नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

शारदीय नवरात्र. पूजा पंडालों में उमड़े श्रद्धालु, मेला में दिखा बच्चो का उत्साह बोकारो : सिद्धगन्धर्वयज्ञद्यैर सुरैरमरैरिप, सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी… नवदुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ, सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है. यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है. हाथों में कमल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2016 5:48 AM

शारदीय नवरात्र. पूजा पंडालों में उमड़े श्रद्धालु, मेला में दिखा बच्चो का उत्साह

बोकारो : सिद्धगन्धर्वयज्ञद्यैर सुरैरमरैरिप, सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी… नवदुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ, सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है. यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है. हाथों में कमल शंख गदा सुदर्शन चक्र धारण किये हुए है. देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि, मुनि, साधक, विप्र व संसारी जन सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्र के नौंवें दिन करके अपने जीवन में यश, बल व धन की प्राप्ति करते हैं.
रविवार महाष्टमी को श्रद्धालुओं ने पूजा पंडाल-मंदिरों में जाकर विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की आराधना की. पूजा पंडालों व मंदिरों में दोपहर तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः की गूंज दूर दूर तक सुनाई दे रही थी. चास-बोकारो सहित चंदनकियारी, तलगड़िया, भोजुडीह, पिंड्राजोरा, बालीडीह, जैनामोड़, कसमार, पेटरवार में भी दुर्गा पूजा की धूम रही. कई पूजा पंडालों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया,
जबकि कई पंडालों में डांस, डांडिया, चित्रकला सहित कई तरह की प्रतियोगिता हुई. नवान्न का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फल-फूल : सिद्धिदात्री देवी उन सभी महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां भी प्रदान करती हैं, जो सच्चे हृदय से उनके लिए आराधना करता है. नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने के लिए नवान्न का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन व नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करके जो भक्त नवरात्र का समापन करते हैं,
उनको इस संसार में धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप है, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती है.
जोड़ा मंदिर-चास पूजा पंडाल में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.
जगत के कल्याण के लिए नौ रूपों में प्रकट हुई दुर्गा मइया
नवरात्र-पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. नवमी के दिन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. दुर्गा मईया जगत के कल्याण के लिए नौ रूपों में प्रकट हुई. इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का. देवी प्रसन्न होने पर संपूर्ण जगत की रिद्धि सिद्धि अपने भक्तों को प्रदान करती हैं. देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है.
देवी की चार भुजाएं हैं. दायीं भुजा में माता ने चक्र और गदा धारण किया है. मां की बांयी भुजा में शंख और कमल का फूल है. मां सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान रहती हैं. मां की सवारी सिंह हैं.

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