संजय के घर के खाने के खिलाफ अधिकारी अदालत पहुंचे
मुंबई: यरवदा जेल अधिकारियों ने फिल्म अभिनेता संजय दत्त को घर का बना खाना दिए जाने की इजाजत के खिलाफ आज विशेष टाडा अदालत का रुख किया और जेल नियमावली का हवाला दिया, जिसमें कैदियों को इस तरह की सुविधा के विस्तार की इजाजत नहीं हैं. संजय दत्त को पुणे की यरवदा जेल में रखा […]
मुंबई: यरवदा जेल अधिकारियों ने फिल्म अभिनेता संजय दत्त को घर का बना खाना दिए जाने की इजाजत के खिलाफ आज विशेष टाडा अदालत का रुख किया और जेल नियमावली का हवाला दिया, जिसमें कैदियों को इस तरह की सुविधा के विस्तार की इजाजत नहीं हैं.
संजय दत्त को पुणे की यरवदा जेल में रखा गया है. उसने 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों में मिली अपनी सजा के बाकी बचे 42 महीने काटने के लिए 16 मई को टाडा अदालत में आत्मसमर्पण किया था और अदालत ने उसे घर के बने खाने और दवाएं देने की इजाजत दी थी.
जेलर योगेश देसाई ने बताया कि इस संबंध में अर्जी आज दाखिल की गई है और इसपर निर्धारित प्रक्रिया में सुनवाई की जाएगी. 53 वर्षीय अभिनेता को आत्मसमर्पण करने के बाद पहले आर्थर रोड जेल में रखा गया था और बाद में यरवदा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
जेल अधिकारियों ने अभी सजा के दौरान संजय दत्त से करवाए जाने वाले काम के बारे में कोई फैसला नहीं किया है. उसे फिलहाल सुरक्षा कारणों से एक अलग कोठरी में रखा गया है.
पिछली बार जब दत्त जेल में था तो उसे बेंत की कुर्सियां बनाने का काम दिया गया था और उसे जेल नियमावली के अनुसार एक अकुशल श्रमिक को दिए जाने वाले साढ़े बारह रुपए प्रतिदिन के मेहनताने का भुगतान किया गया था. उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 21 मार्च को 1993 के मुंबई बम धमाका मामले में दत्त को दोषी ठहराए जाने का फैसला बरकरार रखा था, लेकिन टाडा अदालत द्वारा उसे दी गई छह साल की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया था.
संजय पर अवैध रुप से नौ एमएम की पिस्तौल और एक एके 56 राइफल अपने पास रखने का आरोप था. यह हथियार हथियारों और विस्फोटक की उस खेप का हिस्सा थे, जो मार्च 1993 में मुंबई पर आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए लाई गई थी. हमले में 257 व्यक्ति मारे गए और सात सौ से ज्यादा घायल हुए थे.