पेरिस में प्यार
अनुप्रिया अनंत फिल्म रिव्यू : इश्क इन पेरिस कलाकार : प्रीति जिंटा, रेहान मल्लिक निर्देशक : प्रेम राज 2 स्टार प्रीति जिंटा ने लंबे अरसे के बाद रुपहले परदे पर वापसी की है. यह उनकी कमबैक फिल्म है और उन्होंने खुद इस प्रोडयूस भी किया है. इश्क इन पेरिस एक रोमांटिक फिल्म है. जिसमें प्रीति […]
अनुप्रिया अनंत
फिल्म रिव्यू : इश्क इन पेरिस
कलाकार : प्रीति जिंटा, रेहान मल्लिक
निर्देशक : प्रेम राज
2 स्टार
प्रीति जिंटा ने लंबे अरसे के बाद रुपहले परदे पर वापसी की है. यह उनकी कमबैक फिल्म है और उन्होंने खुद इस प्रोडयूस भी किया है. इश्क इन पेरिस एक रोमांटिक फिल्म है. जिसमें प्रीति ने पृष्ठभूमि के रूप में पेरिस को चुना है. चूंकि पेरिस में प्यार बहुत है. पेरिस हमेशा लोगों को प्यार करना सिखाता है. इसलिए फिल्म में पेरिस को खास अहमियत दी गयी है.
इश्क खुद प्रीति हैं, जो जिंदगी से प्यार करती हैं लेकिन उन्हें शादी से नफरत है. चूंकि उनके माता पिता का तलाक हो चुका होता है. प्रीति आधी फ्रेंच आधी हिंदुस्तानी है. जिसे ट्रेन में सफर के दौरान आकाश जैसा साथी मिलता है. आकाश को दूसरे दिन लंदन लौट जाना है. लेकिन उसके पास एक रात है और वह चाहता है कि वह पूरी रात खुशी से बिताये. इश्क उसका साथ देती है. दोनों के बीच अंतराल से पहले एक खूबसूरत कहानी कहने की कोशिश की गयी है. दोनों के बीच होनेवाली बातें आपको रोचक लगती है. और आप उम्मीद करते हैं कि फिल्म इंटरवल के बाद भी आपको इसी तरह बांधे रखेगी.
लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. फिल्म ने जितनी खुशी अंतराल से पहले देने की कोशिश की है. अंतराल के बाद वह टिपिकल रटी रटाई फिल्म बन कर रह जाती है. फिल्म का अंत सामान्य है. प्रेम राज ने अपने निर्देशन में पेरिस को बहुत खूबसूरत तरीके से दर्शाया है. आपको फिल्म से प्यार हो या न हो. लेकिन पेरिस से बार बार प्यार हो जायेगा.
प्रीति हमेशा की तरह बबली किरदार में फिट बैठी हैं. रेहान मल्लिक ने अदभुत अभिनय दिया है. वे जिस आत्मविश्वास के साथ अपना किरदार निभा रहे थे. ऐसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह उनकी पहली फिल्म है. वे काफी मंङो कलाकार लगे. और मेट्रो पोलिटियन किरदारों में वे खूब जंचेंगे. फिल्म ेमें फ्रेंच कलाकारों को भी शामिल किया गया है. ताकि फिल्म की मौलिकता बरकरार रहे.
फिल्म के गीत अच्छे हैं और सिचुएशनल हैं. प्रीति ने सामान्य तरीके से एक प्यारी लव स्टोरी कहने की कोशिश की थी. लेकिन उनकी कोशिश कामयाब होती अगर वह कहानी में थोड़ा नयापन लातीं. फिल्म पृष्ठभूमि, कलाकारों के चयन सबने सटीक है. लेकिन कहानी फिल्म को कमजोर बनाती है.