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दो डिसमिल जमीन कब्जा मुक्त करवाने में लग गये छह साल
बोकारो: मुख्यमंत्री जन संवाद में 27 बार शिकायत, बोकारो डीसी के समक्ष 50 बार, अनुमंडल पदाधिकारी व अंचल कार्यालय में अनगिनत बार माथा टेकना, फिर भी परिणाम शून्य. बात हो रही है यदुवंश नगर चास के अजय कुमार पांडेय की. अपनी दो डिसमिल जमीन को दबंगों से कब्जा मुक्त कराने के लिए अजय पांडेय पिछले […]
बोकारो: मुख्यमंत्री जन संवाद में 27 बार शिकायत, बोकारो डीसी के समक्ष 50 बार, अनुमंडल पदाधिकारी व अंचल कार्यालय में अनगिनत बार माथा टेकना, फिर भी परिणाम शून्य. बात हो रही है यदुवंश नगर चास के अजय कुमार पांडेय की. अपनी दो डिसमिल जमीन को दबंगों से कब्जा मुक्त कराने के लिए अजय पांडेय पिछले छह साल से दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. अपनी परेशानी का रोना वह इतनी बार रो चुके हैं कि उन्हें अधिकारियों की ओर से मिले आश्वासन व आदेश जुबानी याद है.
जहां काम कराने गया वहीं काम करने लगा : अजय पांडेय जमीन मुक्त कराने के लिए छह साल से अधिकारियों के पास चक्कर काट रहा है. ऐसे में जीविका चलाने के लिए वह मजबूरी वश भिक्षाटन करने लगा. एक झोला में रोड़ी-चंदन, अक्षत लेकर अजय हर सुबह अधिकारियों के पास दौड़ शुरू कर देता है. यहीं कार्यालय में आये लोगों को रोड़ी-चंदन लगाता है, प्रसाद वितरण करता है. बदले में लोग कुछ पैसा दे देते हैं. अजय बताते हैं : अचल संपत्ति के रूप में उसके पास सिर्फ दो डिसमिल जमीन है, जिस पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है. वह खुद एक कमरा के किराया के मकान में सपरिवार रहता है.
27 बार मुख्यमंत्री जन संवाद में लगा चुके हैं फरियाद
अजय पांडेय सबसेपहले 24 जून 2016 को मुख्यमंत्री जन संवाद में शिकायत की. शिकायत संख्या 4665 मिली. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अजय पांडेय मुख्यमंत्री जन संवाद में अब तक 27 बार संपर्क स्थापित कर चुके है. वर्तमान में चास एसडीओ शशि रंजन ने दखल कब्जा की कार्रवाई पर पत्रांक 1542 दिनांक 16 अगस्त 2016 के माध्यम से रोक लगायी है. रोक क्यों लगी है इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी जा रही है.
भूमि भी गयी एनएच में
अजय पांडेय की दो डिसमिल भूमि भी बन रहे नये बाइपास में चली गयी है. वह बताते है कि सोचा था घर बनाऊंगा लेकिन अब भूमि एनएच में चली गयी है. अब तो उस भूमि में कुछ भी नहीं हो सकता है. न्याय के इंतजार में अजय कभी अपनी किस्मत पर रोता है, कभी तंत्र को कोसता है. लेकिन उसे समझ नहीं आता आखिर गलती किसकी है. वह बात-बात में कहता है : पैसा रहतव हल त अब तक नियाय मिल जईतब हल.
क्या है मामला
अजय पांडेय के पिता स्व नंद किशोर पांडेय ने तीन जनवरी 1980 को तेलीडीह मौजा में दो डिसमिल भूमि भिखारी साव नामक व्यक्ति से खरीदी. उक्त भूमि पर उन्होंने दो दीवार भी बनायी. इसी बीच 2007 में उनकी मां की तबीयत खराब हो गयी. वह पिता के साथ गांव बिहार चलें गये. इलाज व अर्थाभाव में मां भी चल बसी. अजय पांडेय पुन: नौ जुलाई 2010 को बोकारो आये. पाया कि किसी ने उनकी भूमि पर कब्जा कर लिया है. उसी दिन अंचल कार्यालय में इस संबंध में लिखित शिकायत की. 27 जुलाई को मापी की तारीख भी मिली, लेकिन मापी नहीं हुई. वह अंचल कार्यालय का चक्कर काटता रहा. कोई कार्रवाई नहीं होता देख तत्कालीन डीसी नितिन मदन कुलकर्णी से मुलाकात कर मामले से अवगत कराया. उक्त मामले में डीसीएलआर कोर्ट ने सुनवाई करते अजय पांडेय के पक्ष में फैसला दिया. उक्त मामले में चास एसडीओ के माध्यम से अंचलाधिकारी को दखल कब्जा कराने का निर्देश जारी हुआ. लेकिन आज तक उक्त भूमि पर कब्जा नहीं हो सका. इसके बाद बोकारो जिला में पदस्थापित हर डीसी समेत सभी अधिकारी से फरियाद करता रहा. लेकिन सुनवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन व आदेश मिलता रहा.
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