उर्मिला कोरी
फिल्म रिव्यू
आशिकी 2
कलाकार : आदित्य रॉय कपूर, श्रद्धा कपूर
निर्देशक : मोहित सूरी
रेटिंग : 2.5 स्टार
आशिकी 2 को लेकर युवाओं में काफी चर्चा है. सभी फिल्म के गानों से काफी प्रभावित हैं और शायद यह वजह रहेगी कि फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिलेगी. वैसे भी महेश भट्ट के कैंप से लंबे अरसे के बाद कोई इतनी प्यारी लव स्टोरी आयी है. लेकिन इस प्रेम कहानी में जो दर्द है. वह उलझा सा दर्द है. यहां प्रेम है. इजहार भी है. लेकिन फिर भी वह नशे की तरह दिलोदिमाग में नहीं घुला, क्योंकि इस फिल्म के प्रेमी को प्यार है.
लेकिन उसे अपने प्यार से अधिक किसी और ही नशे से आशिकी है. यह आशिकी नशे यानी शराब की लत से है. ड्रग की लत से है. फिल्म का नायक इस कदर ड्रग का आदि हो चुका है कि उसके लिए इश्क से बड़ी अबादत उसका नशा ही हो जाता है. वह खुद को इससे उबार नहीं पाता. फिल्म का अंत ऐसे मोड़ पर आकर खत्म होता है. जो शायद ही दर्शक अनुमान लगा पायेंगे.
महेश भट्ट के कैंप से लंबे अरसे के बाद कोई अलग हट कर लव स्टोरी आयी है. इससे पहले तक की लगभग सभी फिल्मों में फिल्म की पब्लिसिटी के लिए ही सही बोल्ड सीन जरूर दिखाये जाते थे. लेकिन आशिकी 2 का शुरू से ही प्रोमोशन अलग तरीके से किया गया है. इस फिल्म में दो नवोदित युवा जोड़ी की प्रेम कहानी को फिल्मी परदे पर उतारने की कोशिश की गयी है और फिल्म की कहानी आमतौर पर िदखाई जानेवाली लव स्टोरी से बहुत अलग है.
फिल्म के संगीत ने पहले ही काफी धमाल मचा दिया था और यही वजह है कि फिल्म को वक्त से पहले रिलीज किया गया. फिल्म की कहानी एक रॉकस्टार की कहानी है जो नशे की लत में धूत रहता है. उसे सबसे ज्यादा प्यार शराब से है. वह बेहतरीन सिंगर है.ल्ऐसे में उसकी जिंदगी में आरोही की एंट्री होती है. श्रद्धा उसे बदलने की काफी कोशिश करती है. कोशिश करती है कि वह आरजे को इतना प्यार दे कि वह सबकुछ भूल जाये. लेकिन वह एसा कर नहीं पाता. फिल्म का अंत शायद प्यार करनेवालों को हजम न हो. खासतौर से इस जमाने में.
एक बात निर्देशक मोहित सूरी से यह पूछना चाहूंगी कि कहते हैं कि प्यार तो अपने आप में एक बड़ा नशा है. उससे बड़ा कोई नशा नहीं होता तो फिर आरजे खुद को इससे निकाल क्यों नहीं पाता. वह आरोही से प्यार भी करता है. लेकिन उसके लिए इश्क सबसे बड़ा जुनून नहीं. फिल्म के गाने बेहतरीन हैं और फिल्म छोटे छोटे हिस्सों में अच्छी लगती है. लेकिन जहां तक बात है पूरी फिल्म की तो फिल्म की जितनी पब्लिसिटी हुई थी. उस लिहाज से फिल्म थोड़ी कमजोर है.
हालांकि गानें बेहतरीन हैं. आदित्य रॉय ने अच्छा परफॉर्म किया है. लेकिन अभी श्रद्धा को अपने अभिनय में काफी सुधार की जरूरत है. फिल्म के विजुअल भी खूबसूरत हैं जो आपको रुमानी माहौल देते हैं. साथ ही सवाल यह भी है कि फिल्म को हद से ज्यादा रियलिस्टिक अप्रोच देने की क्या वजह रही. फिल्म में आदित्य ने जिस तरह का किरदार निभाया है वह बहुत हद तक इम्तियाज अली की फिल्म रॉकस्टार के किरदार जर्नाधन से मिलता जुलता है.