”स्टैंडअप” से ऐसे कैसे करेगा बोकारो स्टैंड
बोकारो : स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना में बोकारो स्टैंड नहीं कर पा रहा है. स्टैंड अप इंडिया योजना में बैंक रुचि नहीं ले रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 के टारगेट से जिला के बैंक बहुत पीछे हैं. वित्तीय वर्ष की दो तिमाही बीत जाने के बावजूद लक्ष्य का सिर्फ 9.5 […]
बोकारो : स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना में बोकारो स्टैंड नहीं कर पा रहा है. स्टैंड अप इंडिया योजना में बैंक रुचि नहीं ले रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 के टारगेट से जिला के बैंक बहुत पीछे हैं. वित्तीय वर्ष की दो तिमाही बीत जाने के बावजूद लक्ष्य का सिर्फ 9.5 प्रतिशत हिस्सा ही हासिल हो सका है, जबकि अभी तक 50 प्रतिशत टारगेट पूरा हो जाना था. कर्ज के रूप में लाभुकों को 502.85 लाख रुपये दिये गये हैं.
स्टैंड अप : दो लोगों को भी नहीं दे पा रहे लोन : स्टैंड अप इंडिया के तहत हर बैंक की शाखा को दो यूनिट लोन का टारगेट दिया गया था. इसमें एक महिला व एक एससी/एसटी को लोन देना था. जिला में विभिन्न बैंकों की 195 शाखाएं हैं. इस मुताबिक 390 यूनिट लोन देना था. चालू वित्तीय वर्ष की दो तिमाही बीत जाने के बावजूद सिर्फ 31 यूनिट ही लोन दिये गये हैं. यही रफ्तार रही तो वित्तीय वर्ष के टारगेट को पूरा करना टेढ़ी खीर होगी.
नाम बड़े, पर दर्शन छोटे : योजना का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने में लगभग सभी बैंकों की स्थिति एक समान है. छोटे बैंक से लेकर बड़े बैंक तक कोई भी इस योजना में रुचि नहीं ले रहे हैं.
बैंक ऑफ इंडिया ने मात्र 04 यूनिट ही लोन वितरित किया है, जबकि बैंक की 48 शाखाएं हैं. इस हिसाब से बैंक को 96 यूनिट का टारगेट हासिल करना था. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मात्र 06 यूनिट लोन दिया है. बोकारो में इसकी 40 शाखाएं हैं व एसबीआई को 80 यूनिट का टारगेट दिया गया था. जहां बड़े बैंकों की स्थिति ऐसी है, वहां छोटे बैंकों के बारे में अनुमान लगाना आसान है.
स्वरोजगार स्थापित करने के लिए बैंक नहीं दे रहे लोन
2016- 17 वित्तीय वर्ष के टारगेट से कोसों पीछे हैं बैंक
क्या है समस्या
टारगेट पूरा करने में बैंक के सामने कई समस्याएं भी हैं. बैंक अधिकारियों की मानें तो योजना का लाभ फिक्स सेगमेंट (महिला व एससी/एसटी) के लोगों को देना है. इस कारण परेशानी आ रही है. साथ ही साथ कर्ज नये उद्यमी को देना है. बोकारो के आर्थिक ढांचा में नये उद्यम स्थापित करना चुनौती है. इस कारण बैंक को ग्राहक नहीं मिल पाता है.
जिला के आर्थिक विकास के अनुरूप हर शाखा को मात्र 02 यूनिट का टारगेट दिया गया था. इसे पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है. उम्मीद है वित्तीय वर्ष के अंत तक टारगेट पूरा कर लिया जायेगा.
संजय कुमार सिन्हा, जिला अग्रणी प्रबंधक.
आंकड़ा प्रस्तुत करने में कोड की गड़बड़ी हुई है. डीएलसीसी के आंकड़ा को सुधारा जा रहा है. इससे ज्यादा लक्ष्य प्राप्त किया गया है. हर शाखा को खास दिशा-निर्देश दिया गया है. वित्तीय वर्ष के अंत तक 96 यूनिट का टारगेट पूरा कर लिया जायेगा.
अजय साहू, जोनल मैनेजर- बैंक ऑफ इंडिया, बोकारो जोन
आंकड़ा में अंतर है. योजना के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है. जागरूकता के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया जायेगा. इसके अलावा भी योजनाबद्ध तरीका से टारगेट को पूरा करने की दिशा में प्रयास किया जायेगा.
रंजीता शरण सिंह, रीजनल मैनेजर, आरबीओ- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया