प्रदूषण मुक्त बोकारो बनायेंगे
विश्व पर्यावरण दिवस. जिले के लाेगों और संगठनों ने ठाना बाढ़, सुखाड़ व अन्य गंभीर आपदा परिणाम बोकारो : र साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया जाता है. लेकिन कई जगह यह केवल रस्म अदायगी तक ही सीमित […]
विश्व पर्यावरण दिवस. जिले के लाेगों और संगठनों ने ठाना
बाढ़, सुखाड़ व अन्य गंभीर आपदा परिणाम
बोकारो : र साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया जाता है. लेकिन कई जगह यह केवल रस्म अदायगी तक ही सीमित रह जाता है. पर्यावरण बचाने के बड़े-बड़े वादे कर लोग इसे भूल जाते हैं और जाने-अनजाने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. जरूरत है पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की़
पर्यावरण की उपेक्षा : पर्यावरण संरक्षण अधिनियम सर्वप्रथम 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ था, जिसमें पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित किये गये थे. पर्यावरण संरक्षण के नियम तो बन गये. परंतु इस पर पूरी तरह अमल नहीं किया गया. पर्यावरण संतुलन की उपेक्षा की जा रही है. इसकेे गंभीर परिणाम सामने आयेंगे.
जागृत व शिक्षित करने की जरूरत : पर्यावरण का मतलब केवल पेड़-पौधे लगाना ही नहीं है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु व ध्वनि प्रदूषण आदि से भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. प्रदूषण रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ स्वयं-सेवी संस्थानों और संगठनों को भी आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा.
जलवायु परिवर्तन गंभीरतम समस्या : शहर ही नहीं गांव भी आज कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं. वनों के काटने, बड़े बांध बनाने और कल-कारखानों के खुलने से जलवायू पर भी असर पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन गंभीर समस्या बन गयी है.
एक दिन के प्रयास से नहीं होगा समाधान : पर्यावरण बनाने के लिए एक दिन ताम झाम के साथ समारोह मनाना ही काफी नहीं है. इसके लिए समाज को जागरूक कर एक सतत प्रक्रिया बनानी चाहिए. लगातार प्रयास से ही हालात बदल सकते हैं.
लोगों ने कहा पर्यावरण संतुलन की हो रही घोर उपेक्षा
जीवन के लिए पर्यावरण का संतुलित रहना जरूरी है. पेड़-पौधे से हमें ऑक्सीजन मिलता है, जो मानव जीवन के लिए बहुत जरूरी है.
गंगा भालोटिया, पूर्व नप अध्यक्ष, चास
पेड़ नहीं रहा तो जीवन भी नहीं रहेगा. लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की जरूरत हैं. हर सेक्टर व मुहल्ला में जागरूकता अभियान चलाया जाय. हर वर्ष पांच-पांच पौधे लगायें.
दीपक डे, पूर्व पार्षद
पॉलीथिन का कम-से-कम उपयोग करें. खरीदारी के समय झोला में समान लें. जानकारी ही बचाव हैं. जितने लोग जागरूक होंगे, उतना ही पर्यावरण शुद्ध रहेगा.
चिन्मय घोष, प्राचार्य, आदर्श विद्या मंदिर, चास
लोगों को पेड़ काटने से रोका जाय. सभी लोग प्रति वर्ष पांच-पांच पौधे लगायें. पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है.
डॉ रतन केजरीवाल, चिकित्सक, चास
बोकारो की सभी कंपनियोंं को पर्यावरण के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. प्रदूषण से कई बीमारियां हो रही हैं. लोग इको फ्रैंडली सामानों का इस्तेमाल करें.
कुमारी संगीता, समाजसेवी, चास
पॉलिथिन के उपयोग से कई बीमारियां फैल रही हैं. इस पर लगाये गये प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करना चाहिए. अधिक से अधिक पौधे लगायें. कूड़ा खुले मैदान में न फेंके.
हंस कुमार, समाजसेवी, चास
पर्यावरण शब्द का निर्माण परि और आवरण के योग से हुआ है. प्रकृति ने हमारे लिए स्वस्थ आवरण का निर्माण किया था. मानव ने उसे दूषित कर दिया है.
रंगनाथ उपाध्याय, उपाध्यक्ष, चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज चास-बोकारो
मेडिकल कचरा खुले मैदान में न फेंके. इससे बीमारी फैलती है. वाहनों की नियमित जांच करायें ताकि धुएं से प्रदूषण न फैले. प्रेशर हॉर्न न लगवायें.
सुनील चरण पहाडी, संयोजक, प्लॉट होर्ल्डस एसो. (चेंबर ऑफ कामर्स)
ऊर्जा की बचत करें. पानी भी बचाने की जरूरत है. मोबाइल टावर से कई तरह की बीमारी हो रही हैं. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
पीसी अग्रवाल, वरीय अधिवक्ता, बोकारो कोर्ट
प्रदूषण से आज लोग कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं. पर्यावरण को संतुलन बनाये रखने के लिए पौध रोपण करने की जरूरत है. संबंधित अधिकारी भी जिम्मेवारी निभायें.
डॉ मिथिलेश कुमार, पूर्व सीएस, बोकारो
जल स्तर दिन प्रति दिन घट रहा हैं. लोगों को घरों में वाटर हार्वेस्टिंग (जलछाजन) बनाना चाहिए. इससे वाटर लेवल बरकरार रहेगा. बिल्डरों को भी जलछाजन करनी चाहिए.
प्रभा देवी, प्राचार्या, मॉर्निंग फलावर
स्कूल, सेक्टर नौ
बच्चों को पर्यावरण का महत्व बताया चाहिए. कुछ स्तरों पर प्रयास हो रहा है. लेकिन, इसे बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है. पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगे.
जीपी सिंह, समाजसेवी, बोकारो