मुद्रा में मस्त, कृषि में पस्त है बोकारो
बोकारो: बोकारो औद्योगिक क्षेत्र भले ही हो, पर जिला के 33 हजार हेक्टेयर में धान व 10 हजार हेक्टेयर से अधिक में गेहूं की खेती होती है. यानी उद्योग/व्यवसाय के साथ-साथ खेती भी बोकारो की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है. लेकिन बैंक की नजर में कृषि से अधिक उद्योग/व्यवसाय की अहमियत है. संभवत: इसी कारण […]
बोकारो: बोकारो औद्योगिक क्षेत्र भले ही हो, पर जिला के 33 हजार हेक्टेयर में धान व 10 हजार हेक्टेयर से अधिक में गेहूं की खेती होती है. यानी उद्योग/व्यवसाय के साथ-साथ खेती भी बोकारो की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है.
लेकिन बैंक की नजर में कृषि से अधिक उद्योग/व्यवसाय की अहमियत है. संभवत: इसी कारण से बैंक कर्ज के मामले में व्यवसाय स्थापित करने की तुलना में कृषि को कम महत्व दिया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार जिला के बैंकों ने मुद्रा लोन में शत-प्रतिशत टार्गेट हासिल कर लिया है, जबकि कृषि संबंधी लोन के मामले में मात्र 18 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल किया है.
क्रॉप लोन के मामले में बैंक को 48430 यूनिट टारगेट दिया गया था, पर इस मामले में बैंक ने मात्र 3877 यूनिट ही लोन दिया. इस क्षेत्र में 19,430 लाख रुपया का टारगेट दिया गया था, लेकिन मात्र 2807 लाख रुपया ही कर्ज के रूप में वितरित किया गया, जबकि कृषि क्षेत्र का कुल टारगेट 26310 लाख रुपया था, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति मात्र 4681 लाख रुपया ही हुई. यानी मात्र 17.80 प्रतिशत ही लक्ष्य की प्राप्ति हुई. गौरतलब है कि जिला में कृषि मॉनसून पर निर्भर है.
व्यवसाय स्थापित करने व सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए मुद्रा लोन के मामले में बोकारो ने शानदार प्रदर्शन किया है. शिशु, किशोर व तरुण मामले में बैंकों ने क्रमश: 1256, 714 व 155 यूनिट लोन सेक्शन हुआ, इतनी ही यूनिट का लोन बांटा गया. यानी शत-प्रतिशत टार्गेट हासिल हो गया. कुल 1563.09 लाख की राशि कर्ज के रूप में दी गयी. बोकारो जिला में विभिन्न बैंकों की 194 शाखा है. कृषि क्षेत्र में लोन देने के मामले में प्राइवेट बैंक की स्थिति अर्द्ध-सरकारी बैंकों से बहुत खराब है.