बोकारो: 24 जनवरी 1999 की बात है. मेरे दांपत्य जीवन का सबसे कठिन पल. इस दिन को चाह कर भी भूल न पाती. उस दिन सेल दिवस था. सिटी पार्क में वनभोज का आयोजन था. पति यूसी कुंभकार बड़े बेटे अभिषेक के साथ वनभोज में गये थे.
जब तक बेटा उनके साथ था, उन्होंने ड्रिंक की तरफ ध्यान नहीं दिया. संयोग से उसी दिन सरस्वती पूजा का विसजर्न भी होना था. बेटा चला आया. मौका पाकर पति ने दोस्तों के साथ जम कर शराब पी ली. घर आने के क्रम में बीआरएल ऑफिस के सामने उनका एक्सीडेंट हो गया.
एक विद्यार्थी ने उनको सड़क पर घायल पड़ा देख तुरंत बीजीएच पहुंचाया. उसके बाद करीब रात सात बजे वह लड़का हमारे घर पर उनके स्कूटर के साथ आया. स्कूटर देख कर मुङो अनहोनी का एहसास हो गया था. लड़के ने कहा : जल्दी कीजिए अस्पताल चलना है, सर का एक्सीडेंट हो गया है. घर पर बच्चे भी मेरे साथ थे, इसलिए रोई तो नहीं मगर मन में डर और बेचनी थी. अस्पताल पहुंचने पर मालूम हुआ स्थिति नाजुक है. डॉक्टर ने कहा : एक्सीडेंट गंभीर है. सिर पर चोट लगी है. बचाना मुश्किल है.
यह सुनते ही मेरे होश उड़ गये थे. एक पल के लिए मानो सांस थम सी गयी थी. मगर बच्चों को देखते ही हिम्मत आयी. उस वक्त बच्चों के एग्जाम भी थे. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पति की अस्पताल में देखभाल करना, बच्चों को एग्जाम दिलाना और घर की रसोई भी संभालना, काफी मुश्किल था. दो हफ्ते तक ठीक से सो न पायी थी. पति तीन हफ्तों में ठीक हो गये. उसके बाद से पति ने शराब पीना छोड़ा तो नहीं है, मगर पीना कम जरूर कर दिया है.