवाही संरचना को री-चार्ज रखने के लिए पानी का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया गया है.

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