इंटक की सदस्यता जांच बंद करने को लेकर याचिका की तैयारी
इंटक का एकाउंट फ्रीज करने व बेवसाइट बंद करने की मांग 23 मार्च को दिल्ली हाइकोर्ट में इंटक विवाद मामले पर होनी है सुनवाई दिल्ली में कैंप किये हुए हैं ददई गुट के नेता बेरमो : इंटक का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. रेड्डी, राजेंद्र व ददई गुट के बीच चल रहा […]
इंटक का एकाउंट फ्रीज करने व बेवसाइट बंद करने की मांग
23 मार्च को दिल्ली हाइकोर्ट में इंटक विवाद मामले पर होनी है सुनवाई
दिल्ली में कैंप किये हुए हैं ददई गुट के नेता
बेरमो : इंटक का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. रेड्डी, राजेंद्र व ददई गुट के बीच चल रहा विवाद पूरे उफान पर है. दो गुटों में चल रहे विवाद की सुनवाई 23 मार्च को दिल्ली हाइकोर्ट में होगी. पिछले दो-तीन दिनों से चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे व महासचिव एनजी अरुण अपनी पूरी टीम के साथ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. दिल्ली से श्री अरुण ने बताया कि जल्द ही इंटक की सदस्यता जांच बंद करने, एकाउंट फ्रीज करने व बेवसाइट को डोमन करने को लेकर दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की जायेगी. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
श्री अरुण का कहना है कि किसी भी यूनियन के सदस्यों का वेरिफिकेशन श्रम मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर चीफ लेबर कमिश्नर (सीएलसी) करते हैं. साथ ही इसकी स्टैडिंग कमेटी में सरकार के नुमाइंदों के अलावा यूनियन के प्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं. इंटक की ओर से संजीवा रेड्डी भी इसके स्टैडिंग कमेटी में हैं,
ऐसे में हमारे इंटक के सदस्यों का वेरिफिकेशन श्री रेड्डी कैसे करेंगे. ऐसे वेरिफिकेशन के नोटिफिकेशन का समय भी समाप्त हो गया है. वहीं, इंटक के एकाउंट में फिलहाल लोग 14 करोड़ कोष दिखा रहे हैं, लेकिन एकाउंट में काफी पैसा है. इसकी निकासी मन मुताबिक रेड्डी गुट कर रहा है. श्री अरुण कहते हैं कि इंटक के दोनों धड़ों का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, तो ऐसी स्थिति में इंटक की सदस्यता जांच के साथ-साथ इंटक का एकाउंट भी फ्रीज होना चाहिए.
दुबे गुट का दावा, सबसे ज्यादा उनकी सदस्यता
जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 के सदस्यता के आधार पर यूनियन के सदस्यों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है. इसमें इंटक रेड्डी गुट ने सबसे ज्यादा 3.35 करोड़ तो इंटक ददई गुट ने 3.33 करोड़ की सदस्यता दिखायी है. भारतीय मजदूर संघ ने 1.71 करोड़, एटक ने 1.42 करोड़, एचएमएस ने 89 लाख तथा सीटू ने करीब 85 लाख अपनी सदस्यता दिखायी थी. इंटक नेता महेंद्र कुमार विश्वकर्मा कहते हैं कि ददई खेमा मोदी सरकार की गोद में खेल रहा है. ददई खेमा अगर इंटक के सदस्यों का वेरिफिकेशन बंद करने की बात कह रहा है तो इसके पीछे सरकार के साथ-साथ भारतीय मजदूर संघ की साजिश है.
इंटक रेड्डी गुट ने वर्ष 2012 में यूनियन की जो सदस्यता दिखायी है, वह देश के 25 राज्यों व 46 सौ यूनियनों से जुड़ी हुई है. इंटक ददई खेमा के सदस्यों का वेरिफिकेशन पांच राज्यों व सिर्फ 25 यूनियनों से से जुड़ा हुआ है. अगर इंटक के सदस्यों का वेरिफिकेशन पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया तो इंटक पर राष्ट्रीय यूनियन की मान्यता रद्द होने का भी खतरा मंडरायेगा. इसके साथ भारतीय मजदूर संघ अपनी पैठ मजबूत करेगा. ऐसे भी केंद्र की मोदी सरकार कांग्रेस मुक्त भारत के साथ-साथ इंटक मुक्त श्रमिक संगठन चाहती है. इधर इंटक नेता ददई दुबे कहते हैं कि 23 मार्च को हमारे पक्ष में फैसला आयेगा तथा हमारी यूनियन हर हाल में जेबीसीसीआइ में बैठेगी.
कोर्ट से कोलियरी तक इंटक झेल रही है झंझावात
पहले इंटक के अपने ही घर के अंदर विवाद शुरू हुआ. बात नहीं बनी तो इंटक नेताओं ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय का जब आदेश आया तो भारत सरकार के श्रम मंत्रालय, कोयला मंत्रालय से लेकर कोल इंडिया प्रबंधन तक के कान खड़े हुए. इंटक ददई गुट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है, किसी भी तरह की बैठकों में इंटक के किसी भी धड़े को आमंत्रित नहीं किया जाये. इसके बाद श्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने इस बाबत पत्र जारी किया. इसके तुरंत बाद कोयला मंत्रालय ने भी पत्र जारी किया.
कोयला मंत्रालय का आदेश आते ही कोल इंडिया प्रबंधन ने सभी अनुषांगिक कंपनियों को पत्र लिख कर निर्देश दे दिया. अब इंटक के सभी धड़ों को भरोसा है कि 23 मार्च को यायालय का फैसला उनके पक्ष में ही आयेगा. इसके बाद सब कुछ ठीक हो जायेगा. लेकिन वर्तमान में इस संगठन के साथ जो हो रहा है, वह ना तो संगठन के लिए ठीक है और ना ही इनके तथाकथित नेताओं की सेहत के लिए. शायद अब नेताओं को भी एहसास हो रहा है कि जो कुछ भी हो रहा है वह मजदूर राजनीति के लिए ठीक नहीं है. इंटक के हर धड़े के नेताओं की अपनी-अपनी डफली और अपना-अपना राग है.