एचएससीएल का हुआ अधिग्रहण
बोकारो: सचिवों के समूह की अनुशंसा पर आधारित हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के वित्तीय पुनर्गठन व शहरी विकास मंत्रालय के अधीन नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) द्वारा एक सहायक कंपनी के रूप में एचएससीएल के अधिग्रहण की स्वीकृति 25 मई 2016 को प्रदान की. बीआरपीएसइ की 13 मई 2008 की 58वें बैठक की […]
बोकारो: सचिवों के समूह की अनुशंसा पर आधारित हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के वित्तीय पुनर्गठन व शहरी विकास मंत्रालय के अधीन नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) द्वारा एक सहायक कंपनी के रूप में एचएससीएल के अधिग्रहण की स्वीकृति 25 मई 2016 को प्रदान की. बीआरपीएसइ की 13 मई 2008 की 58वें बैठक की अनुशंसा के आठ वर्षों के दौरान पुनर्गठन के अनेक विकल्प प्रस्तावित थे.
अंतत: अति उत्तम और सर्वाधिक युक्तियुक्त विकल्प पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दी. यह जानकारी एचएससीएल, बोकारो के प्रमुख प्रभारी केके गंगोपाध्याय ने मंगलवार को दी. उन्होंने कंपनी के अधिग्रहण किये जाने की पुष्टि की. कंपनी का अपडेट लिया जा रहा है.
वित्तीय आधार होगा मजबूत : श्री गंगोपाध्याय ने बताया कि वित्तीय पुनर्गठन पैकेज के कार्यान्वयन से एचएससीएल की इक्वीटी में वृद्धि की जायेगी. कंपनी की संचित हानियों को वर्धित इक्वीटी के विरुद्ध सामंजस्य किया जायेगा.
विरासत की सभी वित्तीय जिम्मेदारियां पुनर्गठित होते ही एचएससीएल का वित्तीय आधार काफी मजबूत होगी. शुद्ध मूल्य तत्काल से सकारात्मक में परिवर्तित होगी. एनबीसीसी और एचएससीएल दोनों को एक दूसरे के संसाधनों और दक्षताओं का लाभ मिलेगा. व्यवसाय अनुक्षेत्र में एनबीसीसी के साथ सहक्रिया में एचएससीएल विविधीकरण के लिए नये शीर्ष को विकसित करने में समर्थ होगी.
52वें वर्ष में कंपनी : श्री गंगोपाध्याय ने बताया : कंपनी उच्च मूल्य के अधिकाधिक ठेका हासिल करने और उनके कार्यान्वयन की भी अच्छी स्थिति में होगी. इसी प्रकार एनबीसीसी को भी स्टील प्लांटों में एचएससीएल की दक्षताओं का लाभ मिलेगा. चंद दिनों में एसएससीएल देश के बुनियादी विकास के क्षेत्रों में अपनी शानदार मौजूदगी के 52वां वर्ष पूरा करेगी.
यह होगी एचएससीएल की वित्तीय सेहत
एचएससीएल की मौजूदा चुकता इक्विटी पूंजी 117.1 करोड़ रुपये है. नये प्रस्ताव के तहत, भारत सरकार के गैर योजना ऋण एवं योजना ऋण के साथ-साथ उन पर संचित ब्याज और 1,502.2 करोड़ रुपये के बकाया गारंटी शुल्क इक्विटी में बदल जायेगा और कंपनी की इक्विटी पूंजी उसी स्तर पर पहुंचा दी जायेगी. कंपनी की चुकता इक्विटी पूंजी 1,619.3 करोड़ रुपये हो जायेगी. इसके एवज में 31 मार्च, 2015 तक के 1585 करोड़ रुपये के संचित घाटे को बट्टा खाता में डाल दिया जायेगा. संचित घाटे को बट्टा खाते में डाल देने के बाद एचएससीएल की इक्विटी और चुकता पूंजी 34.3 करोड़ रुपये हो जायेगी. एनबीसीसी 35.7 करोड़ रुपये की राशि एचएससीएल में इक्विटी के रूप में डालेगी. इसके बाद एचएससीएल एनबीसीसी की सहायक कंपनी बन जायेगी और इसमें एनबीसीसी की इक्विटी अंशभागिता 51 फीसदी होगी. एचएससीएल में भारत सरकार की हिस्सेदारी घटकर 49 फीसदी रह जायेगी. इस तरह एचएससीएल की इक्विटी और चुकता पूंजी 70 करोड़ रुपये हो जायेगी.