प्रकृति के नियम पर चलना ही धर्म

आनंद मार्ग प्रचारक संघ. तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन बोले आचार्य किंशुक बोकारो : प्रकृति के नियम पर चलना व चैतन्य के विकास के लिए साधना करना ही धर्म है. अज्ञानता से प्रभावित होकर लोग सही राह को भूल रहे हैं. इससे बचने की जरूरत है. यह बात आनंद मार्ग के पुरोधा प्रमुख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2017 4:11 AM

आनंद मार्ग प्रचारक संघ. तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन बोले आचार्य किंशुक

बोकारो : प्रकृति के नियम पर चलना व चैतन्य के विकास के लिए साधना करना ही धर्म है. अज्ञानता से प्रभावित होकर लोग सही राह को भूल रहे हैं. इससे बचने की जरूरत है. यह बात आनंद मार्ग के पुरोधा प्रमुख आचार्य किंशुक रंजन ने कही. आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को आचार्य किंशुक संबोधित संबोधित कर रहे थे. इससे पहले प्रभात संगीत, कीर्तन व सामूहिक साधना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. आयोजन आनंद नगर में हुआ. आचार्य किंशुक ने कहा : अज्ञानता को छोड़ कर विवेक व वैराग्य की राह पर अग्रसर होने की जरूरत है. सभी प्राणी के प्रति प्रेम भाव रख कल्याण करने का भाव ही मानवतावाद है. कहा : मनुष्य को सभी संकीर्णता, अंधविश्वास से बाहर निकल कर समाज कल्याण करना चाहिए.
इससे विश्व एक सूत्र में बंध जायेगा. आनंदमार्ग आध्यात्मिक साधना, नव्य मानवतावाद व सामाजिक अर्थनीति पर चलता है. यह मन को भौतिक बंधन से मुक्त कर मानसिक विकास की ओर लेकर जाता है. कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम से साधना का महत्व के बारे में बताया गया. सांस्कृतिक शाखा रेनासा आर्टिस्ट एंड राइटर्स एसोसिएशन की ओर से प्रभात संगीत गायन, सामूहिक नृत्य व नृत्य नाटिका का आयोजन किया गया. नृत्य नाटिका में राधा-कृष्ण की लीला को दिखाया गया. आनंद नगर के आस-पास के कई क्षेत्रों में आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की ओर से एक हजार से अधिक कंबल वितरण किया जायेगा. वितरण कार्यक्रम एक जनवरी को होगा. मौके पर कई आनंद मार्गी मौजूद थे.
संबोधित करते आचार्य किंशुक रंजन व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करतीं बच्चियां

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