क्वार्टरों का किराया नहीं दे रहे यूनियन नेता व संगठन
बकाया अप्रैल 2011 से अगस्त 2016 के बीच का बोकारो : मांगों को पूरी करवाने के लिए अक्सर मजदूर यूनियनों के कार्यालयों में नारेबाजी होती है. हर मांग के साथ विरोध का झंडा बुलंद किया जाता है. जवाब में बीएसएल वित्तीय वर्ष के नुकसान का रोना रोता है. लेकिन, कहीं ना कहीं यूनियन भी बीएसएल […]
बकाया अप्रैल 2011 से अगस्त 2016 के बीच का
बोकारो : मांगों को पूरी करवाने के लिए अक्सर मजदूर यूनियनों के कार्यालयों में नारेबाजी होती है. हर मांग के साथ विरोध का झंडा बुलंद किया जाता है. जवाब में बीएसएल वित्तीय वर्ष के नुकसान का रोना रोता है. लेकिन, कहीं ना कहीं यूनियन भी बीएसएल के नुकसान के लिए जिम्मेदार है.
बीएसएल प्रबंधन की ओर से सभी यूनियन कार्यालय के लिए आवास एलॉट किया गया है. इसके एवज में यूनियन को मामूली किराया देना पड़ता है. किराया सेक्टर व आवास के प्रकार से तय होता है. बोकारो में यूनियन कार्यालय व यूनियन पदाधिकारी के लिए 47 आवास एलॉट किया गया है. जानकर हैरानी होगी कि यूनियनों पर 52 लाख 65 हजार 428 रुपया किराया के रूप में बाकी है. इनमें छोटे से लेकर बड़े संगठन शामिल हैं.
सिर्फ यूनियन पदाधिकारी के आवास का बकाया 28 लाख 93 हजार 163 रुपया है. एक ही संगठन व यूनियन को कई-कई क्वार्टर एलॉट किये गये हैं. यदि यह बकाया बीएसएल को मिल जाये तो उसका घाटा कुछ कम हो सकता है.
एलॉट क्वार्टर, जिनका किराया लाखों में बकाया है :
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सामाजिक संगठन भी बकायेदारों की सूची में
बकायदारों की सूची में सिर्फ मजदूर यूनियन ही नहीं है. बोकारो के विभिन्न सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन भी बीएसएल का हक दबा कर बैठे हैं. समाज सेवा के नाम पर बनी सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों के लिए एलॉट आवास व जगह पर 23 लाख 76 हजार 740 रुपया का बकाया है. बीएसएल की ओर से 49 ऐसे संगठन को आवास आवंटित किया गया है. इनमें से सिर्फ जगन्नाथ स्प्रीच्यूअल एंड कल्चरल ट्रस्ट पर कोई बकाया नहीं है. बकाया एक अप्रैल 2011 से लेकर 31 अगस्त 2016 के बीच का है.